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धरमपुर में आयोजित ‘12वाँ चिंतन शिविर–2025’: मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का सामूहिक विकास हेतु संदेश

12वाँ चिंतन शिविर – 2025, धरमपुर का समापन समारोह मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल का ‘विकसित गुजरात@2047’...
धरमपुर में आयोजित ‘12वाँ चिंतन शिविर–2025’: मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का सामूहिक विकास हेतु संदेश

12वाँ चिंतन शिविर – 2025, धरमपुर का समापन समारोह

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल का ‘विकसित गुजरात@2047’ के लिए ‘अर्निंग वेल-लिविंग वेल’ के दो स्तंभों पर आधारित विकास यात्रा को गति देने के लिए ‘थिंकिंक वेल-डूइंग वेल’ का भाव जगाने का आह्वान

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल:-

  • गुजरात समग्र देश के लिए विकास का रोल मॉडल बना, इसका श्रेय हमारे सामूहिक चिंतन तथा लोगों का भला करने की इच्छाशक्ति को जाता है
  • अधिकारी ऑनरशिप के साथ पूर्ण समर्पण, दायित्व एवं लोक हित की प्रतिबद्धता से कार्यरत रहें
  • केवल फाइल वर्क से संतोष न मानते हुए नियमित फील्ड विजिट तथा वास्तविक समस्याओं का सूझ-बूझ से सामना करने की पहल वृत्ति कार्यक्षमता को अनेक गुना बढ़ाएगी

मुख्यमंत्री का कुपोषण के विरुद्ध सामूहिक अभियान शुरू करने का संकल्प

उप मुख्यमंत्री श्री हर्ष संघवी:-

  • चिंतन शिविर के विभिन्न विषयों पर गंभीरतापूर्वक चिंतन एवं मनन से सुदूरवर्ती मानव के कल्याण तथा राज्य की विकास यात्रा को गतिमान बनाने का मार्ग स्थापित करें
  • चिंतन शिविर से कुछ नया सीखकर लोगों के कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करें

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों का आह्वान किया है कि वे सभी ‘विकसित गुजरात@2047’ के लिए ‘अर्निंग वेल-लिविंग वेल’ के दो स्तंभों पर आधारित विकास यात्रा को और गति देने के लिए ‘थिंकिंग वेल-डूइंग वेल’ का भाव जगाएँ।

श्री पटेल ने वलसाड जिले में धरमपुर स्थित श्रीमद् राजचंद्र आश्रम में ‘सामूहिक चिंतन से सामूहिक विकास की ओर’ थीम के साथ आयोजित 12वें चिंतन शिविर का शनिवार को समापन कराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प में गुजरात को अग्रसर रखने का जो रोडमैप हमने लोगों के लिए ‘अर्निंग वेल-लिविंग वेल’ मंत्र के साथ तैयार किया है, उसे यह चिंतन शिविर ‘थिंकिंग वेल-डूइंग वेल’ के भाव से वैचारिक कलेवा प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने अधिकारियों से कहा कि वे कर्तव्यों तथा विभागों की जिम्मेदारी ऑनरशिप, पूर्ण समर्पण, दायित्व एवं लोक हित की प्रतिबद्धता के साथ निभाएँ। उन्होंने कहा कि हम जहाँ हों, वहाँ अपना श्रेष्ठ कार्य निष्पादन देकर राज्य के विकास में आम आदमी के सुख-सुविधा के कार्यों में कार्यरत रहेंगे, तभी आत्मसंतोष मिलेगा।

उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि केवल फाइल वर्क करके संतोष न मानते हुए नियमित रूप से फील्ड विजिट, स्थल पर उपस्थिति, वास्तविक समस्याओं का सूझ-बूझ से सामना करने की पहल वृत्ति और लोक हित एवं कल्याण के लिए संवेदना जगाकर कार्यक्षमता में अनेक गुना वृद्धि हो सकती है और हमारे द्वारा किए गए कार्यों के मूल्यांकन से विकास की सच्ची दिशा निर्धारित हो सकती है।

