हिंदी सिनेमा में स्टार किड्स की लंबी परंपरा रही है। सितारों के पुत्र-पुत्रियों की लंबी फेहरिस्त है जिन्होंने सिनेमाई पर्दे को अपने रंगोआब और प्रतिभा से कायल करना चाहा। उनमें कुछ तो चमक उठे और कई गुमनामी के अंधेरे में खो गए। एक झलक उनके करियर पर
शम्मी कपूर (1931 - 2011) : पृथ्वीराज कपूर के बेटे शम्मी कपूर ने 1953 में फिल्म जीवन ज्योति से अपने अभिनय के सफर की शुरुआत की। शुरुआती फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं मगर शम्मी ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी अलग पहचान बनाई। शम्मी कपूर को हिंदी सिनेमा का पहला डांसिंग स्टार कहा जाता है। उनकी नृत्य प्रतिभा बेहतरीन थी।
शशि कपूर (1938 - 2017) : पृथ्वीराज कपूर के बेटे शशि कपूर ने 1961 में निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म धर्मपुत्र से बतौर हीरो अपने अभिनय के सफर की शुरुआत की और करीब 116 फिल्मों में काम किया। शशि कपूर को हिंदी सिनेमा के स्टाइल आइकॉन की तरह देखा जाता है। वे हिंदी सिनेमा में सबसे अधिक फीस लेने वाले अभिनेताओं में एक रहे। हिंदी फिल्मों के साथ शशि कपूर ने अंग्रेजी की फिल्मों में भी काम किया।
ऋषि कपूर (1952 – 2020) : हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने फिल्म मेरा नाम जोकर से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने अभिनय की शुरुआत की। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। फिल्म बॉबी से ऋषि कपूर ने एक अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। उनका अभिनय, डांस और ड्रेसिंग सेंस फैशन स्टेटमेंट बन गया। कर्ज, खेल खेल में, लैला मजनू, प्रेम रोग, चांदनी, अमर अकबर एंथनी जैसी फिल्मों ने ऋषि कपूर को सुपरस्टार बना दिया।
राज कपूर (1924 - 1988) : हिंदी सिनेमा और रंगमंच के पितामह कहे जाने वाले पृथ्वीराज कपूर के पुत्र राज कपूर ने बतौर अभिनेता 1947 में निर्देशक केदार शर्मा की फिल्म नीलकमल से शुरुआत की। आग, बरसात, आवारा, बॉबी, जिस देश में गंगा बहती है, संगम जैसी फिल्मों से राज कपूर ने हिंदी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी। अभिनेत्री नरगिस के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई।
रणबीर कपूर (1982) : ऋषि कपूर और नीतू सिंह के पुत्र रणबीर कपूर मौजूदा पीढ़ी के सबसे सफल कलाकारों में गिने जाते हैं। अब तक छह फिल्मफेयर पुरस्कार जीत चुके रणबीर बॉलीवुड में सबसे ज्यादा फीस लेने वाले अभिनेताओं में शामिल हैं। निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म सांवरिया से अभिनय सफर की शुरुआत करने वाले रणबीर कपूर की अभिनय क्षमता उन्हें विरासत में मिली है।
राजीव कपूर ( 1962 – 2021) : राज कपूर के बेटे राजीव कपूर अपने पिता की तरह कामयाबी हासिल नहीं कर सके। राजीव कपूर ने 1983 में फिल्म एक जान हैं हम से अपने सफर की शुरुआत की। उन्हें केवल एक फिल्म राम तेरी गंगा मैली के लिए याद किया जाता है। 1985 में रिलीज हुई इस फिल्म में उनकी जोड़ी मंदाकिनी के साथ पसन्द की गई। बतौर निर्देशक उन्होंने प्रेमग्रंथ बनाई, जो फ्लॉप साबित हुई।
