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एएसआईसीओएन 2025 का उद्घाटन माननीय गुजरात के मुख्य मंत्री करेंगे

2030 तक एड्स उन्मूलन के लिए, सभी लोगों तक एचआईवी सेवाओं का पहुंचना है ज़रूरी गुजरात में पहली बार हो रहा है...
एएसआईसीओएन 2025 का उद्घाटन माननीय गुजरात के मुख्य मंत्री करेंगे

2030 तक एड्स उन्मूलन के लिए, सभी लोगों तक एचआईवी सेवाओं का पहुंचना है ज़रूरी

गुजरात में पहली बार हो रहा है एचआईवी चिकित्सकीय विशेषज्ञों का राष्ट्रीय अधिवेशन (एएसआईसीओएन 2025)

देश के एचआईवी चिकित्सकीय विशेषज्ञों का 16वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन इस साल अहमदाबाद, गुजरात, में 21-23 फ़रवरी के दौरान आयोजित होगा (एएसआईसीओएन 2025)। यह पहली बार है कि यह प्रतिष्ठित अधिवेशन गुजरात में आयोजित हो रहा है। एचआईवी चिकित्सकीय और आयुर्विज्ञान से जुड़े भारतीय विशेषज्ञों का सबसे प्रमुख चिकित्सकीय संगठन, एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (एएसआई) इस अधिवेशन को आयोजित कर रहा है।

एएसआईसीओएन 2025 अधिवेशन का उद्घाटन, गुजरात के माननीय मुख्य मंत्री श्री भूपेंद्र पटेल 21 फ़रवरी 2025 को करेंगे।

इस एएसआईसीओएन 2025 अधिवेशन के आयोजन में, चिकित्सकीय और आयुर्विज्ञान सहयोगियों में शामिल हैं: भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, गुजरात मेडिकल कौंसिल, इन्फेक्शियस डिजीस सोसाइटी ऑफ़ गुजरात, संयुक्त राष्ट्र का संयुक्त एड्स कार्यक्रम (यूएनएड्स), दक्षिण अफ्रीका का एड्स शोध संस्थान, आदि। गुजरात पर्यटन और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का भारतीय सम्मेलन संवर्धन ब्यूरो भी इस अधिवेशन को समर्थन दे रहा है।

एएसआईसीओएन 2025 अधिवेशन में देश भर से अनेक एचआईवी चिकित्सकीय देखरेख कर रहे विशेषज्ञ और शोधकर्ता भाग लेंगे। अनेक देशों के एचआईवी विशेषज्ञ भी इस अधिवेशन में शामिल हो रहे हैं, जिनमें प्रमुख हैं: दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, केन्या, आदि।

तीन दिवसीय एएसआईसीओएन 2025 अधिवेशन में अनेक विषयों पर एचआईवी संबंधित चिकित्सकीय व्याख्यान और सत्र होंगे, इनमें प्रमुख विषय इस प्रकार हैं: एशिया पसिफ़िक क्षेत्र और भारत के एचआईवी संबंधित नवीनतम आंकड़े, एचआईवी परीक्षण (विशेषकर कि एचआईवी सेल्फ-टेस्ट या एचआईवी आत्म-परीक्षण), एंटीरेट्रोवायरल दवाओं संबंधित नवीनतम शोधपत्र, एचआईवी से बचाव के नवीनतम दवाएं जैसे कि “प्रेप” (जिसमें लेनकपवीर दवा शामिल है (हर 6 महीने में 1 इंजेक्शन), जिसके उपयोग से एचआईवी से संक्रमित होने से लगभग 100% बचा जा सकता है), “डॉक्सी प्रेप” दवा जो कुछ यौन संक्रमणों से बचाती है, एचआईवी और टीबी सह-संक्रमण और एचआईवी और हेपेटाइटिस सह-संक्रमण संबंधित नवीनतम अपडेट, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संबंधित कैंसर, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, साइबर-सिक्योरिटी और स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन, आदि।

भारत और एचआईवी

सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, भारत में एड्स नियंत्रण की ओर सराहनीय प्रगति हुई है। 2010 आंकड़ों की तुलना में, 2023 तक भारत में एड्स दर लगभग आधा हो गई थी (44.23% गिरावट) – जो एड्स दर में वैश्विक स्तर पर आई गिरावट (39%) से भी अधिक थी। इसी तरह, 2010 के आकड़ों की तुलना में, एड्स संबंधित मृत्यु दर में भी 2023 तक 79.26% गिरावट आई, जो 2010-2023 के दौरान वैश्विक एड्स मृत्यु दर में आई गिरावट (51%) से अधिक थी।

भारत में 25.44 लाख लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं। भारत की व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.20% है जो वैश्विक दर से कम है (0.70%)। 2023 में भारत में 68,450 नए लोग एचआईवी पॉजिटिव चिह्नित हुए और 35,870 लोग एड्स-संबंधित कारणों से मृत हुए। 2023 में 19,961 गर्भवती महिलायें एचआईवी पॉजिटिव थीं और उन्हें विशेष चिकित्सकीय द्वाएँ और सहायता प्रदान की गई जिससे कि नवजात शिशु का गर्भावस्था, प्रसूति और स्तनपान के दौरान एचआईवी से संक्रमित होने का ख़तरा शून्य रहे।

