अब केंद्र सरकार कुछ स्टेडियमों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने मंगलवार को कहा कि सरकार प्रशासन और सेवा की गुणवत्ता के सुधार के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के अंतर्गत आने वाले कुछ स्टेडियमों का निजीकरण करेगी।
राठौड़ ने कहा कि इस कदम का लक्ष्य खिलाड़ियों को खेलने का बेहतर अनुभव मुहैया कराना है।
राठौड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने के मामले में हम बेहतर संचालन के लिए अपने कुछ स्टेडियमों के निजीकरण पर विचार कर रहे हैं। सामान्य अध्ययन किया गया है कि कैसे स्टेडियमों में सुधार किया जा सकता है। तथ्य यह है कि स्टेडियमों का प्रशासन जिस तरह किया जाता है उसमें सुधार की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘स्टेडियम में सेवा की गुणवत्ता और खेलने का क्षेत्र बेहतर होना चाहिए। खेलने के अनुभव में सुधार की जरूरत है। 1982 एशियाई खेलों के आयोजन में मदद और इन स्टेडियमों की देखरेख के लिए इन खेलों से पहले साइ का गठन किया गया। तब की तुलना में अधिकार बढ़ गए हैं और मुझे लगता है कि समय आ गया है कि हम जितना संभव हो उतने हितधारकों को इसके साथ जोड़ें।’’
राठौड़ ने कहा कि निजीकरण कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी या पीपीपी (सार्वजनिक निजी साझेदारी) माडल के तहत होगा।
एथेंस ओलंपिक के रजत पदक विजेता राठौड़ ईएलएमएस (एक्सीलेंस इन लर्निंग एंड मास्टरिंग आफ स्पोट्र्स एंड फिजिकल लिटरेसी) फाउंडेशन के लांच के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने साथ ही घोषणा की कि मणिपुर में केंद्रीय खेल विश्वविद्यालय के केंद्र अन्य शहरों में भी खोले जाएंगे। राठौड़ ने साथ ही कहा कि शारीरिक शिक्षा और केंद्रीय खेल विश्वविद्यालय में कोचिंग पर स्नातक कार्यक्रम के लिए जापान और आस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की जा रही है।
उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार देश में कोचों के विकास के लिए ‘खेलो इंडिया’ के तहत कार्यक्रम शुरू करेगी।