संजय दत्त (1959) : सुनील दत्त और नरगिस के पुत्र संजय दत्त ने फिल्म रॉकी से अपने फिल्मी करियर की शानदार शुरुआत की। संजय दत्त हिंदी सिनेमा के विरले अभिनेता हैं जिनकी खलनायक छवि को भी दर्शकों ने बेइंतहा मोहब्बत दी। ड्रग्स और आर्म्स एक्ट के केस में उलझने के कारण उन्होंने जीवन में भयंकर संघर्ष का दौर देखा, लेकिन मजबूती के साथ वापसी की और अपने अभिनय के दम पर हिन्दी सिनेमा के शीर्ष अभिनेताओं में जगह बनाई। साजन, वास्तव, खलनायक, मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई, अग्निपथ और हाल में आई केजीएफ 2 जैसी फिल्मों में जबरदस्त अभिनय के साथ वे आज भी लगातार सक्रिय हैं।
काजोल ( 1974 ) : अभिनेत्री तनुजा की बेटी काजोल को हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है। काजोल ने 1992 में फिल्म बेखुदी से अपने अभिनय की शुरुआत की। बाजीगर, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कुछ कुछ होता है, फना, कभी खुशी कभी गम, करन अर्जुन, गुप्त, दुश्मन, प्यार किया तो डरना क्या, प्यार तो होना ही था, दिलवाले, तानाजी जैसी फिल्मों के माध्यम से काजोल ने हिन्दी सिनेमा में अपनी विशेष पहचान बनाई।
रणधीर कपूर (1947) : राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने अपने अभिनय की शुरुआत 1971 में रिलीज हुई फिल्म कल आज और कल से की। वह इस फिल्म के निर्देशक भी थे। रणधीर कपूर का फिल्मी करियर अपने पिता की तरह कामयाब नहीं रहा मगर उन्होंने जवानी दीवानी, रामपुर का लक्ष्मण, चाचा भतीजा जैसी कुछ यादगार फिल्मों में जरूर काम किया।
करिश्मा कपूर (1974) : अभिनेता रणधीर कपूर और अभिनेत्री बबीता की बेटी करिश्मा कपूर ने 1991 में फिल्म प्रेम कैदी से अपने अभिनय की शुरुआत की। नब्बे के दशक में गोविंदा के साथ उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। अपने अभिनय के लिए उन्हें चार बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सुनील आनंद (1956) : देव आनंद के पुत्र सुनील आनंद के हिस्से में अपने पिता जैसी शोहरत नहीं आई। सुनील आनंद ने 1984 में आनन्द और आनन्द से करियर की शुरुआत की, मगर फिल्म को वह सफलता नहीं मिली जिसकी उम्मीद थी।
कुणाल गोस्वामी (1961) : मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने 1981 में फिल्म क्रांति से अभिनय की शुरुआत की। बतौर मुख्य अभिनेता कुणाल ने 1983 में घुंघरू और कलाकार में काम किया मगर ये असफल साबित हुईं। कुणाल ने सिनेमा और टीवी की दुनिया में भी कुछ प्रयास किए।
करण देओल (1990) : सनी देओल के बेटे करण देओल ने 2019 में फिल्म पल पल दिल के पास से अभिनय की शुरुआत की। निर्देशन सनी देओल ने किया था, लेकिन फिल्म असफल रही। अभी उनका करियर शुरुआती दौर में है इसलिए भविष्य में सफलता की उम्मीद की जा सकती है।
ईशा देओल (1981) : धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल ने 2002 में फिल्म कोई मेरे दिल से पूछे से अभिनय की शुरुआत की। उनका फिल्मी करियर अपने माता-पिता जैसा सफल तो नहीं रहा मगर उनके हिस्से में धूम, नो एंट्री, काल, दस, युवा, एलओसी कारगिल जैसी कुछ चर्चित फिल्में जरूर आई हैं।
बॉबी देओल (1967) : धर्मेंद्र के बेटे बॉबी देओल ने बतौर मुख्य अभिनेता अपने करियर की शुरुआत 1995 में रिलीज हुई फिल्म बरसात से की। आने वाले वर्षों में गुप्त, सोल्जर, करीब, बिच्छू, अजनबी, हमराज जैसी फिल्मों से बॉबी एक लोकप्रिय अभिनेता बनकर उभरे। बॉबी के फिल्मी सफर में असफलता का एक लम्बा दौर आया। निर्देशक प्रकाश झा की वेब सीरीज आश्रम से बॉबी ने जबरदस्त वापसी की।
