गमजदा और नाराज देश अब जवाब चाहता है। आखिर कब शहीदों के जनाजों का सिलसिला टूटेगा! कौन है इसका जवाबदेह? क्यों कोई मुकम्मल हल नहीं निकल पाता? जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर पुलवामा के लेठपुरा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर विस्फोटक भरी एसयूवी या कार से आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवानों की मृत्यु की खबर सुनकर आम चुनाव की देहरी पर खड़ा देश हैरान रह गया। धमाका इतना तगड़ा था कि जवानों से भरी एक बस मलबे में बदल गई। जवानों के शव जब उनके गांव पहुंचने लगे तो देश का कोई कोना शायद ही अछूता था। हर आंख में आंसू, चेहरे पर नाराजगी और जबान पर सवालों की फेहरिस्त है कि आखिर कब तक?
हैरानी और तरह-तरह के सवाल पूरे राजनैतिक प्रतिष्ठान में भी उठे। लेकिन तमाम राजनैतिक दलों ने इस दुख की घड़ी में सुरक्षा बलों और सरकार के साथ खड़े होने का संकल्प दोहराया। सबने सवालों को परे कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने कहा कि सरकार जो फैसला लेगी, हम उसके साथ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में ऐलान करते रहे, “खून के हर कतरे का बदला लिया जाएगा। सेना और सुरक्षा बलों को पूरी छूट दे दी गई है कि वे समय और स्थान का अपने हिसाब से चुनाव करें।”
हालांकि विपक्षी पार्टियों का रुख बहुत हद तक संतुलित था। हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली और फिदायीन आदिल अहमद डार ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर कुछ मिनटों पहले ही ऐलान किया था कि जब तक आप पढ़ेंगे, कहर बरपा हो चुका होगा। जैश-ए-मोहम्मद उसी अजहर मसूद का आतंकी संगठन है, जिसे कंधार विमान अपहरण कांड में छोड़ा गया था। खुफिया एजेंसियों की जानकारी के मुताबिक वह पाकिस्तान के बहावलपुर से इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहा था। मसूद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की भारत की पहल में चीन का वीटो आड़े आता रहा है और अब भी चीन का रवैया बदला नहीं है। ऐसे में सरकार और हमारे सैन्य प्रतिष्ठान के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का कोई विकल्प आसान शायद ही हो।
फिर, उड़ी के सैन्य शिविर पर आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक से भी आतंकी हमलों और मौतों का सिलसिला नहीं रुका। प्रधानमंत्री की अगुआई में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में शायद कुछ फैसले लिए गए हैं। उधर, 19 फरवरी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ चेतावनी के स्वर में कहा कि जंग कोई हल नहीं है मगर पाकिस्तान किसी हमले का जवाब देने से नहीं चूकेगा। लेकिन सबसे घातक फिजा देश में तारी है। कई जगह कश्मीरी छात्रों पर हमले की खबरें हैं। वहां अलगाव बढ़ता जा रहा है। आज जरूरत है कश्मीर के हालात पर नए सिरे से विचार करने की और सवाल पूछने की कि सरकार की कश्मीर और पाकिस्तान नीति कितनी कारगर रही है। अगले पन्नों पर पुलवामा हमले की भीषणता, दुख-दर्द, चूक और गंभीर नाकामियों का जायजा है।