श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2003 में अपने मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू कराए गए चिंतन शिविर की उत्तरोत्तर सफलता में टीम गुजरात का परिश्रम और जन हित का सामूहिक चिंतन फलदायी रहा है। 2003 के प्रथम चिंतन शिविर में श्री मोदी ने प्रेरणा दी थी, “हमारा दृष्टिकोण एकीकृत हो, गाँवों को गरीबी से बाहर निकालें और एक भी परिवार गरीबी रेखा से नीचे न रहे। आज जब भारत 21वीं शताब्दी की ओर अग्रसर है, तब इस शताब्दी को भारत की शताब्दी बनाने में हम सबकी ओर से कुछ योगदान होना चाहिए। यह केवल राजनीतिक या ऑफिशियल कार्यक्रम नहीं है, बल्कि मानवजाति के उत्थान का एक छोटा प्रयास है।”

इस बात का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘जो कहना, वह करना’ का मंत्र अपनाया है और यह बात साकार करते हुए वे करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लेकर आए हैं तथा भारत तीसरी बड़ी आर्थिक महासत्ता बनने जा रहा है। गुजरात में हमने उनके दिशादर्शन में सर्वांगीण विकास की गति तेज बनाकर प्रतिव्यक्ति आय को पिछले ढाई दशक में 19823 रुपए से बढ़ाकर 3 लाख 22 हजार रुपए तक पहुँचाया है।

श्री पटेल ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर के विभिन्न चर्चा सत्रों में हुए सामूहिक विचार-मंथन से मिले सुझावों पर वास्तविक क्रियान्वयन से सर्वांगीण विकास के लिए टीम स्पिरिट के साथ कार्यरत होने का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कुपोषण के विरुद्ध सामूहिक अभियान शुरू करने का संकल्प व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने चिंतन शिविर में समूह चर्चाओं में आए विषयों पर हुए कामकाज के समय-समय पर मूल्यांकन और आगामी चिंतन शिविर में नई ऊर्जा तथा अधिक ऊँचे विकास लक्ष्यों के साथ मिलने की अपेक्षा व्यक्त की।

उप मुख्यमंत्री श्री हर्ष संघवी ने चिंतन शिविर के विभिन्न विषयों पर गंभीरतापूर्वक चिंतन एवं मनन से सुदूरवर्ती मानव के कल्याण तथा राज्य की विकास यात्रा को गतिमान बनाने का मार्ग स्थापित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि शिविर में हुई उदार मन से एवं पारदर्शी चर्चाएँ राज्य के विकास के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। यह जरूरी है कि तीन दिवसीय सामूहिक मनोमंथन से तैयार हुए मुद्दे केवल आर्काइव में ही न रहें, बल्कि उनका उचित डॉक्यमेंटेशन हो, जिसका सीधा लाभ गुजरात के आम नागरिकों को मिले।

श्री संघवी ने चिंतन शिविर से कुछ नया सीखकर लोगों के कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर कार्यरत रहने का अनुरोध करते हुए कहा कि केवल सचिवालय स्तर पर ही नहीं, बल्कि ठेठ जिला प्रशासन तक शिविर की फलश्रुति पहुँचाएँ।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्रीमद् राजचंद्र आश्रम के आध्यात्मिक वातावरण में आयोजित हुआ चिंतन शिविर सभी नागरिकों के हित और किसी गरीब के आँसू पोंछने का संवेदनापूर्ण माध्यम बनेगा। उन्होंने शिविर के आयोजन में सहयोग देने के लिए राजचंद्र मिशन का आभार व्यक्त किया।

तीन दिवसीय चिंतन शिविर के समापन अवसर पर राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, मुख्य सचिव श्री एम. के. दास, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया, वरिष्ठ सचिव, जिला कलेक्टर, जिला विकास अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सुधार एवं प्रशिक्षण प्रभाग के सचिव श्री हारित शुक्ला ने इस शिविर की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

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