सनी देओल (1956) : धर्मेन्द्र के पुत्र सनी देओल ने जब फिल्म बेताब से फिल्म जगत में कदम रखा तो हर किसी को उनमें धर्मेन्द्र की छवि नजर आई। आने वाले समय में अपने अभिनय और एक्शन से सनी ने साबित किया कि वह सही मायने में धर्मेन्द्र के उत्तराधिकारी हैं। घातक, घायल, जिद्दी, इंडियन, गदर, त्रिदेव, बॉर्डर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने सनी देओल को लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचाया।
सारा अली खान (1995) : सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान ने 2018 में फिल्म केदारनाथ से अभिनय की शुरुआत की। सारा अली खान ने अपने पिता की तरह ही कामयाबी का स्वाद चखा और कुली नंबर 1, सिंबा, लव आजकल जैसी फिल्मों में काम कर के वह हिन्दी सिनेमा की अभिनेत्रियों में जगह बना चुकी हैं।
सोहा अली खान (1978) : शर्मिला टैगोर की बेटी सोहा अली खान ने 2004 में फिल्म दिल मांगे मोर से अपने करियर की शुरुआत की, मगर सोहा को अपनी मां की तरह कामयाबी नहीं मिली। अपने सीमित फिल्मी करियर में सोहा अली खान ने रंग दे बसंती, खोया खोया चांद, तुम मिले, गो गोवा गॉन, साहिब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स जैसी फिल्मों में काम किया।
बाबिल खान (1998) : अभिनेता इरफान खान के बेटे बाबिल खान ने 2022 में निर्देशक अन्विता दत्ता की फिल्म कला से हिन्दी सिनेमा में पदार्पण किया। इरफान की ही तरह बाबिल को भी दर्शकों का प्यार मिला है। बाबिल को एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में देखा जा रहा है।
अनन्या पांडे (1998) : अभिनेता चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे ने 2019 में स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। अनन्या पांडे का फिल्मी करियर अभी तक सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है। पति पत्नी और वो, लाइगर, खाली पीली, गहराइयां जैसी फिल्मों में अनन्या ने काम किया है लेकिन बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाई हैं।
अभिषेक बच्चन (1976) : अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन ने 2000 में निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म रिफ्यूजी से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। अभिषेक को शुरुआती दिनों से ही अपने पिता से तुलना का बोझ सहना पड़ा। इसका उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, मगर धीरे-धीरे अभिषेक बच्चन ने युवा, सरकार, गुरु, धूम, बोल बच्चन, लूडो, दसवीं, पा जैसी फिल्मों में अच्छे अभिनय से दर्शकों के दिल में जगह बना ली है।
कुमार गौरव (1956) : अभिनेता राजेन्द्र कुमार के बेटे कुमार गौरव ने 1981 में फिल्म लव स्टोरी से हिन्दी सिनेमा में कदम रखा। कुमार गौरव की शुरुआत जबरदस्त रही मगर वह अपने पिता की तरह लंबी रेस के खिलाड़ी नहीं बन पाए। कुमार गौरव ने नाम, तेरी कसम, कांटे, बेगाना जैसी कई फिल्मों में काम किया है।
करीना कपूर (1980) : रणधीर कपूर और बबीता की छोटी बेटी करीना कपूर ने जेपी दत्ता की फिल्म रिफ्यूजी से अपने अभिनय की शुरुआत की। कभी खुशी कभी गम, ओमकारा, बजरंगी भाईजान, थ्री ईडियट्स, बॉडीगार्ड जैसी कामयाब फिल्मों से करीना कपूर ने हिन्दी सिनेमा में अपनी एक विशेष पहचान बनाई।
