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भारतीय हाॅकी के इतिहास की नायाब धरोहर गायब

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण भारतीय हाॅकी के स्वर्णिम इतिहास की नायाब धरोहर गायब हो चुकी है और साई को महान ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर द्वारा 1985 में दान में दी गई यादगार धरोहरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
भारतीय हाॅकी के इतिहास की नायाब धरोहर गायब

ये चीजें प्रस्तावित संग्रहालय बनाने के लिये दी गई थी जिनमें ओलंपिक ब्लेजर, पदक और दुर्लभ तस्वीरें शामिल थी लेकिन यह संग्रहालय कभी नहीं बना। ओलंपिक तिहरे स्वर्ण पदक विजेता 91 बरस के बलबीर सिंह सीनियर ने 1985 में अपने पदक और धरोहरें तत्कालीन साई सचिव को दी थी और तब उनसे कहा गया था कि इनकी नुमाइश राष्ट्रीय खेल संग्रहालय में की जाएगी। बलबीर सीनियर ने कहा कि उन्हें बाद में बताया गया कि संग्रहालय दिल्ली में बनाया जाएगा।

लंदन ओलंपिक 2012 से पहले जब इसके बारे में पूछा गया तो साई अधिकारियों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। एक साल पहले खेलमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और साई अधिकारियों ने चंडीगढ में बलबीर सीनियर से उनके घर पर मुलाकात की तब मामले की जांच का वादा किया था।

इस बीच पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने दिल्ली स्थित साई कार्यालय और पटियाला के राष्ट्रीय खेल संस्थान से आरटीआई से जानकारी मांगी तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए हैं।  बलबीर सीनियर ने कहा था कि ओलंपिक पदकों और पद्मश्री को छोड़कर उनका सारा सामान उन्होंने दान कर दिया था जिसमें मेलबर्न ओलंपिक का कप्तान का ब्लेजर, तोक्यो एशियाड (1958) में जीते रजत समेत 36 पदक और सौ दुर्लभ तस्वीरें शामिल थीं।

बलबीर के नाती कबीर भोमिया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के ओलंपिक संग्रहालय के लिये मेलबर्न खेलों का ब्लेजर चाहिए था जो लंदन ओलंपिक में नुमाइश में रखा जाना था। वह एकमात्र भारतीय और अकेले हाॅकी खिलाड़ी थे जिन्हें आधुनिक ओलंपिक के 116 साल के इतिहास के महानतम 16 खिलाडि़यों में चुना गया था।

कबीर ने कहा, ‘मैंने तभी साई से उनका ब्लेजर लेने के लिए संपर्क किया। नानाजी (बलबीर सीनियर) के पास ओलंपिक पदकों के अलावा कुछ नहीं था लेकिन साइ अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है।’

खेल सोशियोलोजिस्ट और बलबीर के करीबी प्रोफेसर सुदेश गुप्ता ने कहा , यह शर्मनाक है। ये सामान हमारी राष्ट्रीय खेल धरोहरें थी। यदि यह भारत के महानतम खिलाडि़यों में शुमार बलबीर सिंह सीनियर के साथ हो सकता है तो मुझे लगता है कि यह सिर्फ उदासीन रवैये की बात नहीं है। इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

कबीर ने बताया कि इस मामले में पहली आरटीआई नौ दिसंबर 2014 को डाली गई थी जिसमें साधारण सवाल थे मसलन दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में राष्टीय खेल संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव का क्या जहुआ। बलबीर सीनियर के सामान संबंधी सवाल भी पूछे गए थे। संबंधित अधिकारियों ने पांच जनवरी 2015 को भेजे जवाब में कहा कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में राष्टीय खेल संग्रहालय बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं था और बलबीर सीनियर से सामान भी नहीं मिला था।

दूसरी आरटीआई एनआईएस पटियाला में 19 दिसंबर 2014 को डाली गई जिसका जवाब दो जनवरी 2015 को मिला। इसमें कहा गया है कि उसे दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम से सामान मिला था जो एनआईएस पटियाला में नुमाइश के लिये रखा जाना था।  उन्होंने कहा , आगे पूछने पर एनआईएस पटियाला ने अगली आरटीआई पर जवाब में सामान की 74 पन्ने की सूची सौंपी। इसमें बलबीर सिंह सीनियर के सामान का जिक्र नहीं है।

पहली आरटीआई पर साइ के जवाब से नाखुश वकीलों ने साइ के अपीली प्राधिकरण में आरटीआई दाखिल की जो साइ ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम को भेज दी। कबीर ने बताया , इस आरटीआई का जवाब 19 मार्च 2015 को मिला जिससे हम स्तब्ध रह गए। इसमें जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम द्वारा 1998 में एनआईएस पटियाला को भेजे गए सामान का ब्यौरा था। इसमें 23वें नंबर का सामान 1956 ओलंपिक का ब्लेजर था जो बलबीर सिंह सीनियर से मिला था। यह वही ब्लेजर है जो उन्हें दो बार भारतीय ओलंपिक दल का ध्वजवाहक होने की वजह से मिला था।

जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक और आरटीआई डालकर खास तौर पर पूछा गया था कि उन्हें बलबीर सिंह सीनियर से कोई सामान मिला था या नहीं। कबीर ने बताया , इसका जवाब आठ जून 2015 को मिला जिसमें पिछले जवाब में भेजी गई सूची थी। इसमें भी 23 नंबर पर ओलंपिक ब्लेजर का जिक्र था जो बलबीर सीनियर से मिला था। उन्होंने कहा , इस लापता ब्लेजर के अलावा बाकी सामान का कोई जिक्र नहीं है। इनमें उनके 36 पदक और 100 एेतिहासिक तस्वीरें शामिल हैं। उन्होंने ओलंपिक ( 1948, 1952 और 1956) पदकों के अलावा बाकी सब साई के प्रस्तावित संग्रहालय के लिये दान कर दिया था।

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