इस वर्ष के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2017 के चुनाव में तो मुकाबला भाजपा बनाम कांग्रेस का था, जिसमें भाजपा को 99 और कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जिसमें तीसरा कोण है आम आदमी पार्टी। हाल के निकाय चुनावों में पार्टी ने अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है। फरवरी 2021 में सूरत नगर निगम के लिए हुए चुनाव में आप मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी थी। कांग्रेस ने 2015 में सूरत नगर निगम चुनाव में 36 सीटें जीती थी, लेकिन 2021 में उसे एक भी सीट नहीं मिली। 120 सीटों वाले इस निगम में भारतीय जनता पार्टी के 93 पार्षदों के मुकाबले आम आदमी पार्टी के 27 पार्षद चुने गए हैं। दक्षिण गुजरात में आप के महासचिव राम धडुक कहते हैं, “हमने जनवरी 2018 में पांच लोगों के साथ सूरत में शुरुआत की थी। एक-एक ईंट जोड़कर संगठन खड़ा किया है। इसमें उत्साही पार्टी कार्यकर्ताओं का अथक परिश्रम लगा है जो मतदाताओं को समझाने हर घर में जाते हैं।”
फरवरी 2021 में प्रदेश के छह नगर निगमों के चुनाव हुए थे, जिनमें सूरत की 27 सीटों समेत आप ने कुल 69 सीटें जीती थीं। उससे पहले किसी भी निगम में पार्टी की मौजूदगी नहीं थी। इनके अलावा तालुका पंचायत में 31, नगर पालिका में नौ और जिला पंचायत की दो सीटें भी इसने जीती हैं।
अक्टूबर 2021 में 44 सीटों वाले गांधीनगर नगर निगम के चुनाव में आप को एक सीट और कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली। भाजपा 41 सीटें जीतने में कामयाब रही। खास बात यह है कि मुश्किल से एक महीने के चुनाव प्रचार के बाद आप का वोट प्रतिशत 22 फीसदी रहा था। उसी महीने पार्टी ने दो अन्य नगर पंचायत सीटें भी जीतीं। कुल मिलाकर नगर निगमों, विभिन्न ग्रामीण और अर्ध शहरी स्थानीय निकायों में आप के पास 72 सीटें हैं।
आप ने गुजरात में गंभीर प्रयास 2017-18 में ही शुरू किए थे। लगभग हर दिन पार्टी के कार्यकर्ता विभिन्न मुद्दों पर सड़कों पर प्रदर्शन करते, पोस्टर और पैंफलेट वितरित करते नजर आ जाते हैं। 2021 के अंत में इसने एक बड़े राज्य स्तरीय घोटाले का पर्दाफाश किया। हेड क्लर्क परीक्षा में पेपर लीक हो गया था। मजबूरन गुजरात सरकार को परीक्षा रद्द कर पुलिस जांच के आदेश देने पड़े। उस घोटाले में 20 लोग गिरफ्तार किए गए।
दो महीने के भीतर गुजरात सबॉर्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड, जिस पर परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी है, के चेयरमैन को हटा दिया गया। उससे ठीक पहले एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में दिसंबर 2021 में आप के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की राजधानी गांधीनगर स्थित गुजरात भाजपा मुख्यालय के बाहर धरना दिया। उससे पहले कांग्रेस समेत किसी अन्य विपक्षी पार्टी ने गुजरात में भाजपा कार्यालय के बाहर इस तरह धरना-प्रदर्शन नहीं किया था।
आप की गुजरात इकाई के तीन महासचिवों में से एक सागर राबरी कहते हैं, “उन्हें हमारे कार्यक्रम का जरा भी इल्म नहीं था। उन्हें लगता था कि हम सचिवालय बिल्डिंग का घेराव करेंगे, इसलिए पुलिस वहां तैनात थी। लेकिन हम अचानक कहीं से निकले और भाजपा मुख्यालय पहुंच गए।” राबरी कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। वे किसान नेता हैं और राज्य के ज्यादातर जिलों में किसानों के साथ उनका सीधा संपर्क है। पहले वे खेदूत एकता मंच के महासचिव हुआ करते थे जो गुजरात हाइकोर्ट में किसानों से जुड़े कई बड़े मुद्दों पर केस लड़ रहा है।
आप का दावा गुजरात में 10 लाख कार्यकर्ताओं का है। इनमें पूर्णकालिक, रोजाना दो-तीन घंटे समय देने वाले, हर दूसरे दिन समय देने वाले या सिर्फ जन आंदोलनों में हिस्सा लेने वाले सभी शामिल हैं। पत्रकार से आप नेता बने इसुदन गढ़वी कहते हैं, “हमारे पास श्रेणी के हिसाब से नाम और मोबाइल नंबर हैं। शहर और जिला प्रभारियों को यह उपलब्ध कराया गया है, जिसे वे रोजाना अपडेट करते हैं।”