सैफ अली खान (1970) : शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान ने फिल्म परंपरा से शुरुआत की। बतौर मुख्य अभिनेता उनकी शुरुआती फिल्में असफल रहीं। सैफ को मल्टीस्टारर फिल्मों से कामयाबी मिली। कल हो न हो, लव आजकल, हम साथ साथ हैं, दिल चाहता है और ओमकारा जैसी फिल्मों ने सैफ को हिंदी सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया।
सोनम कपूर (1985) : अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर ने 2007 में निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म सांवरिया से अभिनय की शुरुआत की। सोनम ने अपने करियर में कुछ सशक्त भूमिकाएं निभाई हैं। कई बार समीक्षकों और आलोचकों ने उन्हें आड़े हाथों लिया मगर नीरजा, रांझणा, दिल्ली 6 और संजू जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से सोनम कपूर ने सभी को अपना मुरीद बना लिया।
हर्षवर्धन कपूर (1990) : अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर ने निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म मिर्जया से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की मगर उन्हें अपने पिता जैसी कामयाबी नहीं मिली। अभी तक के करियर में हर्षवर्धन कपूर के हिस्से केवल नाकामी आई है। थार, भावेश जोशी सुपरहीरो, मिर्जया में हर्षवर्धन के प्रयास दर्शकों को आकर्षित करने में असफल रहे।
जाह्नवी कपूर (1997) : श्रीदेवी के बेटी जाह्नवी कपूर ने 2018 में फिल्म धड़क से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। अपनी मां श्रीदेवी की तरह उन्हें शोहरत तो नहीं हासिल हुई मगर उन्होंने अपनी पहचान बना ली है। मिली, गुड लक जेरी, गुंजन सक्सेना जैसी फिल्मों से जाह्नवी ने अपनी काबिलियत साबित की है।
अक्षय खन्ना (1975) : विनोद खन्ना के बेटे अक्षय खन्ना की पहली फिल्म हिमालयपुत्र थी। अक्षय के हिस्से में पिता जैसी स्टारडम तो नहीं आई, लेकिन अपने सशक्त अभिनय के लिए वे जाने गए। दिल चाहता है, ताल, बॉर्डर, हंगामा, हमराज, रेस जैसी फिल्मों से अक्षय खन्ना ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है।
फरदीन खान (1974) : फिरोज खान के बेटे फरदीन खान ने फिल्म प्रेम अगन से अपने करियर की शुरुआत की और नो एंट्री, हे बेबी, ओम जय जगदीश, जंगल, भूत जैसी फिल्मों से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, हालांकि अपने पिता जैसी स्टारडम से वे कोसों दूर हैं।
श्रद्धा कपूर (1989) : शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर ने तीन पत्ती और लव का द एंड जैसी फिल्मों से अपने अभिनय के सफर की शुरुआत की। श्रद्धा कपूर को बड़ी कामयाबी मिली फिल्म आशिकी 2 से, जिसने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। श्रद्धा कपूर ने अपने अभिनय से एक विशेष पहचान बनाई है। बागी, हैदर, छिछोरे, एक विलेन, हाफ गर्लफ्रेंड जैसी फिल्मों से श्रद्धा कपूर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
ट्विंकल खन्ना (1974) : राजेश खन्ना और डिम्पल कपाड़िया की बेटी ट्विंकल खन्ना ने 1995 में फिल्म बरसात से अपने अभिनय की शुरुआत की। ट्विंकल खन्ना से सभी को बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन उन्हें अपने माता- पिता जैसी कामयाबी नहीं मिली। इंटरनेशनल खिलाड़ी, बादशाह, मेला, चल मेरे भाई, जोरू का गुलाम, जोड़ी नंबर 1 जैसी फिल्मों में काम करने के बाद भी ट्विंकल खन्ना बहुत प्रभावित नहीं कर सकीं।
