पैरालिंपिक में दो बार के रजत पदक विजेता योगेश कथूनिया ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने लगातार प्रदर्शन के बावजूद प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकित नहीं किए जाने पर निराशा व्यक्त की।
कथूनिया ने पुरस्कार चयन प्रक्रिया में पक्षपात और पारदर्शिता की कमी पर हताशा जाहिर की। उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो’ को कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या मानदंड निर्धारित किए हैं। मैंने फॉर्म भी भरा है। ऐसा नहीं है कि मैंने फॉर्म नहीं भरा। मैंने सब कुछ किया, लेकिन सबसे ज्यादा कुल अंक प्राप्त करने के बाद भी मुझे इस बार भी नामांकित नहीं किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप 2016-2020 को देखें तो तब कोई पक्षपात नहीं होता था।’’
कथूनिया ने कहा, ‘‘मुझे अच्छी तरह याद है, पिछली बार मैंने अर्जुन पुरस्कार के लिए फॉर्म भी नहीं भरा था, फिर भी मुझे नामांकित किया गया। एक नीति थी कि अगर आप पैरालिंपिक या ओलंपिक में खेलते हैं और पदक जीतते हैं तो आपके नाम पर सीधे विचार किया जाएगा। आप इस बार ऐसा क्यों नहीं कर सकते? ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप पहले ऐसा कर सकते थे तो अब क्यों नहीं? अगर हमें पुरस्कार मांगना ही है तो खेलने का क्या फायदा? अगर हम इसके लिए भीख मांग रहे हैं तो पुरस्कार का क्या महत्व है? ’’
कथूनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छह पदक जीते हैं जिसमें दो पैरालिंपिक में दो रजत, विश्व चैम्पियनशिप में दो रजत और एक कांस्य तथा एशियाई खेलों में एक रजत पदक शामिल है।