हालांकि, इस दौरान नियुक्तियों के मोर्चे पर सुस्ती जारी रहेगी। उद्योग मंडल फिक्की के दूसरी तिमाही के विनिर्माण परिदृश्य पर तिमाही सर्वेक्षण के अनुसार यह तथ्य भी सामने आया है कि विनिर्माताओं द्वारा चुकाई जा रही ब्याज दर अभी भी काफी ऊंची है।
इसमें कहा गया है कि अनिश्चित आर्थिक वातावरण, प्रतिकूल बाजार परिस्थितियां, आयात से प्रतिस्पर्धा, मंजूरियों में देरी, अपर्याप्त ढांचा तथा लागत वृद्धि कुछ प्रमुख कारक हैं जिनकी वजह से उद्योग की विस्तार की योजना में अड़चन आ रही है। इससे पहले सर्वेक्षण में 2016-17 की पहली तिमाही में सुस्ती का संकेत दिया गया था, जो अब दूर हो रहा है।
सर्वेक्षण में शामिल 55 फीसद लोगों की राय थी कि जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि ऊंची रहेगी। अप्रैल-जून, 2016-17 की तिमाही में यह राय जताने वालों की संख्या 53 प्रतिशत थी। हालांकि, यह पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही के 60 प्रतिशत से काफी कम है। देश के विनिर्माण क्षेत्र में सुधार आ रहा है और इस क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में चार माह की ऊंचाई पर पहुंच गई। कारोबारी आर्डर में बढ़ोतरी से क्षेत्र की स्थिति सुधरी है। विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का संकेत निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग इंडेक्स (पीएमआई) जुलाई में बढ़कर 51.8 हो गया, जो जून में 51.7 था। इसके 50 से उपर होने का मतलब विस्तार है, जबकि इससे नीचे होने का मतलब संकुचन से है।
एजेंसी