गढ़वी का ‘महामंथन’ बहस कार्यक्रम गुजराती टीवी चैनल वीटीवी पर काफी हिट रहा था, खासकर ग्रामीणों में। सौराष्ट्र के किसान परिवार से आने वाले गढ़वी अक्सर ऐसे मुद्दे उठाते रहे जो ग्रामीण आबादी को छूते हैं। इसलिए सौराष्ट्र में काफी लोकप्रिय हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक पार्टी में कोई पद नहीं लिया है। सागर राबरी कहते हैं, “आप का मिस्ड कॉल अभियान काफी सफल रहा। हमने एक नंबर जारी करते हुए कहा था कि जो लोग पार्टी के साथ जुड़ना चाहते हैं वे एक मिस्ड कॉल दें। हमने हर मिस्ड कॉल करने वाले को कॉल बैक किया। इस तरह हमें लाखों लोगों से बात की। हर जिला इकाई मुझे सूची अपडेट करके रोजाना भेजती है। अगर किसी वजह से वे लोग मिस्ड कॉल करने वालों को कॉलबैक नहीं कर पाते हैं तो वे ‘आज जीरो कॉल’ लिखकर भेजते हैं।”
पिछले साल सूरत नगर निगम चुनाव में आप के प्रदर्शन के बाद ही मिस्ड कॉल अभियान की शुरुआत हुई। 2017 के अंत में राम धडुक और धर्मेश भंडेरी, जो अब सूरत नगर निगम में विपक्ष के नेता हैं, ने वराछा, मोटा वराछा, कातरगाम और अश्वनीकुमार जैसे पूर्वी इलाकों के निवासियों पर फोकस किया। वहां ज्यादातर लोग पाटीदार (पटेल) हैं और सूरत में हीरा पॉलिशिंग और कटिंग का काम करते हैं। धडुक और भंडेरी दोनों पाटीदार हैं और सौराष्ट्र के रहने वाले हैं।
धडुक कहते हैं, “हमारी कोई खास रणनीति नहीं थी, सिवाय इसके कि हम लोगों तक पहुंचें और स्थानीय मुद्दों को लेकर लगातार सड़कों पर नजर आएं। हम अपने स्थानीय कार्यालय के जरिए स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश करते थे। जब हम लोगों से लगातार मिलने लगे, उनकी मदद की और उनके मुद्दे उठाए तो अनेक लोग आप से जुड़ने लगे।”
भाजपा शासित सूरत नगर निगम में आप ने तीन साल में अभी तक छोटे बड़े 170 घोटालों का पर्दाफाश किया है। ये सब घोटाले स्थानीय लोगों से रोजाना मिलने के दौरान सामने आए। पार्टी ने एक ऑक्सीमीटर अभियान भी चलाया था जिसमें कार्यकर्ता कोविड-19 संकट के दौरान घर-घर जाकर लोगों का ऑक्सीजन स्तर देखते थे।
भंडेरी कहते हैं, “हमने मरीजों के लिए आठ आइसोलेशन केंद्र भी खोले थे। कोविड-19 की दूसरी लहर के समय अस्पतालों में जगह नहीं रह गई थी। उस समय प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री किशोर कणानी सूरत के ही विधायक थे। इसलिए हमने पूरे शहर में बैनर और पोस्टर लगाए जिन पर लिखा था- गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री गायब।” भंडेरी 2012 से आप के साथ जुड़े हैं। सूरत में वे चुनाव के समय पार्टी के संगठन सचिव थे।
सूरत नगर निगम चुनाव के लिए आप ने प्रत्याशियों का चयन अपने कार्यकर्ताओं के बीच से ही किया। इसके लिए उनका शिक्षा का स्तर देखा गया। कम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी था। इसके अलावा उनकी बोलने की शैली देखी गई। पार्टी के पास संसाधन कम थे, इसलिए ऐसे लोगों को तरजीह दी गई जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी।
धडुक बताते हैं, “हमारे 27 पार्षदों ने जीतने के लिए ढाई लाख रुपए से भी कम खर्च किए।” आप की सबसे कम उम्र की विजेता 22 वर्षीय पायल पटेल हैं। वे गुजराती फिल्म अभिनेत्री हैं और 50 रीमिक्स गानों के वीडियो में आ चुकी हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को 12 हजार वोटों से हराया। उनकी रणनीति क्या थी? पायल बताती हैं, “मैं घर-घर गई। मेरे वार्ड में कोई भी परिवार ऐसा नहीं होगा जिनके घर में नहीं गई।” पार्टी के उम्मीदवार 40 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे। इसुदन गढ़वी बताते हैं, “सिर्फ सूरत नहीं, बल्कि राजकोट नगर निगम चुनाव में भी 16 सीटों पर हम दूसरे नंबर पर रहे।” वे कहते हैं, “हमारे ज्यादातर कार्यकर्ता स्वप्रेरित हैं और उन्हें बस दिशा दिखाने की जरूरत है। गुजरात के 52 हजार असेंबली बूथ में से 32 हजार पर हमारे कार्यकर्ता पर्याप्त संख्या में हैं।”
आखिर ये कार्यकर्ता प्रेरित कैसे होते हैं? सागर राबरी कहते हैं, “मिस्ड कॉल अभियान, धरना प्रदर्शन के जरिए लगातार लोगों के बीच रहना, उनकी मदद करना, इन सब वजहों से युवा हम पर भरोसा करते हैं। हम आम लोगों की तरह दिखते हैं और हमारा व्यवहार भी वैसा ही होता है।”
(लेखक डेवलपमेंट न्यूज नेटवर्क गुजरात के संपादक हैं। यहां व्यक्त विचार निजी हैं)