दो बार की विश्व चैम्पियन स्पेन की कैरोलिना मारिन के हाथों 21-19, 12-21, 15-21 से हार का सामना करने वाली सिंधु ने कहा, मैंने रजत पदक के साथ प्रतियोगिता को समाप्त किया लेकिन वास्तव में मैं खुश हूं। उन्होंने कहा, मैंने वास्तव में कड़ी टक्कर दी और अपना सबकुछ झोंक दिया। जब मैं फाइनल में पहुंची तो मैंने खुद से कहा कि केवल एक मैच होना है और तुम स्वर्ण पदक जीत सकती हो। अपना सर्वश्रेष्ठ दो और मैंने बहुत प्रयास किया। मुझे लगता है कि यह उसका दिन था। सिंधु ने रियो ओलंपिक खेलों में देश का पहला पदक दिलाने वाली साक्षी मालिक की भी प्रशंसा की, जो ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं।
सिंधु ने साक्षी की जीत के बारे में कहा, एक दिन पहले ही साक्षी ने कांस्य पदक जीता और अब मैंने। हम सभी ने अच्छा खेल दिखाया। जीवन की तरह खेल में उतार-चढ़ाव आता रहता है। एक या दो अंकों से हार मिलती है। मैं सबको बधाई देना चाहती हूं। यह सप्ताह मेरे लिये शानदार रहा है। उन्होंने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फाइनल में पहुंचने में सफल रहूंगी लेकिन जब आखिरकार मैं ऐसा कर पायी तो मैंने सोचा कि...मैंने बहुत मेहनत की लेकिन मैं सोने के तमगे से चूक गयी। ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली स्पेन की खिलाड़ी को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, मैं कैरोलिना को भी बधाई देना चाहूंगी। मेरे लिए यह सप्ताह शानदार रहा है। हर किसी का लक्ष्य ओलंपिक में पदक प्राप्त करना होता है। फाइनल मैच के बारे में हैदराबाद की खिलाड़ी ने कहा, दोनों खिलाडि़यों ने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया। एक को जीतना होता है और दूसरे को हारना। कोर्ट में आज उसका दिन था। मैं उसके लिए बहुत खुश हूं। वह शानदार प्रदर्शन कर रही है।
उन्होंने कहा, संपूर्ण तौर पर देखें तो ऐसा नहीं है कि मैंने अच्छा नहीं खेला या अंक नहीं जुटाये। मैं बता सकती हूं कि यह एक अच्छा मैच था। दूसरे गेम के बाद तीसरे गेम में हम दोनों 10-10 की बराबरी पर थे। मेरी तरफ से कुछ सामान्य गलतियां हुई। भारत की 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि भारतीय बैडमिंटन का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर भविष्य उज्ज्वल है। कई खिलाड़ी आ रहे हैं और कई को आना है। भारत में बैडमिंटन की स्थिति बहुत ही अच्छी है। पुरूष एकल में श्रीकांत बहुत ही मामूली अंतर से हारा।
ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतकर अपनी सीनियर खिलाड़ी साइना नेहवाल की तुलना में बड़ी उपलब्धि अर्जित करने वाली सिंधु ने कहा, यह अलग तरह की तुलना है। उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है और वह मेरी सीनियर हैं। गौरतलब है कि साइना ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में देश के लिए कांस्य पदक जीता था। उन्होंने कहा, आखिरकार आज मुझे ऐसा लग रहा है कि मैंने जीवन में कुछ हासिल किया है। यह मेरा सपना रहा है, ओलंपिक में पदक जीतना किसी का भी सपना रहा है। मैंने यह कर दिखाया। शीर्ष 20 या 30 में शामिल सभी खिलाड़ी एक ही जैसे हैं और यह मालूम नहीं होता है कि क्या होगा क्योंकि चीजें कभी भी बदल सकती हैं। वर्ष 2020 के तोक्यो ओलंपिक खेलों में रजत को सोने के तमगे में बदलने के बारे में पूछे जाने पर सिंधु ने कहा, आशा है कि हां मैं ऐसा कर पाउंगी। मैं इसके लिए निश्चित तौर पर कड़ी मेहनत करूंगी। इस उपलब्धि से उनकी खेल में नयी ऊर्जा का संचार और उनकी रैंकिंग में सुधार होना तय है और बतौर सिंधु उनका अगला लक्ष्य सुपर सीरीज जीतना है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है इससे अब बहुत सी चीजें बदल जायेंगी। अधिक विश्वास के साथ मैं आगे बढूंगी और शायद मैं एक सुपर सीरीज जीत सकूं।
अपनी सफलता का श्रेय कोच पुलेला गोपीचंद को देते हुए सिंधु ने कहा, यहां आने से पहले निश्चित तौर पर मैंने कड़ी मेहनत की थी। मैंने कठिन प्रशिक्षण लिया और कई बलिदान दिये हैं। गोपी सर ने भी बहुत त्याग किया है। वह पूरे समय कोर्ट पर रहते हैं। माता-पिता ने भी कई बलिदान दिये। मैच के बारे में सिंधु ने कभी मारीन की विश्व नंबर एक की रैंकिंग के बारे में नहीं सोचा था और वह अपना स्वाभाविक खेल दिखाना चाहती थी।
एजेंसी