गम और गुस्से की इस घड़ी में संतुलित रवैया जरूरी है, युद्धोन्माद पैदा करने की कोशिश नहीं। सरकार को सभी विकल्पों को तौलकर कोई कदम उठाना चाहिए और चूकों तथा गफलतों के लिए जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए
केंद्र सरकार किसानों के मोर्चे पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और यही वजह है कि हाल में पेश 2019-20 के बजट में किसानों को सालाना 6000 रुपये की आर्थिक सहायता घोषित की गई। इसकी 2000 रुपये की पहली किस्त चालू वित्त वर्ष में ही करीब 12.5 करोड़ किसानों के खाते में जमा हो सके इसके लिए मजबूत रणनीति बनाई गई। साथ ही इस मदद में बढ़ोतरी का विकल्प भी सरकार ने खुला रखा है। इस फैसले के साथ ही बजट में किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाने और कर्ज के पुनर्गठन की स्थिति में भी ब्याज छूट का प्रावधान कर दिया गया है। इन कदमों के साथ ही कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए सरकार के फैसलों और बजटीय प्रावधानों पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ आउटलुक के एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव ने लंबी बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंशः
दुनिया भर में वन्यजीवों और उनके अवशेष की तस्करी का एक बड़ा केंद्र कथित तौर पर भारत है, जहां से चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया के देशों में बड़े पैमाने पर ले जाया जाता है। तस्करों के निशाने पर न सिर्फ लुप्तप्राय और संरक्षित वन्यजीव हैं, बल्कि वनों के पारिस्थितिकी तंत्र पर भी खतरा मंडराने लगा है। यहीं, शिकार का नया ट्रेंड भी उभर रहा है, जिससे खतरा बढ़ गया है। ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इस मसले पर आउटलुक के एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की एडिशनल डायरेक्टर तिलोतमा वर्मा से विस्ताटर से बातचीत की। कुछ अंशः
उर्दू साहित्य में जैसे कोई दूसरा गालिब न हुआ, भाषा विज्ञान में कोई दूसरा नोम चोम्स्की न हुआ, बांग्ला में कोई दूसरा टैगोर नहीं हुआ, हिंदी की दुनिया में भी कोई दूसरा नामवर न हुआ