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गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ के अंतर्गत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सहकारी नेताओं की एक दिवसीय कार्यशाला

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया के समक्ष सहकारी क्षेत्र का श्रेष्ठ मॉडल...
गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ के अंतर्गत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सहकारी नेताओं की एक दिवसीय कार्यशाला

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया के समक्ष सहकारी क्षेत्र का श्रेष्ठ मॉडल प्रस्तुत कर ‘सहकार से समृद्धि’ के जरिए देश को आगे रखेगा: मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल
  • जिला मध्यस्थ सहकारी बैंकों, दूध उत्पादक सहकारी संघों, खेती बैंक और गुजकोमासोल सहित अन्य सहकारी संस्थाओं के नेता सहभागी हुए

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल :-

  • अंतिम छोर के व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा में लाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहकारी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण
  • नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 में 2034 तक जीडीपी में सहकारी क्षेत्र के योगदान को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है
  • आजादी से पहले महात्मा गांधी और सरदार साहब की अगुवाई में असहयोग आंदोलन में अग्रणी रहा गुजरात आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रथम सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में ‘सहकार से समृद्धि’ के द्वारा सहकारिता क्षेत्र में भी आगे

विधानसभा अध्यक्ष श्री शंकरभाई चौधरी :-

  • सहकारिता आजादी के पहले से ही भारत की आत्मा रही है
  • गुजरात ने सहकारिता क्षेत्र में अभिनव आयामों से देश के सहकारी मॉडल को एक नई दिशा दिखाई है

सहकारिता राज्य मंत्री श्री जगदीश विश्वकर्मा :-

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व और पहले सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने अल्पकाल में ही सहकारिता क्षेत्र में अनेक प्रभावी पहलें की हैं
  • सहकारिता के कार्यों में एकरूपता बनाए रखने के उद्देश्य से पैक्स के लिए ‘मॉडल बायलॉज’ बनाए गए हैं

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया के समक्ष सहकारी क्षेत्र का श्रेष्ठ मॉडल प्रस्तुत कर आने वाले समय में सहकारिता क्षेत्र में भी देश को आगे रखेगा।

उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 ‘सहकारिताएं एक बेहतर दुनिया का निर्माण करती हैं’ थीम के साथ मनाया जा रहा है। इस संदर्भ में बुधवार को गांधीनगर में ‘सहकार से समृद्धि’ के अंतर्गत जिला मध्यस्थ सहकारी बैंकों, दूध उत्पादक सहकारी मंडलियों, खेती बैंक और गुजकोमासोल सहित अन्य सहकारी संस्थाओं के अग्रणियों की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई।

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने इस कार्यशाला में अध्यक्षीय संबोधन देते हुए कहा कि स्वतंत्रता से पहले गुजरात के दो सपूत महात्मा गांधी और सरदार पटेल की अगुवाई में हुए असहयोग आंदोलन में अग्रणी रहा गुजरात आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रथम सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में ‘सहकार से समृद्धि’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ के विजन को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि अंतिम छोर के व्यक्ति को विकास की मुख्यधारा में लाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहकारी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विशेष रूप से प्राथमिक सहकारी मंडलियां इसके लिए और स्वदेशी से आत्मनिर्भरता का उचित प्लेटफॉर्म है।

इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत को 140 करोड़ भारतवासियों का संकल्प और जनांदोलन बनाया है। हम आत्मनिर्भरता के लिए सहकारी मंडलियों और स्वयं सहायता समूहों की मंडलियों द्वारा बनाई गई वस्तुएं खरीदकर आत्मनिर्भर भारत के साथ ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ पहल को गति दे सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस-पैक्स) में स्थानीय कॉर्पोरेट कंपनी बनने की संभावनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सहकारी क्षेत्र के अग्रणी साथ मिलकर इसे साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में देश में आजादी के दशकों बाद एक अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है।

इतना ही नहीं, कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के विकास की प्रधानमंत्री की विचारधारा के अनुरूप नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 भी देश के प्रथम सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने हाल ही में घोषित की है।

इस नीति की विशेषता पर रोशनी डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नई सहकारिता नीति का लक्ष्य अधिक से अधिक नागरिकों को सहकारिता आंदोलन के साथ जोड़ने के साथ-साथ 2034 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सहकारिता क्षेत्र के योगदान को तीन गुना बढ़ाना है। इस नीति में सहकारी संस्थाओं की संख्या लगभग 30 फीसदी बढ़ाने और हरेक ग्राम पंचायत में कम से कम एक सहकारी सोसाइटी बनाने का विचार भी शामिल है।

मुख्यमंत्री ने इस वर्ष सरदार पटेल की जयंती के 150वें वर्ष और सरदार साहब द्वारा त्रिभुवनदास पटेल के सहयोग से विकसित किए गए सहकारिता के फलक का स्मरण किया और सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षित मैनपॉवर की उपलब्धता के लिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना के प्रधानमंत्री के दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विकसित भारत 2047 का संकल्प दिया है, लेकिन उससे पहले वर्ष 2035 में गुजरात के लिए राज्य की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने का अवसर आएगा। ये दोनों अवसर गुजरात के सहकारिता क्षेत्र के लिए आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का दिशादर्शन करते हुए विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात के निर्माण के अवसर हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सहकारिता क्षेत्र के सर्वग्राही विकास के लिए दीर्घ और अल्प कालिक लक्ष्य निर्धारित करते हुए सहकार से समृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र के सभी अग्रणियों को प्रेरणा दी।

कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री राघवजी पटेल, वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री मुळुभाई बेरा तथा वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्री मुकेशभाई पटेल भी इस कार्यशाला में मौजूद रहे।

विधानसभा अध्यक्ष और बनास डेयरी के चेयरमैन श्री शंकरभाई चौधरी ने कहा कि सहकारिता आजादी के पहले से ही भारत की आत्मा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की विशिष्ट पहल से भारत में नया सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद प्रथम सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अगुवाई में देश में सहकारिता क्षेत्र में अनेक नए प्रकल्प शुरू हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज भी ज्यादातर सहकारी नेता अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के कल्याण के लिए तथा सहकारी ढांचे को और अधिक मजबूत बनाने के लिए निरंतर सेवारत हैं। गुजरात सहित भारत में ऐसे अनेक सहकारी नेता हैं, जिन्होंने सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए अपना जीवन समर्पित किया है, उनकी सराहना होनी चाहिए।

बतौर सहकारी नेता अपने अनुभव साझा करते हुए श्री शंकरभाई चौधरी ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान गुजरात में सहकारी ढांचे को बरकरार रखने और लाखों सभासदों के हित में अनेक कल्याणकारी निर्णय किए थे। इस सहकारी ढांचे को और अधिक गति देने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन और सहकारिता राज्य मंत्री श्री जगदीश विश्वकर्मा के नेतृत्व में गुजरात ने अनेक नए आयाम शुरू कर सहकारी मॉडल क्षेत्र में पूरे देश को एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने कहा कि वर्षों पहले किसान अपनी फसल तैयार होने के बाद उसमें से कुछ हिस्सा गांव के अन्य वर्गों को देते थे, और जब किसान को कोई जरूरत पड़ती थी तब ये वर्ग विभिन्न स्वरूपों में उनकी मदद किया करते थे। लिहाजा, यह कहना ठीक ही होगा कि उस समय भी सहकारिता की भावना अस्तित्व में थी।

श्री चौधरी ने कहा कि आजादी से पहले गांधी जी ने ग्राम स्वराज की संकल्पना दी थी। भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीके से सहकारी ढांचे का गठन हुआ था। उस समय गुजरात में त्रिभुवनदास पटेल के नेतृत्व में सहकारी ढांचे की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे हमेशा इस बात का आग्रह करते थे कि सहकारिता क्षेत्र में समय-समय पर चुनाव होने चाहिए, तभी संबंधित संस्थाओं को विकास के नए अवसर मिलेंगे।

इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री श्री जगदीश विश्वकर्मा ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता गतिविधियों को फिर से बढ़ावा देने के लिए एक अलग सहकारिता मंत्रालय की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व और केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के सक्षम मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने काफी कम समय में ही सहकारिता क्षेत्र में अनेक प्रभावी पहलें की हैं।

श्री विश्वकर्मा ने कहा कि आज देश में 30 करोड़ से अधिक सभासदों के साथ 8 लाख से अधिक सहकारी मंडलियां (समितियां) संचालित हैं। इसके अलावा, देश में पंजीकृत 1.8 लाख पैक्स में से गुजरात में 10 हजार से अधिक पैक्स कार्यरत हैं। सहकारी कार्य में एकरूपता बनी रहे, इस उद्देश्य से पैक्स के लिए ‘मॉडल बायलॉज’ भी तैयार किए गए हैं।

सहकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वप्न है कि देश के प्रत्येक गांव का किसान समृद्ध हो। इस दिशा में मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में देश में सर्वप्रथम गुजरात में ‘कोऑपरेशन अमॉन्ग कोऑपरेटिव मूवमेंट’ शुरू किया गया है, जिसमें दूध उद्योग ग्रामीणों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

श्री विश्वकर्मा ने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र द्वारा अविरत प्रयासों के परिणामस्वरूप बैंकों में जमाकर्ताओं का विश्वास बहुत अधिक बढ़ गया है।

गुजरात राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन श्री अजयभाई पटेल ने कहा कि गुजरात ने सहकारी ढांचे को डिजिटल बनाने की अनूठी पहल की है। गुजरात के 18 हजार में से अधिकतर गांवों में पशुपालकों को उनके दूध का भुगतान माइक्रो एटीएम की सुविधा के जरिए किया जाता है। माइक्रो एटीएम एक प्रकार के मिनी बैंक की भूमिका निभाते हैं। गुजरात के सहकारी मॉडल का अध्ययन करने के लिए अनेक राज्यों के सहकारी मंत्री और नेता गुजरात का दौरा कर रहे हैं।

इस अवसर पर सहकारिता विभाग के सचिव श्री संदीप कुमार ने स्वागत संबोधन में कहा कि गुजरात सहकारिता क्षेत्र में देश भर में महत्वपूर्ण और अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आज राज्य में हजारों सहकारी संस्थाएं खेती, डेयरी, बैंकिंग, मार्केटिंग, क्रेडिट, हाउसिंग और कुटीर उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दे रही हैं।

इस मौके पर कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग के अंतर्गत चीनी निदेशक श्री सुनीलकुमार पी. चौधरी ने केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया।

कार्यक्रम में गांधीनगर की महापौर श्रीमती मीराबेन पटेल, विधायकगण, इफको के चेयरमैन श्री दिलीपभाई संघाणी, गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के चेयरमैन श्री अशोकभाई चौधरी सहित विभिन्न सहकारी मंडलियों और बैंकों के चेयरमैन, निदेशक मंडल और पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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