दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि शहर में किसी भी झुग्गी को तब तक नहीं तोड़ा जाएगा जब तक उसमें रहने वालों को पक्का घर नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर उनकी सरकार सभी के लिए सम्मान और आवास सुनिश्चित करने के लिए नीतियों में संशोधन करेगी।
गुप्ता ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सतत विकास पर आयोजित सेमिनार "ग्रोथ भी, ग्रीन भी" में दिल्ली की सूरत बदलने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि शहर को अब बेहतर स्कूल, अस्पताल, सड़कें, पानी और सीवर लाइनें, सौर और वर्षा जल संचयन प्रणाली तथा पुनर्जीवित यमुना के साथ विकास में तेजी लानी चाहिए।
दिल्ली की प्रगति में तेजी लाने के प्रधानमंत्री के आह्वान का जिक्र करते हुए गुप्ता ने कहा, "पीएम ने बोला है - दिल्ली आगे बढ़ेगी तो देश आगे बढ़ेगा।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके सभी मंत्री प्रतिदिन 16 से 18 घंटे काम कर रहे हैं ताकि दिल्ली को अन्य राज्यों और शहरों की गति के बराबर पहुंचने में मदद मिल सके, जो पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी से आगे निकल गए हैं।
उन्होंने दशकों की विकासात्मक उपेक्षा का जिक्र करते हुए कहा, "दिल्ली के लोगों ने इन 27 वर्षों में बहुत कुछ खोया है। अब हमें दिल्ली को शून्य से एक नई शुरुआत देनी होगी।"
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री गुप्ता ने आश्वासन दिया कि जब तक झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को स्थायी आवास उपलब्ध नहीं करा दिया जाता, तब तक एक भी झुग्गी-झोपड़ी नहीं तोड़ी जाएगी।
उन्होंने कहा, "हर एक को मकान देंगे, और एक भी झुग्गी टूटने नहीं देंगे।" गुप्ता ने पुराने श्रम नियमों की भी आलोचना की, खासकर 1954 के उस नियम की, जो महिलाओं को रात की पाली में काम करने से रोकता था।
उन्होंने कहा, "रात में काम करना है या नहीं, यह महिलाओं की अपनी पसंद होनी चाहिए। सरकार उन पर निर्णय नहीं थोप सकती।" उन्होंने घोषणा की कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए अधिक अवसर सुनिश्चित करने के लिए यह प्रतिबंध हटा दिया है, साथ ही सुरक्षित कार्य वातावरण का वादा भी किया है।
गुप्ता ने कहा, "दिल्ली भारत की राजधानी है और यह तेज़ विकास, बेहतर बुनियादी ढाँचे, तकनीक और अपने निवासियों के लिए बेहतर जीवन की हक़दार है। लेकिन अब हमारे पास इसे फिर से बनाने और इसे सही दिशा में ले जाने का मौका है।"