18वें एशियन गेम्स इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबैंग में 18 अगस्त से शुरू होने जा रहे हैं। इन खेलों में इस बार 45 देश भाग ले रहे हैं। भारत से 756 सदस्यीय दल को हरी झंडी मिली है जिसमें 572 एथलीट्स, 184 कोच-सपोर्ट स्टाफ और 48 अफसर हैं।
जैवलिन थ्रोअर एथलीट नीरज चोपड़ा को उद्घाटन समारोह के लिए भारतीय दल का ध्वजवाहक चुना गया है। माना जा रहा है कि भारत इस बार एक दर्जन से अधिक स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहेगा। इनसे हैं पदक की उम्मीदेंः
बजरंग पूनिया: हरियाणा के 24 साल के पहलवान ने इंचियोन में रजत पदक जीता था। यह पहलवान 65 किलो फ्रीस्टाइल में पदक का दावेदार है और इस साल तीन टूर्नामेंट जीत चुका है। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण के अलावा उन्होंने जॉर्जिया और इस्तांबुल में दो टूर्नामेंट जीते।
के.श्रीकांत: कॉमनवेल्थ गेम्सस के रजत पदक विजेता श्रीकांत पुरुष एकल में भारत की अकेली उम्मीद हैं। अप्रैल में नंबर एक की रैंकिंग हासिल करने वाले श्रीकांत को चीन, इंडोनेशिया और जापान के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी।
सुशील कुमार : ओलिंपिक में दो व्यक्तिगत पदक जीतने वाले भारत के एकमात्र खिलाड़ी हैं। भारत के सबसे सफल ओलिंपियन में से एक सुशील पर अतिरिक्त दबाव होगा जो जार्जिया में फ्लॉप रहे थे। जार्जिया में नाकामी के बाद लोग सवाल उठाने लगे कि एशियाड ट्रायल से उन्हें छूट क्यों दी गई।
पीवी सिंधु : हाल ही में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु से काफी उम्मीदें है। उन्हें नानजिंग में कैरोलिना मॉरिन से मिली हार को भुलाकर खेलना होगा। चार बड़े फाइनल हार चुकी सिंधु को इस बार फाइनल में जीतकर सोने का तमगा जीतना होगा।
विनेश फोगाट: रियो ओलिंपिक में पैर की चोट की शिकार हुई रेसलर विनेश वापसी कर रही हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण और मैड्रिड में स्पेन ग्रांप्री जीती। वह 50 किलो में पदक की प्रबल दावेदार होंगी।
मनु भाकर: हरियाणा की 16 साल की इस स्कूली छात्रा ने पिछले साल निशानेबाजी में शानदार प्रदर्शन किया था। आईएसएसएफ विश्वकप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनु सबसे युवा भारतीय निशानेबाज बनीं। उन्होंने कॉमनवेल्थ में गोल्ट जीता और 10 मीटर एयर पिस्टल में प्रबल दावेदार हैं।
साइना नेहवाल: भारत में बैडमिंटन की लोकप्रियता का ग्राफ उठाने वाली साइना लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। उन्हें विश्व चैम्पियनशिप में जिस तरह से मॉरिन ने हराया लेकिन उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए उनसे पदक की बड़ी उम्मीद है।
हिमा दास : असम के एक गांव की 20 साल की यह एथलीट भारत का हाल का प्रदर्शन शानदार रहा है। हिमा ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में छठा स्थान हासिल किया था। वह आईएएएफ ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में 400 मीटर में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय बनी।
नीरज चोपड़ा: युवा भाला फेंक (जैवलिन थ्रोअर) खिलाड़ी एशियाई खेल 2018 में भारतीय दल के ध्वजवाहक होगा। अंडर 20 विश्व चैम्पियनशिप 2016 में स्वर्ण जीतने वाले नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में इस कामयाबी को दोहराया। उन्होंने दोहा में आईएएएफ डायमंड लीग में शानदार प्रदर्शन किया। पिछले चार टूर्नामेंटों में से तीन में वह स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
रामकुमार रामनाथन : टेनिस के सिंगल्स वर्ग में खिलाड़ी युकी भांबरी की गैरमौजूदगी में भारत की उम्मीदों का दारोमदार रामनाथन पर होगा। न्यूपोर्ट एटीपी टूर्नामेंट में फाइनल तक पहुंचे रामनाथन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। दुनिया के शीर्ष टेनिस खिलाड़ियों को रामकुमार हरा चुके हैं।
सोनिया लाठेर: देश की जानी मानी बॉक्सर एमसी मैरीकाम की गैरमौजूदगी में विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता सोनिया भारतीय महिला टीम की अगुवाई करेगी। वह 57 किलो वर्ग में प्रबल दावेदार हैं।
दीपा करमाकर: घुटने की चोट के कारण कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर रहीं दीपा ने तुर्की में विश्व चैलेंज कप में स्वर्ण जीतकर वापसी की। रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं दीपा पदक की प्रबल दावेदार हैं।
शिवा थापा: मुक्केबाजी में पुरुषों के 60 किलो वर्ग में थापा एशियाई खेलों में पहला पदक जीतने की कोशिश में होंगे। एशियाई चैम्पियनशिप में लगातार तीन पदक जीतकर उनमें आत्मविश्वास भरा है।
मनिका बत्रा : टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की स्टार रही थीं। मनिका ने इन खेलों में चार पदक जीते थे। उन्हें चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के खिलाड़ियों की मौजूदगी के कारण एशियाई खेलों में मुकाबले कड़े होंगे।
इसके अलावा हॉकी में भारतीय पुरुष और महिला टीम भी पदक की दावेदार है। श्रीजेश की कप्तानी वाली भारतीय हॉकी टीम को तो स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा है।