इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 18वें एशियाई खेल आज से शुरू हो रहे हैं। इस बार भारत के 572 खिलाड़ी 36 खेलों में चुनौती पेश करेंगे। भारतीय दल में खिलाड़ियों की संख्या 2014 के इंचियोन एशियाड से थोड़ी ही ज्यादा है। इंचियोन में भारत के 541 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
आज शाम उद्घाटन समारोह, रविवार से गेम्स की शुरुआत
इंडोनेशिया के दो शहर जकार्ता और पालेमबांग में एशियन गेम्स आयोजित होने वाला है। ऐसा पहली बार ही होगा जब एशियाई गेम्स दो शहर में आयोजित किए जा रहे हैं। शनिवार यानी आज इस इवेंट का भव्य आयोजन जकार्ता के जीबीके स्टेडिम में होने वाला है और रविवार से गेम्स की शुरुआत होगी। शाम 5:30 बजे से यह उद्घाटन समारोह शुरू होगा, जिसके बाद 6:15 पर खिलाड़ियों द्वारा परेड शुरू की जाएगी। भारत की तरफ से अगुवाई ज्वेलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा द्वारा की जाएगी।
इन 36 खेलों में हिस्सा ले रहा है भारत
2 सितम्बर तक चलने वाले इस इवेंट में 40 खेलों की 67 स्पर्धाएं होंगी। इस इवेंट का सीधा प्रसारण भारत में सोनी नेटवर्क पर किया जाएगा। भारत तीरंदाजी, ऐथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, बोलिंग, ब्रिज, कैनोइ-कायक, साइक्लिंग, फेंसिंग, जिम्नैस्टिक, गोल्ड, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, कबड्डी, कर्राटे, कुराश, पेनकाक सिलात, रोलर स्पोर्ट्स, टेनिस, ताइकवांडो, सॉफ्ट टेनिस, टेबल टेनिस, वॉलिबॉल, वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग और वुशू जैसी करीब 36 खेलों में हिस्सा ले रहा है।
एशियाई खेलों में भारत के मेडल
एशियाई खेलों के 67 साल के इतिहास पर नजर डालें तो भारत ने अब तक 139 गोल्ड समेत कुल 616 मेडल जीते। इनमें 82 गोल्ड मेडल तो उसने 1986 के सियोल एशियाड तक जीत लिए, लेकिन उसके बाद से सिर्फ 57 स्वर्ण पदक ही हासिल कर पाया। यानी शुरुआती 10 एशियाड की तुलना में भारत ने बाद के 7 संस्करणों में 18 फीसदी कम स्वर्ण पदक जीते, जबकि इस बीच खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा होता रहा। यही नहीं, आखिरी बार 1986 के सियोल एशियाड में भारत टॉप-5 में जगह बनाने में कामयाब रहा था, तब से अब तक वह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में रहने का गौरव नहीं पा सका।
खिलाड़ियों की संख्या के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी मेडल
पिछले 4 एशियाई खेलों की बात करें तो भारत के पदकों की संख्या खिलाड़ियों के दल की संख्या की 10 फीसदी ही रही। 2002 में बुसान (दक्षिण कोरिया) में तो भारत का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। वहां करीब 650 खिलाड़ी गए, लेकिन पदक की संख्या 10 फीसदी भी नहीं रही। बुसान में भारत 10 स्वर्ण समेत कुल 35 पदक ही जीत सका और पदक तालिका में 8वें नंबर पर रहा। हालांकि एशियाड में भारत का सबसे खराब प्रदर्शन 1990 में रहा था। बीजिंग में हुए 11वें एशियाई खेलों में भारत 11वें स्थान पर रहा था और महज 1 गोल्ड समेत 23 पदक ही जीत पाया था।
ग्वांगझू में भारतीयों ने जीते सबसे ज्यादा मेडल
बुसान के बाद दोहा में हुए 15वें एशियाई खेलों में भारत 24 साल बाद पदकों का अर्धशतक लगा पाया। दोहा में भारत ने करीब 550 खिलाड़ियों का दल भेजा था। 2010 ग्वांगझू एशियाड में भी भारत अपने खिलाड़ियों और पदकों के अनुपात को कम नहीं कर सका। भारत ने इन खेलों में 609 खिलाड़ियों का दल भेजा। लेकिन उसके पदकों की संख्या 65 तक ही पहुंच पाई। हालांकि 10 गोल्ड मेडल जीतकर पदक तालिका में वह जरूर छठे स्थान पर पहुंच गया। पदकों की संख्या के हिसाब से यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे ज्यादा पदक उसने आज तक किसी भी एशियाई खेलों में नहीं जीते। 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने फिर निराश किया। इन खेलों में 541 खिलाड़ी भेजे गए और उन्होंने 11 गोल्ड समेत कुल 57 मेडल जीते। यानी नतीजा फिर 10 फीसदी। इस बार भारत पदक तालिका में फिर खिसककर 8वें स्थान पर पहुंच गया।
इस बार राह और मुश्किल
भारत जकार्ता में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाए, इसकी संभावना कम ही है। भारतीय खिलाड़ियों ने इंचियोन में एथलेटिक्स, निशानेबाजी, टेनिस, कुश्ती, तीरंदाजी, कबड्डी और मुक्केबाजी में कुल 57 में से 43 मेडल जीते थे। उसने एथलेटिक्स में 13 और निशानेबाजी में 9 पदक जीते थे। हालांकि इस बार निशानेबाजी में उसके मेडल जीतने की संभावनाएं कम हैं, क्योंकि इस खेल के पहले 44 इवेंट होते थे, जोकि अब 20 ही होंगे। भारत ने निशानेबाजी की जिन स्पर्धाओं में 7 पदक जीते थे, वे इस बार नहीं हो रहीं। यही वजह है कि भारत के स्टार निशानेबाज जीतू राय, गगन नारंग, मेहुली घोष, शाहजर रिजवी भारतीय दल का हिस्सा नहीं हैं।