हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव की रहने वाली साक्षी ने रियो ओलंपिक में भारत का 12 दिन से चला आ रहा पदकों का इंतजार खत्म करके महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 किलोवर्ग में कांस्य पदक जीता। साक्षी के पूरे परिवार ने देर रात तक जागकर अपनी बेटी का यह प्रदर्शन देखा। दिल्ली परिवहन निगम में कंडक्टर उनके पिता सुखबीर ने भाषा से कहा , हम सभी ने रात में पूरा बाउट देखा। क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद भी हमें यकीन था कि वह रेपेचेज में जरूर जीतेगी। वह हमारे भरोसे पर खरी उतरी और हमारा नाम रोशन किया।
मां ज्यादा भावविभोर है
पदक जीतने पर पहली प्रतिक्रिया के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा , हमारे तो आंसू ही नहीं रूक रहे हैं। मुझसे ज्यादा उसकी मां भावविभोर है जो उसके पीछे चट्टान की तरह खड़ी रहीं। जब साक्षी ने 12 बरस की उम्र में अखाड़े में कदम रखा था तब बिरादरी के कई लोगों ने ऐतराज किया और कहा कि लड़कियां पहलवानी करती अच्छी नहीं लगतीं लेकिन आज उन्हीं लोगों को मेरी बेटी पर गर्व है। उन्होंने कहा , अब यहां कोई नहीं कहेगा कि लड़कियां कुश्ती करती अच्छी नहीं लगतीं। साक्षी के पदक के बाद और भी लड़कियां अखाड़े में उतरेंगी , ऐसा हमें भरोसा है। साक्षी की मां सुदेश मलिक आंगनवाड़ी में सुपरवाइजर हैं और अपनी बेटी का सबसे बड़ा संबल भी। सुखबीर ने कहा , हमने कभी साक्षी को कुश्ती लड़ने से नहीं रोका। वह खेल के साथ पढाई में भी तेज थी। उसने रियो ओलंपिक में अपने मुकाबले में जबर्दस्त संयम का प्रदर्शन किया और यह धैर्य उसे अपनी मां से मिला है।
ईश्वर ऐसी बेटी सभी को दे
उन्होंने देश भर से मिल रही बधाइयों के लिये आभार व्यक्त करते हुए कहा , मेरी बेटी ने आज पूरे देश में हमारा और रोहतक का नाम रोशन कर दिया। हमारे फोन पर बधाइयों का सिलसिला रूक ही नहीं रहा। सुबह से घर में लोग बधाइयां देने आ रहे हैं। मीडिया की भीड़ जुटी है। ईश्वर ऐसी बेटी सभी को दे। उन्होंने उम्मीद जताई कि तोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक में साक्षी स्वर्ण पदक जीतेगी। उन्होंने कहा , हमें विश्वास है कि वह और मेहनत करेगी और आने वाले ओलंपिक में सोने का मेडल लायेगी।
एजेंसी