भारत के एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने संन्यास की आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा, अब आगे बढ़ने और युवा पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंपने का समय है। एक दशक से भी अधिक समय तक निशानेबाजी रेंज पर अपना दबदबा बनाये रखने के बाद जल्द ही 34 वर्ष के होने वाले बिंद्रा की निगाहें अब नये व्यावसायिक उद्यम पर लगी हैं। उन्होंने अपने विदाई समारोह से इतर पत्राकारों से कहा, मैं जीविका के लिये कमाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं व्यवासाय से जुड़ा हूं। कमाने की कोशिश कर रहा हूं ताकि भूखा न रहूं। आप जानते हैं कि मैं खेलों में दिलचस्पी रखता हूं लेकिन इससे मुझे ज्यादा पैसा नहीं मिलने वाला है। मैं कुछ चीजों से जुड़ा हूं जो फिटनेस, चिकित्सा क्षेत्रा में कुछ करने से संबंधित हैं। मैं खेलों में उच्च प्रदर्शन करने के क्षेत्र में भी कुछ करने की कोशिश कर रहा हूं। बीजिंग ओलंपिक 2008 में दस मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने कहा, खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा की भूमिका वर्तमान समय के खेलों में काफी महत्वपूर्ण है। मुझे नहीं लगता है कि हमारे देश में यह पूरा सिद्धांत अभी वास्तव में मजबूत है।
अपने चमकदार करियर के करियर में बिंद्रा से भारतीय खेलों के बारे में अपने विजन के बारे में पूछा गया। उन्होंने कहा, मैं चाहूंगा कि भारतीय खेल आगे बढ़ें और मेरा मानना है कि यह तभी संभव है जब हम निचले स्तर पर पर कार्यक्रम बनाये और लोगों के लिये ऐसी व्यवस्था हो कि वे आकर खेलों से जुड़ें। इसके लिये निवेश, विशेषज्ञता ओर धैर्य की जरूरत है। इसके लिये दृढ इच्छाशक्ति की भी जरूरत है। बिंद्रा ने कहा, क्योंकि जब अप निचले स्तर पर निवेश करते हो तो उसका आपको तुरंत ही लाभ नहीं मिलेगा। आपको हो सकता है कि उसका फायदा मिलने में दस से 20 साल लग जाएं इसलिए आपको लगे रहना होगा। मुझे लगता है कि हम ऐसे में ही एक ऐसे देश के रूप में विकसित हो सकते हैं जो ओलंपिक पदकों की संख्या दोहरे अंकों में पहुंचा सकता है।
भाषा