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मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने दीनदयाल शोध संस्थान तथा गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘पोषण उत्सव’ का शुभारंभ कराया

मुख्यमंत्री के करकमलों से पोषण की सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया...
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने दीनदयाल शोध संस्थान तथा गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘पोषण उत्सव’ का शुभारंभ कराया

मुख्यमंत्री के करकमलों से पोषण की सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया गया

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि प्रकृति द्वारा दिए गए प्राकृतिक पदार्थों एवं पोषक तत्वों से परिपूर्ण खान-पान की आदत का अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘बैक टु बेसिक’ का जो मंत्र दिया है, वह हमें भारत की विविधतापूर्ण प्रथाओं तथा व्यंजनों की ओर केन्द्रित होने का दिशा-निर्देश देता है।

श्री पटेल ने शुक्रवार को दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) तथा गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘क्षेत्रीय पोषण उत्सव’ का शुभारंभ कराते हुए यह बात कही।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के करकमलों से ‘पोषण उत्सव – कॉफी टेबल’ पुस्तक का अनावरण भी किया गया। यह पुस्तक पोषण की भारतीय परंपरा विषय पर तैयार की गई है।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने हमें छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने का मार्गदर्शन हमेशा दिया है।

श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान, हर घर शौचालय, सौर ऊर्जा का कार्यक्षम उपयोग, कैच द रन – जल संचय, एक पेड़ माँ के नाम अंतर्गत वृक्षारोपण, श्री अन्न का भोजन में समावेश जैसी छोटी, पर अत्यंत प्रभावी व महत्वपूर्ण बातों पर देश का मार्गदर्शन किया है।

मुख्यमंत्री ने परंपरागत भोजन विज्ञान एवं भारतीय व्यंजनों का महत्व समझाते हुए कहा कि वर्षा ऋतु के दौरान उपवास करने की बात हर धर्म में कही गई है। वर्षा ऋतु में पाचन शक्ति मंद हो जाती है, तब मिताहार भी उतना ही आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमें ऋतु के अनुसार आहार लेना सिखाती है। हमारी धार्मिक परंपराएँ तथा हमारे त्योहार स्वाद के लिए नहीं, बल्कि पोषण व स्वास्थ्य के लिए भोजन लेने की हिमायत करते हैं।

उन्होंने जोड़ा कि हमारे मंदिरों तथा धार्मिक पर्वों में दिए जाने वाले प्रसाद में भी पोषण का ध्यान रखा जाता है। भारतीय परंपराओं में धर्म एवं विज्ञान एक-दूसरे के पूरक बनकर समानांतर चलते होने का प्रमाण है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि वर्तमान समय में भौतिकता पर अधिक बल दिया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। ‘पहेलुं सुख ते जाते नर्या’ (पहला सुख, निरोगी काया) कहावत का अनुकरण करने की आवश्यकता है। शरीर स्वस्थ होगा, तो ही भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद उठाया जा सकेगा।

इस अवसर पर गुजरात विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने भोजन में पोषण के महत्व के विषय में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि हाल में बढ़ती जा रही बीमारियों के बीच यदि हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखना है, तो पोषण युक्त आहार लेना ही हितकर है।

उन्होंने राज्य सरकार द्वारा गुजरात विश्वविद्यालय को प्राप्त 5+ रेटिंग के लिए मुख्यमंत्री तथा शिक्षा विभाग का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन, श्री गिरीश शाह, श्री भरत पंड्या, डॉ. मीना कुमारी तथा संस्थान से जुड़े सदस्य एवं विद्यार्थी सहित लोग उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल:

  • भारतीय परंपराओं में धर्म एवं विज्ञान एक-दूसरे के पूरक बनकर समानांतर चलते हैं
  • शरीर स्वस्थ होगा, तो ही भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद उठाया जा सकेगा

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