अपनी कॉमेडी में नेताओं के ऊपर टिप्पणी करने वाले कलाकार कुणाल कामरा को मुंबई पुलिस की एक एफआइआर से बचने के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। मुंबई पुलिस के तीन समन की लगातार अवहेलना करने के बाद कामरा ने सोमवार 7 अप्रैल को मुंबई हाइकोर्ट में अपने खिलाफ हुई एफआइआर को रद्द करने की याचिका लगाई। इस रिट याचिका में मुंबई पुलिस की कार्रवाई से भी अंतरिम राहत मांगी गई थी। यह मामला 21 अप्रैल को सुनवाई में जाना था लेकिन कामरा द्वारा तत्काल सुनवाई की रिट पर अदालत तैयार हो गई। कामरा को डर था कि कहीं उनकी गिरफ्तारी न हो जाए क्योंकि मद्रास हाइकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत की अवधि 7 अप्रैल को समाप्त हो रही थी।
कुणाल कामरा का जुर्म यह है कि जनवरी में हुए शो में एक थिएटर में उन्होंने कई उद्योगपतियों, सत्तारूढ़ नेताओं और चुनाव प्रक्रिया समेत व्यवस्था पर तीखे तंज किए थे। वह तब तो चर्चा में नहीं आया मगर हाल में उन्होंने इसे यूट्यूब पर अपलोड किया तो हंगामा खड़ा हो गया। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कुछ समर्थकों ने उनके कथित अपमान से ‘आहत’ होकर थिएटर में तोड़फोड़ कर दी और बाद में मुंबई नगर निगम ने बुलडोजर से थिएटर के कथित ‘अवैध’ हिस्से को तोड़ डाला। कामरा के खिलाफ नासिक और जलगांव में तीन एफआइआर दर्ज हुईं, जो मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित किए गए है। खार पुलिस स्टेशन में शिवसेना विधायक मुरजी पटेल ने भी कामरा पर केस दर्ज कराया।
कामरा इसके पहले भी अपने तीखे तंज की वजह से सत्तारूढ़ नेताओं के गुस्से का शिकार रहे हैं। वही क्यों, स्टैंड अप कॉमेडियन वीर दास से लेकर मुनव्वर फारूकी तक ऐसे झंझावात झेल चुके हैं और कुछ मामलों में जेल की हवा भी खा चुके हैं। गोया, इस दौर में तंज बर्दाश्त नहीं है। शिंदे और उनके समर्थकों की मौजूदा नाराजगी कामरा की एक पैरोडी में ‘गद्दार’ शब्द से ज्यादा है, जो बिना किसी का नाम लिए लिया गया है। कामरा ने शुरू में सफाई दी कि गद्दार मेरा शब्द नहीं, इसी सरकार में उप-मुख्यमंत्री अजित पवार भी पहले ऐसा ही कह चुके हैं। बाद में शिवसेना उद्धव गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने कामरा के बचाव में कहा कि गद्दार को गद्दार नहीं कहेंगे, तो और क्या कहेंगे। दरअसल कामरा की उस कॉमेडी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी तीखे तंज थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि तंज के बहाने अपमान करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।
आजाद नहीं लबः जहां शो शूट हुआ वहां तोड़फोड़
कामरा ने माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। अलबत्ता उन्होंने शो देखने आए 46 वर्षीय बैंक कर्मचारी से माफी जरूर मांगी, जिन्हें पुलिस के बुलावे पर गवाही देने के लिए पेश होना पड़ा। कॉमेडियन ने एक्स पर पोस्ट में लिखा “मुझे इस बात का बहुत दुख है कि आपको मेरे शो में शामिल होने की वजह से असुविधा उठानी पड़ी।” पुलिस उन लोगों को बतौर गवाह पेश होने के लिए बुला रही है, जिन्होंने शो के टिकट ऑनलाइन खरीदे थे। गजब है न, क्योंकि यूट्यूब के वीडियो में कथित अपमानजनक शब्द तो मौजूद ही हैं। यानी मकसद लोगों को भी सावधान करना हो सकता है।
इसके पहले भी कामरा की 2020 में टीवी एंकर अर्णव गोस्वामी से इंडिगो एयरलाइंस की एक फ्लाइट में बाताबाती हुई, तो इंडिगो एयरलाइंस ने कामरा पर छह महीने का प्रतिबंध लगा दिया। फिर, एयर इंडिया, स्पाइसजेट और गोएयर ने भी बंदिश जड़ दी। मई 2020 में कामरा ने प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी यात्रा के दौरान सात साल के एक बच्चे के गाए गीत पर फिल्म पीपली लाइव के गाने ‘महंगाई डायन खाए जात है’ को सुपरइंपोज कर दिया। बाद में बच्चे के पिता की आपत्ति और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कहने पर कामरा ने वीडियो डिलीट कर दिया था।
कामरा सुप्रीम कोर्ट के अर्णव गोस्वामी को फटाफट राहत देने के फैसले पर तंज कस चुके हैं। कामरा के निशाने पर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना राणावत भी रही हैं। वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी तीखा माखौल उड़ा चुके हैं पर राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वे मिले तो कामरा के मुताबिक, राहुल ने कहा कि अपने पेशे के प्रति इमानदार बने रहिए और तंज कभी कम न होने दीजिए। 2014 के पहले तो वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी वगैरह पर तीखा तंज कस चुके हैं। लेकिन कभी किसी ने कोई आपत्ति नहीं की।
तो, यह दौर कुछ और है। भले कामरा कहें कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के तहत अपनी बात रखते हैं, इसलिए उन्हें न किसी तरह की शर्मिंदगी है और न वे किसी कानूनी लड़ाई से डरते हैं। लेकिन यह दौर शायद वही है जिसे दुष्यंत कुमार कुछ यूं बयां करते हैं, ‘मत कहो कि कोहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।’ अब देखना है अदालत से क्या फैसला आता है, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए भला नहीं ही है।