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राधा कृष्ण के रिश्ते पर ये क्या बोल गए कानपुर वाले करौली बाबा, मचा बवाल

कानपुर के करौली शंकर महादेव या करौली बाबा के नाम से प्रसिद्ध बाबा अक्सर अपने अटपटे बयानों के ज़रिए...
राधा कृष्ण के रिश्ते पर ये क्या बोल गए कानपुर वाले करौली बाबा, मचा बवाल

कानपुर के करौली शंकर महादेव या करौली बाबा के नाम से प्रसिद्ध बाबा अक्सर अपने अटपटे बयानों के ज़रिए खबरों में बने रहते है। हाल ही में चल रहे करौली सरकार पूर्वज मुक्ति धाम में चल रहे पूर्णिमा त्रिदिवसीय महासम्मेलन में करौली शंकर महादेव ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है आपको बता दे करौली शंकर महादेव के दरबार करौली सरकार धाम में त्रिदिवसीय महासम्मेलन आयोजित किया गया है जिससे देश विदेश से भक्त हजारों की संख्या में जुड़ गए है । महासम्मेलन के दूसरे चरण के प्रवचन में करौली बाबा ने राधा कृष्ण को लेकर कुछ ऐसी बातें कही जिससे वहां मोजूद भक्तगण भी हैरान रह गए।

करौली बाबा ने कहा कि राधा रानी का ज़िक्र किसी भी ग्रंथ में नहीं है। ना ही महाभारत में राधा रानी का उल्लेख है और ना ही भागवत पुराण में। करौली शंकर महादेव ने आगे कहा कि श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियां थी तो राधा से शादी करने में उन्हें क्या आपत्ति हो सकती थी। आठ पट रानियां होने के बाद भी अगर श्री कृष्ण चाहते तो उनसे शादी कर सकते थे, आखिर उन्हें रोकने वाला कौन था। परंतु आगे जाकर उन्होंने राधा रानी को लेकर सत्य सभी के सामने रखा।

उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों द्वारा राधा, रुक्मणि और सत्यभामा को तीन नाड़ियों में बांट दिया। रुक्मणि को ठंडी तासीर का बताया गया तो वही सत्यभामा को गरम व तेज़ बताया गया जबकि राधा को ज्ञान का प्रतीक माना गया। राधा ज्ञान की ओर ले जाने वाली नदी है जिसका नाम है सुशोभना, यह वह नाम है जो साधक लोग अपने बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं। गुरु जी ने आगे कहा कि कृष्णा तो योगेश्वर हैं और इस योगेश्वर की उपाधि को सम्मान देने के लिए ही राधा का इस्तेमाल हुआ। और इस किरदार को कुछ बुद्धिमानों ने इस ढंग से प्रस्तुत किया की कृष्ण की असली छवि लोगों के सामने रखने के लिए उन्हें आज भी संघर्ष करना पड़ता है।

उन्होंने उदाहरण दिया कि कृष्ण के सर पर मोर का पंख क्यों देखने को मिलता है? वो इसलिए क्योंकि ऐसे माना जाता है कि श्री कृष्ण ने कभी भी किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए। ठीक उसी तरह जिस तरह से मोर भी अपनी मोरनी को गर्भवती करने के लिए कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाता अपितु प्रकृति ने उसे संभोग करने का अलग मध्यम प्रदान किया है। तो ऐसे में इतने पवित्र आराध्य का इस तरह किसी के साथ प्रेम प्रसंग का उल्लेख करना कहां तक सही है यह इस समाज को खुद तय करना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि पुराणों में तो श्री कृष्ण का वर्णन इतना ओंछा है कि कोई माता पिता उसे अपने बच्चे के सामने पढ़ नहीं पाएंगे। करौली बाबा ने अंत में कहा कि कभी भी किताबों पर आंख मूंद कर भरोसा ना करें व अपने अनुभव के जरिए जीवन यापन करें। इसके बाद से ही तरह तरह की प्रक्रियाएं देश विदेश से आने लगी है। जहां कई लोगो ने बाबा को सही बताया है तो वही कुछ लोगो ने इनकी निंदा कर कार्यवाही की मांग की है ।

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