बॉलीवूड एक्ट्रेस पूनम पांडे के ताजा स्टंट ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। हालांकि अपनी मौत की झूठी खबर उड़ाकर उन्होंने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की लेकिन ये उल्टा पड़ गया। सोशल मीडिया पर पूनम ने पहले सर्वाइकल केंसर से अपनी ही मौत की फर्जी खबर चलाई और बाद में सफाई दी कि देश में इस बीमारी के प्रति उदासीन महिलाओं और व्यवस्था को जागरूक करने के लिए ये कदम उठाया। हालांकि उनका ये कदम बेहूदा और प्रचार स्टंट था लेकिन उनके इस कदम ने मेडिकल सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों को दो खेमे में बांट दिया– एक, पूनम पांडे के कथित स्टंट को असंवेदनशील मानता है तो दूसरा खेमा इसे जागरूकता अभियान में मददगार मानता है। उनका तर्क है कि पूनम ने अपनी फर्जी मौत की खबर से करोड़ों महिलाओं को इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानने समझने की उत्सुकता जागी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बामारी है जिसे शुरुआती लक्षण के बाद सही इलाज से ठीक किया जा सकता है। लेकिन हमारे देश में इस बीमारी के बारे में महिलाओं को ज्यादा कुछ नहीं पता इसलिए वे लापरवाह रहतीं हैं।
विश्व में सर्वाइकल कैंसर के मरीजों में सबसे अधिक 16 प्रतिशत महिलाएं भारत में हैं और मृत्यु दर हर साल 15 प्रतिशत से ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में 15 से 44 आयुवर्ग की महिलाओं में ये कैंसर दूसरे नम्बर पर आता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि वहां जागरुकता की कमी के साथ साथ मेडिकल सुविधाएं भी कम है।ऊपर से इस बीमारी के साथ सामाजिक शर्म (स्टिगमा) जुड़ा है जिसके कारण महिलाएं बीमारी के लक्षण को छिपा लेतीं हैं। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के नीचले भाग में होता है जिसे सर्विक्स कहा जाता है। ये खतरनाक रोग ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एच पी वी) के संक्रमण से होता है। सर्विक्स योनि से जुड़ा होता है इसलिए असुरक्षित सम्भोग से ये फैल सकता है। दुर्भाग्य से हमारे देश में इस बीमारी के शुरुआती परीक्षण और सरकारी अभियान नहीं के बराबर है।
भारत में तेजी से फैल रही इस बीमारी के कई कारण हैं जिनमें सबसे प्रमुख है जानकारी का अभाव और परीक्षण में देरी।महिलाओं को ये तक नहीं पता कि बीमारी है क्या और इसके लक्षण क्या हैं। उन्हें ये भी नही मालूम कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है जिसे एचपीवी वैक्सीन कहा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की समस्या और गंभीर है जहां पुरुषों को भी इस बीमारी की भयावहता के बारे में कुछ पता नहीं होता। ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं होतीं इसलिए उन्हें परिवार पर निर्भर रहना पड़ता है। गरीबी और मेडिकल सुविधाओं की कमी इस बीमारी के तेजी से फैलने में मददगार साबित हो रही है। भारत सरकार ने सर्वाइकल कैंसर को नियंत्रित करने के लिए कार्यक्रम चलाए हैं। ये राष्ट्रीय कार्यक्रम कैंसर के अलावा मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक (NPCDCS) को नियंत्रित करने के लिए शुरु किए लेकिन राज्यों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की जबर्दस्त कमी कार्यक्रम को सफल नहीं बना पा रही है। इस बीमारी के नियंत्रण में एक बड़ी बाधा ये भी है कि देश के ग्रामीण इलाकों में न तो कोई एचपीवी वैक्सीन के बारे में जानता है और न ही ये वहां उपलब्ध है।
सामाजिक और पारिवारिक कुरीतियां (स्टिगमा) बीमारी को तेजी से बढ़ा रही है जिसका एकमात्र समाधान शिक्षा या जागरूकता है। महिलाओं को ये जरूर जान लेना चाहिए कि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या हैं, ये क्यों होते हैं और क्या इससे बचने का कोई तरीका है। इस समस्या का मुकाबला करने के लिए सबसे पहले प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना होगा। कैंसर के रिस्क फैक्टर इसी से जुड़े होते हैं। कम उम्र में लड़कियों की शादी, असुरक्षित सम्भोग, अस्वच्छ प्रजनन व्यवस्था महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के सबसे बड़े कारण हैं। आज भी हजारो गांव ऐसे हैं जहां महिलाएं पीरियड के दौरान अस्वच्छ कपड़े का इस्तेमाल करतीं हैं। ज्यादातर जगहों पर पैड उपलब्ध नहीं होता और अगर हुआ भी तो उसे खरीदने की क्षमता बहुत कम के पास होती है। सरकार की ओर से स्कूलों में मुफ्त पैड की व्यवस्था की जाती है लेकिन वे लड़कियां और महिलाएं इससे वंचित हो जातीं हैं जो स्कूल नहीं जातीं। ये भी सच है कि दूर दराज के इलाकों के कई स्कूलों में ये सुविधा नहीं पहुंच पाती। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में नयूट्रिशन की कमी इस समस्या को और बढ़ाती हैं। कैंसर से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि इन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ साथ मुफ्त एचपीवी टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए।
सबसे बड़ी बात ये है कि महिलाओं को ये जान लेना चाहिए कि सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हैं। इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है – योनि से खून बहना। ये पीरियड के बाद या सम्भोग के बाद हो सकता है। यहां तक कि मेनोपॉज के बाद भी ये लक्षण दिख सकते हैं जिन्हें हल्के में नहीं लिया जाना जाहिए। अगर इन शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया गया तो पेशाब करते समय दर्द और योनि के पास के अंगों में दर्द शुरू हो जाता है जिसे खतरे की घंटी माना जा सकता है। ये ऐसे लक्षण हैं जिनके बारे में महिलाएं बात करने से कतरातीं हैं। रोग धीरे धीरे बढ़ता जाता है। वे डॉक्टर के पास तब जातीं हैं जब पीड़ा असहनीय हो जाती है। तबतक काफी देर हो चुकी होती है।
एक्ट्रेस पूनम पांडे ने स्टंट के जरिए हमें इस समस्या पर बहस करने को मजबूर कर दिया है जिससे सकारात्मक नतीजा निकालने की कोशिश होनी चाहिए।