सिंधु ने कहा, अब से सभी की निगाह मुझ पर रहेगी और जिम्मेदारियां (अपेक्षाएं) बढ़ गयी हैं। यह केवल शुरूआत है। मुझे कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद को आज मुंबई में गैर लाभकारी संगठन ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (ओजीक्यू) ने सम्मानित किया। इस अवसर पर सिंधु के माता-पिता और पूर्व वालीबाल खिलाड़ी पीवी रम्मना और विजय को भी सम्मानित किया गया। सिंधु ने कहा, मैं अपनी उपलब्धियों से बहुत खुश हूं। मैंने लगातार दो विश्व चैंपियनशिप में पदक जीते। जब मैंने पहला कांस्य पदक (विश्व चैंपियनशिप में) जीता था तो लोगों ने मुझे पहचानना शुरू कर दिया था। और अब जिम्मेदारियां बढ़ गयी हैं। ओलंपिक चार साल में एक बार होता है। अभी काफी कुछ हासिल करना है। यह 21 वर्षीय खिलाड़ी रियो ओलंपिक में महिला एकल फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन से हार गयी थी। सिंधु ने कहा, वह कुल मिलाकर अच्छा मैच था। वह उसका (मारिन) दिन था और उसने अच्छा खेल दिखाया। पहले दौर से मुकाबले कड़े थे। कोई भी मैच आसान नहीं था। मैंने एक बार में एक मैच पर ध्यान दिया। गोपी सर ने मुझसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और नैसर्गिक खेल खेलने के लिये कहा था। मुझे हमेशा उनका समर्थन मिला और वे मुझे प्रेरित करते रहे हैं। मैंने वास्तव में कड़ी मेहनत की थी और हम प्रत्येक मैच से पहले उसकी बहुत अच्छी तैयारी करते थे।
भाषा