वन्यजीव अपराध इस समय कितना बड़ा खतरा है?
भारत वन्यजीवों की विविधता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। शायद इसीलिए यह दुनिया भर के वन्यजीव अपराधियों के लिए एक बड़ा केंद्र भी बन गया है। इसीलिए देश में हाथी, गैंडे, बाघ, तेंदुआ, नेवला, कछुए वगैरह कई जीवों की अवैध तस्करी हो रही है, जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा है।
इस समय सबसे ज्यादा किन जीवों की तस्करी हो रही है?
एक समय था जब शेर, बाघ, हाथी आदि जानवर शिकारियों के निशाने पर होते थे, लेकिन अभी शिकारी ऐसे जीवों को निशाना बना रहे हैं, जिन पर लोगों की नजर कम है। जैसे कछुए, पैंगोलिन, नेवला, गोह (मॉनीटर लिजार्ड) आदि का शिकार काफी तेजी से बढ़ा है। शेर और बाघ पर सख्ती की वजह से तेंदुआ भी शिकारियों के निशाने पर है।
पिछले कुछ वर्षों से बॉलीवुड स्टार, निशानेबाज, गोल्फर जैसे बड़े नाम वाले शिकार के मामले में फंस रहे हैं, ये कैसा ट्रेंड है?
यही सही बात है कि अब शिकार करने वालों में ऐसे नामचीन लोग भी शामिल हो गए हैं, जो केवल अपने शौक और मौजमस्ती के लिए ऐसा कर रहे हैं। हमने इस पूरे मामले को पूरी गंभीरता से लिया है। इसके लिए एक टॉस्क फोर्स का भी गठन कर दिया गया है, जो इस नए उभरते ट्रेंड पर पूरे देश के वन्य अभयारण्यों का अध्ययन करेगा, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
अपराध पर नियंत्रण के लिए ब्यूरो क्या कर रहा है?
पिछले चार साल के आंकड़े देखे जाएं, तो हमने 1800 से ज्यादा जब्तियां की हैं। इनमें तेंदुए, कछुए, गैंडे, बाघ, पैंगोलिन, नेवले आदि जीवों के शिकार या तस्करी के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा हमने देश भर में वन्यजीव अपराधियों की क्रिमिलन प्रोफाइल भी तैयार की है, जिसमें करीब 1900 अपराधियों के विवरण हैं, जिनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है। साथ ही देश के 50 टाइगर रिजर्व, राज्यों के 34 पुलिस महानिदेशक, 866 डिविजन वन अधिकारियों को भी वन्यजीव अपराध संबंधी जानकारी साझा करने के लिए ऑनलाइन जोड़ा है, जिससे किसी भी घटना को रोकने के लिए त्वरित एक्शन लिया जा सके।
वन्यजीव क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के पास अभी अधिकारों की कमी है। साथ ही उनके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इस पर आपका क्या कहना है?
अभी ब्यूरो के देश भर में 14 कार्यालय हैं। कुल 109 कर्मचारी काम कर रहे हैं। साथ ही हमने केंद्र सरकार से 139 और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। जहां तक अधिकारों की बात है, तो निश्चित तौर पर अधिकार बढ़ने से काम ज्यादा प्रभावशाली होगा। बेहतर प्रवर्तन के लिए सभी प्रवर्तन एजेंसियों को आपस में और अधिक सहयोग करने की आवश्यकता है।
एक बात और सामने आती है कि एजेंसियों का आपस में समन्वय बेहतर नहीं है, जिससे कार्रवाई पर प्रतिकूल असर पड़ता है?
इसके लिए लगातार हम विभिन्न सशस्त्र बल, राज्यों के पुलिस, वन अधिकारियों और इंटेलिजेंस अधिकारियों, एयरपोर्ट अथॉरिटी और दूसरी संबंधित एजेंसियों के साथ कार्यक्रम करते रहते हैं। पिछले साल ही हमने 20 कार्यशालाएं की हैं, जिनके जरिए हम एजेंसियों को नए ट्रेंड की न केवल जानकारी देते हैं, बल्कि मिलकर कैसे काम किया जा सकता है, इस पर भी रणनीति तैयार करते हैं। इसका फायदा भी मिल रहा है। इंटरपोल और दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर भी सहयोग बढ़ा रहे हैं। इन कोशिशों से अपराध पर बड़े पैमाने पर नकेल कसी जा सके सकेगी।