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भारत-पाक संबंधों पर सरकार के फैसले का सम्मान करो : अभिनव बिंद्रा

चैम्पियन निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने उड़ी आतंकी हमले के संदर्भ में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच कहा कि आदर्श दुनिया में खेल और राजनीति को मिलाना नहीं चाहिए लेकिन सच्चाई में कुछ मामलों में यह संभव नहीं हो सकता। बिंद्रा ने आज पीटीआई से कहा, अंत में यह फैसला सरकार का है। यही (सरकार) अंतिम फैसला करती है कि एक टीम को पाकिस्तान के खिलाफ खेलना चाहिए या नहीं और इस निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए।
भारत-पाक संबंधों पर सरकार के फैसले का सम्मान करो : अभिनव बिंद्रा

तो क्या उन्हें लगता है कि राजनीति और खेल को अलग रखना चाहिए? भारत के एकमात्र व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी ने कहा, यह बहुत मुश्किल सवाल है। कोई भी खेल और राजनीति को नहीं मिलाने की उम्मीद करेगा। यह अच्छा विचार है कि इसे अलग ही रखना चाहिए क्योंकि यही ओलंपिक भावना भी है कि खेल को राजनीति से मुक्त रखना चाहिए। लेकिन आज वास्तविकता में कभी-कभार ऐसा नहीं होता। इसमें हालात के हिसाब से फैसला करना होता है और सरकार के फैसले का सम्मान करना चाहिए।

भारत सरकार ने उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने के प्रयास तेज कर दिये हैं और इसका असर खेल संबंधों पर भी पड़ा है जिसमें बीसीसीआई ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान से क्रिकेट संबंध शुरू करने से इनकार कर दिया है और कबड्डी टीम भी अहमदाबाद में चल रहे विश्व कप में भाग नहीं ले रही।

बिंद्रा यहां फ्रेंचाइजी इंडिया एक्सपो के लिये आये थे, उन्होंने रियो ओलंपिक के बाद के बारे में बात की। अगस्त में हुए ओलंपिक में उन्होंने अपने चमकदार कैरियर का अंत चौथे स्थान पर किया था। तब से इस 34 वर्षीय निशानेबाज ने राइफल नहीं छुई है और उनके कहे अनुसार वह अपने जीवनयापन के लिये कमाने की कोशिश कर रहे हैं। वह अपने बिजनेस वेंचर में भारत में माइक्रो हाई परफोरमेंस सेंटर से काफी उत्साहित हैं। पहली तरह का यह सेंटर खिलाडि़यों को उनके खेल के मानसिक और शारीरिक पहलू पर तैयारी करने में मदद करता है। यह पूछने पर कि क्या वह संन्यास के बाद की जिंदगी को पसंद कर रहे हैं और क्या उनका कभी कभार शौकिया निशानेबाजी करने का मन करता है। उन्होंने कहा, मैं पहले ही पिछले पांच वर्षों से शौकिया निशानेबाज था, लेकिन अब और नहीं। मैं काफी व्यस्त हूं, जीवनयापन के लिये कमाई की कोशिश कर रहा हूं। मैं हर दिन काम के लिये जाता हूं। यह अलग जिंदगी है लेकिन यह ठीक है। मुझे यह पसंद आ रही है।

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