करीब 17 साल तक विश्व फुटबाॅल की सबसे बड़ी संस्था फीफा के अध्यक्ष रहे सैप ब्लाटर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। लगातार पांचवी बार फीफा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद ब्लाटर ने शुक्रवार को ही पद संभाला था। फीफा के अधिकारियों पर करीब एक हजार करोड़ रुपये की घूसखोरी के आरोप लगे हैं, जिसकी वजह से ब्लाटर पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। उनके अचानक पद छोड़ने के फैसले से पूरी दुनिया के फुटबॉल प्रेमी आश्चर्यचकित हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप पड़े भारी
अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा फीफा के उपाध्यक्ष जेरोम वाल्के पर रिश्वतखोरी आरोप लगाए जाने के बाद मंगलवार को ब्लाटर ने अचानक एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर अपने इस्तीफे का ऐलान किया। ब्लाटर का कहना है कि अब एक योग्य पैनल के जरिए नए फीफा अध्यक्ष चुना जाएगा। ब्लाटर 1998 से लगातार फीफा के अध्यक्ष थे। ऐसी खबरें हैं कि नया अध्यक्ष चुने जाने तक ब्लाटर अपने पद पर बने रह सकते हैं। पिछले हफ्ते ही भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में स्विस पुलिस ने फीफा के दो उपाध्यक्षों सहित सात अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इन पर करीब 15 करोड़ डॉलर की रिश्वतखोरी में शामिल होने के आरोप हैं। फीफा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से ब्लाटर की भी खूब आलोचना हो रही थी। इसके बावजूद वह लगातार पांचवी बार अध्यक्ष चुने गए।
यूरोपीय देशों का दबाव
ब्लाटर का अचानक इस्तीफे को शुक्रवार को भ्रष्टाचार के आराेपों और यूरोपीय देशों के बढ़ते दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है। यूरोप के फुटबॉल खेलने वाले देश फीफा से हटकर विश्व कप का आयोजन करने पर विचार करने वाले हैं। यूरोपीय देशों 2018 में रूस में होने वाले फुटबॉल वर्ल्ड का विरोध करने का पूरा मन बना लिया। उन्होंने वर्ल्ड कप के समांतर अलग टूर्नामेंट की योजना बनाई है, जिसे लेकर आगामी शुक्रवार को यूरोप और दक्षिण अमेरिका के फुटबॉल संघों की बैठक होने वाली हैं। माना जा रहा है कि इन देशों की तरफ से लगातार हो रहे विरोध और बढ़ते दबाव के कारण ब्लैटर को इस्तीफे के लिए मजबूर होना पड़ा।
फीफा में सुधार की जरूरत
ब्लाटर का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही फीफा में व्यापक सुधार की जरूरत है और दोबारा चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी अध्यक्षता पर गंभीरता से विचार किया। पद छोड़ने के बाद ब्लाटर ने कहा, मैं दुनिया में जिस एक चीज से लगाव रखता हूं, वह फीफा ही है, मैं इस संस्था का हमेशा भला चाहता हूं।