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7 जुलाई 2025 · JUL 07 , 2025

आवरण कथा/अहमदाबाद विमान दुर्घटनाः हादसे की वजहें

दुर्घटना के कई कारण हो सकते हैं पक्षी टकराना, इंजन या बिजली तंत्र की खराबी या पायलट की चूक, आगे हादसे रोकने के उपाय जरूरी
आगे न हो ऐसी चूक

अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के ठीक बाहर एयर इंडिया की उड़ान संख्‍या एआइ 171 के भीषण दुर्घटना स्‍थल से कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) दोनों बरामद हो चुके हैं। यह अमेरिकी बोइंग कंपनी का विमान 787-8 ड्रीमलाइनर था, जो लंदन गैटविक के लिए रवाना हुआ था। दुर्घटना की बोइंग कंपनी की मदद से भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआइबी), अमेरिकी नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (एनटीएसबी) और ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (एएआइबी, यूके) की साझा जांच चल रही है। इन रिकॉर्डर से प्रारंभिक डेटा 72 घंटों के भीतर बाहर आने शुरू हो सकते हैं। जांचकर्ता खासकर इंजन की मैट्रिक्स, पक्षी टकराहट के संकेत और उसके बाद पहले अंतिम सेकंड में कॉकपिट में पायलट की प्रतिक्रियाओं को देखा जाना है।

स्वाभाविक सवाल यह उठता है कि दुनिया में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले आधुनिक विमान में ऐसी भयावह दुर्घटना की क्‍या वजहें हो सकती हैं? विमान दुर्घटनाएं अमूमन किसी एक वजह से नहीं होतीं। कई वजहों के जुड़ने या जुड़ते जाने से होती हैं। मसलन, मशीनी खराबी, मौसम का खराब होना, मानवीय चूक और प्रक्रिया संबंधी कोई गड़बड़ी। जब ये वजहें जुड़ जाती हैं, तो दुर्घटना की रोकथाम के लिए डिजाइन की गई व्‍यवस्‍थाएं गड़बड़ा जाती हैं।

पक्षी टकराना

अहमदाबाद मामले में शुरुआती कयास पक्षियों के टकराने की आशंका जताते हैं। कई जानकारों का कहना है कि उड़ान भरते ही विमान से पक्षियों का झुंड टकरा गया होगा, जिससे उसके दोनों इंजन बैठ गए होंगे। पक्षियों के टकराने पर कम ध्‍यान दिया जाता है, लेकिन खासकर उड़ान भरने और उतरने के दौरान जब विमान कम ऊंचाई और धीमी गति में हो, तब बड़े पक्षी जेट इंजन में फंस जाएं, खासकर दोनों तरफ एक साथ, तो विमान झटका खा सकता है। जमीन से 700 फुट से भी कम ऊंचाई से अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान जैसे गिरा, उसमें संभव है कि पायलटों को संभलने या आपात लैंडिंग के लिए वापस आने का मौका ही नहीं मिला।

मशीनी गड़बड़ी

मशीनी गड़बड़ी भी अहम वजह होती है। अत्‍याधुनिक एयरफ्रेम में भी बड़ी मशीनी गड़बड़ी हो सकती है। बोइंग 787 का रिकॉर्ड शुरुआत से ही खामियों वाला रहा है, जिसमें लिथियम-आयन बैटरी सिस्टम, इंजन की विश्वसनीयता और फ्रेम स्थायित्व से संबंधित कई मुद्दे हैं। हालांकि इनमें कोई भी खामी पिछली दुर्घटनाओं का कारण नहीं बनी, लेकिन अहमदाबाद में ड्रीमलाइनर से जुड़ी यह पहली बड़ी दुर्घटना है। जांचकर्ता बेशक जांच करेंगे कि क्या किसी मशीनी गड़बड़ी की अनदेखी वजह है। संभव है, इंजन, ऑनबोर्ड फ्लाइट कंप्यूटर में गड़बड़ी का कारण बन सकता है। बोइंग 787-8 में टेक्‍नोलॉजी से जुड़ी शिकायतों का इतिहास रहा है। इस त्रासदी के मद्देनजर ये खामियां फिर सामने आ सकती हैं।