सोनाक्षी सिन्हा (1987) : शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने हिन्दी सिनेमा में फिल्म दबंग से कदम रखा। अपने पिता की तरह ही सोनाक्षी सिन्हा भी लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचीं। राउडी राठौर, सन ऑफ सरदार, लुटेरा, फोर्स 2, दबंग 2, हॉलीडे जैसी फिल्मों से सोनाक्षी सिन्हा ने अपनी एक विशेष पहचान बनाई है।
ह्रितिक रोशन (1974) : अभिनेता राकेश रोशन के बेटे ह्रितिक रोशन ने फिल्म कहो न प्यार है से हिंदी सिनेमा में पदार्पण किया। अपनी पहली ही फिल्म से ऋतिक ने लोकप्रियता की बुलंदियां छू लीं। जोधा अकबर, धूम 2, कोई मिल गया, क्रिश, लक्ष्य, अग्निपथ, जिन्दगी न मिलेगी दोबारा जैसी फिल्मों से ऋतिक इक्कीसवीं सदी के सुपरस्टार बनकर उभरे। उन्होंने लोकप्रियता के मामले में अपने पिता राकेश रोशन को भी पीछे छोड़ दिया।
आद्या (अथिया) शेट्टी (1992) : फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी आद्या (अथिया) शेट्टी ने फिल्म हीरो से अभिनय सफर की शुरुआत की मगर आद्या अपने पिता सुनील शेट्टी के नक्शेकदम पर चलने में असफल रहीं। उनकी फिल्में प्रभावित करने में कामयाब नहीं हुईं। मुबारकां, नवाबजादे, मोतीचूर चकनाचूर जैसी फिल्मों से आद्या शेट्टी ने प्रयास तो किए लेकिन वह नाकाफी साबित हुए।
प्रतीक बब्बर (1986) : राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर ने हिंदी सिनेमा में फिल्म जाने तू या जाने ना से पदार्पण किया। प्रतीक बब्बर ने अपने सीमित फिल्मी करियर में अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया है। आरक्षण, मुल्क, एक दीवाना था, छिछोरे जैसी फिल्मों से प्रतीक ने अपनी प्रतिभा साबित की है।
टाइगर श्रॉफ (1990) : जैकी श्रॉफ के पुत्र टाइगर श्रॉफ ने 2014 में फिल्म हीरोपंथी से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। टाइगर श्रॉफ को अपने पिता जैकी श्रॉफ जैसी ही लोकप्रियता हासिल हुई। स्टंट करने की क्षमता और एक्शन फिल्मों के कारण टाइगर श्रॉफ वर्तमान युवा पीढ़ी के नायक हैं। बागी, वार, हीरोपंथी 2, स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 से टाइगर श्रॉफ युवा पीढ़ी के दिलों की धड़कन बन चुके हैं।
अहान शेट्टी (1995) : सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी ने 2021 में फिल्म तड़प से अभिनय की शुरुआत की, जिसके लिए उन्हें स्टार डेब्यू ऑफ ईयर के आइफा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अहान की प्रतिभा को लेकर फिल्मी दुनिया में चर्चा है और आने वाले समय में उन पर सबकी नजर रहेगी।
शाहिद कपूर (1981) : पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर ने 2003 में इश्क विश्क से हिन्दी सिनेमा में कदम रखा। शाहिद को अपने पिता से अधिक शोहरत मिली। वह सुपरस्टार बनकर उभरे। विवाह, जब वी मेट, हैदर, कमीने, कबीर सिंह, उड़ता पंजाब में शाहिद ने अभिनय की छाप छोड़ी है।
मोहनीश बहल (1961) : नूतन के पुत्र मोहनीश बहल ने हिन्दी सिनेमा में फिल्म बेकरार से पदार्पण किया। मोहनीश बहल बड़े भाई और खलनायक की भूमिकाओं में बेहद लोकप्रिय हुए। हम आपके हैं कौन, हम साथ साथ हैं, मैंने प्यार किया कुछ ऐसी फिल्में रहीं जिनसे मोहनीश बहल भारतीय जनमानस के दिल में बस गए।