गुजरात और एचआईवी

सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, गुजरात प्रदेश में व्यस्क आबादी में एचआईवी दर 0.19% थी। 2023 में गुजरात में 1,20,312 लोग एचआईवी के साथ जीवित थे और 800 लोग एड्स संबंधित कारणों से मृत हुए। 2023 में गुजरात में 2671 नए लोग एचआईवी पॉजिटिव चिह्नित हुए थे। 2010 की तुलना में, 2023 तक गुजरात में एचआईवी दर में 56.86% गिरावट आई थी (जो देश के 2010-2023 के दौरान एचआईवी दर गिरावट (44.23%) से अधिक थी)। एएसआईसीओएन 2025 के सह-अध्यक्ष डॉ हर्ष तोषनीवाल ने कहा कि एएसआईसीओएन 2025 अधिवेशन गुजरात में पहली बार आयोजित हो रहा है जिसका लाभ समस्त चिकित्सकीय समुदाय को मिलेगा, जो गुजरात को एड्स उन्मूलन की दिशा में प्रगति करने में सहायक होगा।

एड्स उन्मूलन के लिए सिर्फ 70माह शेष

भारत समेत सभी सरकारों ने 2030 तक एड्स उन्मूलन का वादा किया है। इसके लिये यह ज़रूरी है कि हर एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति को यह पता हो कि उसे एचआईवी है, उसको जीवनरक्षक एंटीरिट्रोविरल द्वाओं के साथ-साथ सभी एचआईवी सेवाएँ मिल रही हों और उसका वायरल लोड नगण्य रहे। वायरल लोड नगण्य रहेगा तो किसी और को एचआईवी से संक्रमित होने का ख़तरा भी नहीं रहेगा, और एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति स्वस्थ और भरपूर जीवन जी सकेगा। हमें एड्स रोकधाम की ओर अधिक कार्यकुशलता, कार्यसाधकता और प्रभावशीलता के साथ कार्य करना होगा – यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का जो एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के एमेरिटस अध्यक्ष हैं, इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी (आईएएस) की अध्यक्षीय मंडल के भी निर्वाचित सदस्य हैं, और आईएएस एशिया पसिफ़िक के अध्यक्ष हैं। 1986 में जब भारत में पहला व्यक्ति एचआईवी के साथ संक्रमित पाया गया था तब डॉ गिलाडा ने मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल में देश की पहली एचआईवी क्लिनिक की स्थापना की थी।

2025तक पूरे करने हैं 95-95-95 लक्ष्य

डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा कि सभी सरकारों ने वादा किया है कि 2025 तक, 95% एचआईवी के साथ जीवित लोगों को परीक्षण से यह मालूम होना चाहिए कि वह एचआईवी संक्रमित हैं, इनमें से 95% लोगों को जीवनरक्षक एंटी-रेट्रो-वाइरल दवाएँ मिल रही हों, और जिन लोगों को यह दवाएँ मिल रही हों उनमें से 95% का वाइरल-लोड नगण्य रहे।

वर्तमान में भारत में 25.44 लाख लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं जिनमें से 81% को परीक्षण से यह मालूम है कि वह एचआईवी संक्रमित हैं, इनमें से 88% लोगों को जीवनरक्षक एंटी-रेट्रो-वाइरल दवाएँ मिल रही हैं, और जिन लोगों को दवाएँ मिल रही हैं उनमें से 97% लोगों के वाइरल-लोड नगण्य है।

विश्व में 86% को परीक्षण से यह मालूम है कि वह एचआईवी संक्रमित हैं, इनमें से 89% लोगों को जीवनरक्षक एंटी-रेट्रो-वाइरल दवाएँ मिल रही हैं, और जिन लोगों को दवाएँ मिल रही हैं उनमें से 93% लोगों के वाइरल-लोड नगण्य है।

एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ दिलीप मथाई ने कहा कि जिन लोगों को एचआईवी एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मिल रही हैं, उन सभी के (100%) वायरल लोग नगण्य रहे – यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है।

2023 में भारत में जिन नए लोगों की एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई उनमें से 93% को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मिल रही थीं। परंतु अनेक प्रदेशों में यह संख्या कम थी जैसे कि असम, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, और सिक्किम – उदाहरण के लिए, पुडुचेरी में 47% और असम में 76% लोगों को दवाएं मिल रही थीं।

2010-2023 के दौरान, भारत में तो एचआईवी दर में काफ़ी गिरावट आई परंतु कुछ प्रदेशों में दर में बढ़ोतरी हुई, जैसे कि त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में एचआईवी दर 400% बढ़ा और पंजाब और मेघालय में दुगना हुआ। राष्ट्रीय व्यस्क आबादी में एचआईवी दर (0.20%) रहा परंतु कुछ प्रदेशों में अधिक है जैसे कि मिज़ोरम (2.73%), नागालैंड (1.37%), और मणिपुर (0.87%)।

डॉ गिलाडा ने कहा कि शोध द्वारा यह प्रमाणित है कि एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति स्वस्थ और भरपूर जीवन जी सकता है, और सामान्य जीवन यापन कर सकता है। परंतु यह तब ही मुमकिन है जब हर एचआईवी पॉजिटिव इंसान को एचआईवी जाँच मिल सके। यदि किसी भी कारणवश एचआईवी जाँच उसको नहीं मिल पा रही है तो संभवत: एचआईवी सेल्फ-टेस्ट के उपयोग से वह परीक्षण करवाये और फिर एचआईवी की व्यापक स्वास्थ्य सेवा और परामर्श से जुड़े। ऐसे हर व्यक्ति को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ मिलनी ज़रूरी हैं और उसका वायरल लोड नगण्य रहना ज़रूरी है जिससे कि वह स्वस्थ रहे, और उससे किसी को भी एचआईवी संक्रमण फैलने का ख़तरा भी न रहे। इसी तरह एचआईवी से बचाव के सभी साधन जानता को उपलब्ध होने चाहिए। “प्रेप” (पीआरईपी) को सरकारी एचआईवी स्वास्थ्य सेवा में शामिल करना चाहिए।

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