मंत्रालय ने कड़ा संदेश दिया है कि एेसा नहीं करने पर उनकी मान्यता पर पुनर्विचार किया जाएगा।
आईओए और खेल महासंघों को भेजे पत्र में मंत्रालय ने कहा कि ये निर्देश भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास आचार संहिता 2011 का भी हिस्सा हैं। पत्र के अनुसार, एेसा पाया गया है कि कुछ राष्ट्रीय खेल महासंघ मंत्रालय को जरूरी सूचना देते हैं लेकिन कइयों की वेबसाइट पर यह उपलब्ध नहीं है जिससे आम जनता और संबंधित पक्षों को जानकारी नहीं मिल पाती। इसमें कहा गया कि भारतीय बैडमिंटन संघ और यूनियन बैंक आफ इंडिया के ताजा मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे संजीदगी से लिया है कि राष्टीय खेल महासंघ आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना उपलब्ध नहीं करा रहे हें। अदालत ने 24 दिसंबर 2014 को आदेश दिया कि यह उचित होगा कि राष्टीय खेल महासंघों के कामकाज के तरीकों पर भारत सरकार गौर करे।
लिहाजा आईओए और राष्ट्रीय खेल महासंघों का कागजी काम बचाने की कवायद में यह तय किया गया कि तमाम जानकारी उनकी वेबसाइटों पर उपलब्ध कराई जाए। पत्र में कहा गया कि खेल महासंघों को अपने आॅडिट किए हुए खातों का लेखा-जोखा और पिछले साल की बैलेंस शीट इस साल 30 जून तक वेबसाइट पर डालनी होगी। मंत्रालय को बताया गया है कि खातों के आॅडिट और बैलेंस शीट तैयार करने में समय लगेगा और 30 जून तक इसे वेबसाइट पर डालना संभव नहीं होगा। मंत्रालय ने कहा कि यह तय किया गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष के सालाना खाते आईओए और राष्ट्रीय खेल महासंघों की वेबसाइटों पर 31 दिसंबर तक डाल दिए जाने चाहिए।