पूजा बेदी (1970) : कबीर बेदी की बेटी पूजा बेदी ने फिल्म विषकन्या से शुरुआत की। उनका अभिनय करियर असफल रहा है। पूजा ने लुटेरे, आतंक ही आतंक, शक्ति, फिर तेरी कहानी याद आई जैसी फिल्मों में काम किया मगर दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकीं।
तनिषा मुखर्जी (1978) : तनुजा की बेटी तनिषा मुखर्जी ने टैंगो चार्ली, सरकार, वन टू थ्री, सरकार राज, तुम मिलो तो सही जैसी कई फिल्मों में काम किया मगर उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई। फिल्मों के अलावा तनिषा मुखर्जी ने टीवी रियलिटी शो में भी काम किया है।
रिंकी खन्ना (1977) : राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की बेटी रिंकी खन्ना ने फिल्म प्यार में कभी कभी से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। रिंकी ने मुझे कुछ कहना है, ये है जलवा, चमेली, झंकार बीट्स में काम किया है।
जायेद खान (1980) : संजय खान के बेटे जायेद खान ने फिल्म चुरा लिया है तुमने से कदम रखा। जायद ने मैं हूं ना, वादा, दस, युवराज, मिशन इस्तांबुल, ब्लू, तेज, अंजाना अनजानी जैसी फिल्मों में काम किया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।
तुषार कपूर (1976) : जीतेंद्र के बेटे तुषार कपूर ने मुझे कुछ कहना है से शुरू कर के बतौर सहायक अभिनेता कॉमेडी फिल्मों में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिनमें गोलमाल, शूटआउट एट लोखंडवाला, शूटआउट एट वडाला, ढोल उनकी महत्वपूर्ण फिल्में हैं।
विवेक ओबेरॉय (1976) : सुरेश ओबेरॉय के बेटे विवेक ओबेरॉय ने फिल्म कंपनी से शुरुआत की और काफी लोकप्रिय हुए। साथिया, युवा, ओमकारा, शूटआउट एट लोखंडवाला, क्रिश 3, रक्तचरित्र से उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई है।
प्रनूतन बहल (1993) : मोहनीश बहल की बेटी प्रनूतन बहल ने हिन्दी सिनेमा में फिल्म नोटबुक से पदार्पण किया। उन्होंने हेलमेट में भी काम किया है। अभी प्रनूतन को कोई चमत्कारिक सफलता नहीं मिली है मगर आने वाले समय में उनसे उम्मीदें हैं।
लव सिन्हा (1983) : शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा ने अपने छोटे से फिल्मी करियर में सदियां और पलटन जैसी फिल्मों में काम किया लेकिन उनके हिस्से अपने पिता जैसे अवसर और लोकप्रियता नहीं आई है।
पुरु राज कुमार (1970) : राज कुमार के बेटे पुरु राज कुमार ने 1996 में बाल ब्रह्मचारी से अपने अभिनय की शुरूआत की। पुरु ने मिशन कश्मीर, हमारा दिल आपके पास है, खतरों के खिलाड़ी, एलओसी कारगिल, वीर, एक्शन जैक्शन जैसी कई फिल्मों में काम किया मगर सफलता के मुहाने पर पहुंचने में नाकाम रहे।
कुणाल कपूर (1959) : शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर ने फिल्म सिद्धार्थ से अभिनय सफर की शुरूआत की। जुनून, विजेता, उत्सव, सिंह इज ब्लिंग, पानीपत जैसी फिल्मों में काम करने वाले कुणाल कपूर को अपने पिता शशि कपूर जैसी कामयाबी नहीं मिली।
करण कपूर (1962) : शशि कपूर के बेटे करण कपूर ने फिल्म जुनून से अपने अभिनय सफर की शुरूआत की। सल्तनत, लोहा, अफसर जैसी फिल्मों में काम कर चुके करण ने अभिनय के साथ-साथ फोटोग्राफर के रूप में भी काम किया है।