पायलट की चूक

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के ब्‍यौरे के मुताबिक, उड़ान संख्‍या एआइ 171 के कैप्‍टन सुमीत सभरवाल अनुभवी पायलट थे, उन्होंने ड्रीमलाइनर में सैकड़ों घंटों सहित 8,000 से अधिक घंटों तक विमान उड़ाए थे। उनके सह-पायलट को भी करीब 1100 घंटे उड़ान का अनुभव था। तथ्य यह है मेडे या बचाव की गुहार लगाई गई थी। इससे पता चलता है कि पायलटों ने भारी गड़बड़ी पहचान ली थी और आपातकालीन प्रोटोकॉल शुरू कर दिया था। हालांकि, विमान में दोनों इंजन फेल हो गए होंगे या कोई बड़ी गड़बड़ी हो गई होगी, तब उनके विकल्प शायद बहुत सीमित थे। उड़ान इतनी ऊंचाई तक नहीं पहुंची थी कि हवाई अड्डे पर वापस लौटा जा सके या आपातकालीन प्रणालियां चालू की जा सकें, क्‍योंकि उसके लिए ज्‍यादा ऊंचाई जरूरी होती है।

आग का जोखिम

विमान लंबी दूरी की यात्रा पर था, उसमें पर्याप्त मात्रा में ईंधन भरा था। जब कोई विमान कम ऊंचाई पर पूर्ण टैंक के साथ दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो आग भड़कने का जोखिम बढ़ जाता है। अहमदाबाद में विमान गिरा और विशाल आग का गोला उठा, तो आस-पास की इमारतें भी चपेट में आ गईं, जिससे हताहतों की संख्या बढ़ गई।

व्‍यवस्‍थागत खामियां

डीजीसीए को पहले भी फौरन कार्रवाई और लुंज-पुंज निगरानी-निरक्षण के लिए आलोचना झेलना पड़ी है। अब अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पक्षी टकराने की रोकथाम के उपायों के बारे में सवाल उठ सकते हैं। क्या स्थानीय हवाई क्षेत्र अपने कचरे और रिहाइशी क्षेत्र का उचित प्रबंधन कर रहे हैं? क्या वे पक्षियों का पता लगाने के लिए प्रभावी राडार सिस्टम बनाए रखते हैं? इन सवालों के जवाब रोकथाम उपायों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

नए हादसे से अहमदाबाद में 1988 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 की दुर्घटना की यादें भी ताजा हो गई हैं, जो उसी हवाई अड्डे के पास हुई थी। तब कोहरे में दिखाई न देने के कारण पायलट की गलती के कारण विमान समय से पहले नीचे उतर गया, जिससे रनवे के पास जमीन से टकरा गया। इन दो त्रासदियों के बीच समानता एक गंभीर सच्चाई है: दशकों बीत जाने और उन्नत एवियोनिक्स के बावजूद विमान दुर्घटनाएं तब सामने आती हैं जब सुरक्षा की कई परतें एक साथ टूट जाती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया भर के विमानन अधिकारियों को पक्षियों के टकराने के बाद इंजनों को बचाने के लिए फिर से डिजाइन पर विचार करने, हवाई अड्डे के पास रिहाइशी इलाकों से एक निश्चित दूरी पर पुनर्विचार करने और विमान में बिजली तंत्र के टूटने या रोशनी कम होने की स्थिति से निपटने के लिए पायलटों के प्रशिक्षण को और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, बोइंग जैसे विमान निर्माताओं को न सिर्फ ड्रीमलाइनर की, बल्कि रख-रखाव के मुद्दों या बिक्री के बाद समर्थन दायित्वों की भी फिर से जांच का सामना करना पड़ सकता है।

जो भी हो लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के उपाय खोजने होंगे।

 

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