भारत के सौरव घोषाल ने शिकागो में चल रही पीएसए विश्व स्क्वैश चैंपियनशिप में वेल्स के खिलाड़ी जोएल मेकिन पर कड़े संघर्ष के साथ क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह बनाई। 11वीं वरीयता प्राप्त 32 वर्षीय भारतीय ने 11-13, 11-7, 11-7, 13-11 से जीत दर्ज की, लेकिन सफलता आसानी से नहीं मिली, क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी ने उन्हे हर अंक के लिए संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया था।
पहले भी हुआ था सामना
2017 में मुंबई में सीसीआई इंटरनेशनल में सौरव का सामना करने और हारने वाले मेकिन ने खुद को इस बार एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में पेश किया। सौरव को पता था कि मेकिन ने पहला गेम छीन लिया है और अब उनके पास गलती कि कोई गुंजाइश नही थी। सौरव ने अगले दो गेमो को जीतने के लिए कमर कस ली थी।
अनुभव का उठाया फायदा
चौथे गेम में, हालांकि सौरव 5-8 से पीछड़ रहे थे और मेकिन इस गेम को जीतने के लिए तैयार दिख रहे थे, लेकिन अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए भारतीय खिलाडी ने जीत सुनिश्चित करने से पहले लगातार तीन मैच बॉल अपने नाम की। यह दूसरी बार है जब सौरव आखिरी आठ में पहुंचे हैं, इससे पहले ऐसा 2013 में भी हुआ था। अब सौरव का सामना तीसरी वरीयता प्राप्त जर्मनी के साइमन रोजनर से होगा।
सौरव की उपलब्धियां
2013 में, सौरव इंग्लैंड के मैनचेस्टर में विश्व स्क्वैश चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। 2004 में, वह इंग्लैंड के शेफ़ील्ड में फाइनल में मिस्र के एडेल एल सैड को हराकर ब्रिटिश जूनियर ओपन अंडर-19 स्क्वैश खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। वह अक्टूबर 2018 में वर्ल्ड नंबर-11 की करियर-उच्च विश्व रैंकिंग पर भी पहुंच गये थे।
सौरव ने एशियन गेम्स 2006 दोहा में कांस्य पदक जीता और अगस्त 2007 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इस तरह यह पुरस्कार पाने वाले देश के पहले स्क्वैश खिलाड़ी बन गए।
घोषाल कई मामलो में रहे हैं अव्वल, पहला भारतीय जो जूनियर वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर एक पर था, पहले खिलाडी जिसने लगातार तीन साल जूनियर नेशनल चैंपियनशिप जीती और दिसंबर 2006 में उन्होने दोहा एशियाई खेलो में स्क्वैश में पहला पदक जीता था। मई 2002 में उनका पहला प्रमुख खिताब जर्मन ओपन (अंडर-17) था और उन्होंने दो महीने बाद डच ओपन भी जीता।
2013 में, वह विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय स्क्वैश खिलाड़ी बन गए थे। 2014 में, उन्होंने इंचियोन में 17 वें एशियाई खेलों में रजत पदक (व्यक्तिगत एकल) जीता। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय स्क्वैश खिलाड़ी थे। वह फाइनल में कुवैत के अब्दुल्ला अल-मुजायेन से हार गये। हालांकि उनके नेतृत्व में भारतीय स्क्वैश टीम ने इंचियोन में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। 88 मिनट चली इस भीषण भिड़ंत वाले फाइनल में उन्होंने जैसे तैसे वापसी करते हुए 6-11 11-7 11-6 12-14 11-9 से पूर्व विश्व नं-7 ओंग बेंग ही से जीत हासिल की और भारत को 2-0 की एक मजबूत बढ़त भी दिलाई।