टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर ने एक ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट बैट बनाने वाली कंपनी के खिलाफ एक सिविल केस दायर किया है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कंपनी ने अपने उत्पादों के प्रचार के लिए उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया। इसके लिए सचिन ने स्पार्टन से 2 मिलियन डॉलर (लगभग 14 करोड़) की रॉयल्टी की मांग की है। इसकी सह-स्थापना भारतीय उद्यमी कुणाल शर्मा ने की थी।
2016 में हुआ था समझौता
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दस्तावेजों के हवाले से दावा किया है कि 2016 में सचिन और स्पार्टन के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत एक साल तक अपने उत्पादों पर सचिन की तस्वीर और लोगो इस्तेमाल करने पर कंपनी को उन्हें एक मिलियन डॉलर (करीब 7 करोड़ रुपए) चुकाने थे। इस डील के तहत स्पार्टन ‘सचिन बाई स्पार्टन’ टैगलाइन भी इस्तेमाल कर सकता था।
सितंबर 2018 तक स्पार्टन ने एक भी बार नहीं किया भुगतान
सचिन स्पार्टन के उत्पादों के प्रचार के लिए लंदन और मुंबई में हुए प्रमोशनल इवेंट में भी गए थे। हालांकि, सितंबर 2018 तक स्पार्टन ने उन्हें एक भी बार भुगतान नहीं किया। इसके बाद सचिन ने कंपनी से पेमेंट की मांग की। इसके बाद भी जब कोई जवाब नहीं आया तो सचिन ने समझौता खत्म कर दिया और कंपनी को खुद से जुड़े प्रतीक इस्तेमाल न करने के लिए कहा, लेकिन स्पार्टन ने सचिन के नाम-तस्वीरों का इस्तेमाल जारी रखा।
डेविड वार्नर ने नए समझौते पर हस्ताक्षर किए
दिलचस्प बात यह है कि डेविड वार्नर ने बुधवार को टौनटन में विश्व कप मैच में पाकिस्तान के खिलाफ 107 रन बनाते हुए स्पार्टन द्वारा निर्मित बल्ले का ही इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वार्नर ने हाल ही में स्पार्टन के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि उन्हें अपने अनुबंध का एक हिस्सा भुगतान किया गया था या नहीं।
रिपोर्ट में जेम्स एरस्किन (वार्नर के प्रबंधक) के हवाले से कहा गया कि वार्नर को उनके साथ एक अनुबंध मिला है और यदि वे भुगतान नहीं करते हैं, तो हम शायद ऐसा ही काम करेंगे जैसा (तेंडुलकर) ने किया। यदि लोग आपको अनुबंध के तहत भुगतान नहीं करते हैं, तो आप उन पैसों के लिए मुकदमा करने के लिए स्वतंत्र हैं जो आप लगता है कि आप पर बकाया हो गया है।
पहले भी इस कंपनी पर हो चुके हैं मुकदमें
ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट क्रिकेटरों मिशेल जॉनसन और जो बर्न्स ने भी पहले अनुबंध भुगतान में कथित कमी को लेकर स्पार्टन पर मुकदमा दायर किया था।
एजेंसी ने इस मामले में स्पार्टन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) से सवाल पूछे हैं। हालांकि, अभी तक उन्होंने जवाब नहीं दिए हैं। सचिन का मामला देखने वाली लॉ फर्म गिल्बर्ट एंड टोबिन ने भी इस मामले में बोलने से इनकार किया है।
(एजेंसी इनपुट)