यही नहीं वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी बन गई हैं। साक्षी ने कांस्य पदक के मुकाबले में खराब शुरुआत से उबरते हुए किर्गिस्तान की ऐसुलू ताइनीबेकोवा को 8-5 से शिकस्त देकर भारत के लिए कांस्य पदक जीता। साक्षी को क्वार्टर फाइनल में रूस की वालेरिया कोबलोवा के खिलाफ 2-9 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था लेकिन रूस की खिलाड़ी के फाइनल में जगह बनाने के बाद उन्हें रेपेचेज राउंड में खेलने का मौका मिला। दूसरे दौर के रेपचेज मुकाबले में साक्षी का सामना मंगोलिया की ओरखोन पुरेवदोर्ज से हुआ जिन्होंने जर्मनी की लुईसा हेल्गा गेर्डा नीमेश को 7-0 से हराकर भारतीय पहलवान से भिड़ने का हक पाया था।
साक्षी ने ओरखोन को एकतरफा मुकाबले में 12-3 से हराकर कांस्य पदक के मुकाबले में जगह बनाई। कांस्य पदक के मुकाबले में साक्षी की भिड़ंत ताइनीबेकोवा से थी। ताइनीबेकोवा के खिलाफ साक्षी की शुरुआत बेहद खराब रही और वह पहले राउंड के बाद 0-5 से पिछड़ रही थी लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने दूसरे राउंड में जोरदार वापसी करते हुए आठ अंक जुटाए और भारत को रियो ओलंपिक खेलों का पहला पदक दिला दिया।
भारत ने इस तरह बीजिंग ओलंपिक 2008 से कुश्ती में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है और लगातार तीसरे ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने में सफल रहा। बीजिंग में सुशील कुमार ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। सुशील ने इसके बाद लंदन 2012 में अपने कांसे के तमगे को रजत पदक में बदला जबकि योगेश्वर दत्त भी कांस्य पदक हासिल करने में सफल रहे थे। महिला कुश्ती में यह भारत का पहला पदक है। (एजेंसी)
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    