गोयल ने कहा कि ध्यान चंद को भारत रत्न दिए जाने से न सिर्फ भारतीय हॉकी बल्कि अन्य खेलों को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। यह पहला मौका नहीं है जब खेल मंत्रालय ने ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग की है। इससे पहले 2013 में यूपीए सरकार के दौरान भी खेल मंत्रालय ने यह मांग की थी। हालांकि उस साल क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को उनके अंतररराष्ट्रीय करियर से संन्यास लेने वाले दिन ही भारत रत्न देने की घोषणा की गई थी।
ध्यानचंद ने तीन ओलंपिक (1928, 1932, 1936) में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी मृत्यु 1979 में हुई थी। जब गोयल से यह पूछा गया कि ध्यानचंद को तेंदुलकर से पहले भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया तो उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर नहीं जाना चाहते क्योंकि इस महान हस्ती से जुड़े इस सवाल पर कोई टिप्पणी करना सही है। उन्होंने कहा कि आप ध्यानचंद की तुलना किसी अवार्ड से नहीं कर सकते। वह इन सब से परे हैं।
गौरतलब है कि ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार और अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी वर्षों से हॉकी के हीरो को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। पिछले साल इस मांग को लेकर पूर्व भारतीय कप्तान अशोक कुमार, अजीत पाल सिंह, जफर इकबाल, दिलीप तिर्की के अलावा सौ से अधिक खिलाड़ी धरने पर भी बैठे थे। 2011 में भी 82 सांसदों ने ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग की थी। भारतीय हॉकी को अलग पहचान दिलाने वाले ध्यानचंद को जन्म 29 अगस्त को हुआ था और इस दिन को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। (एजेंसी)