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आवरण कथा/नजरियाः ढोल से डीजे तक का सफर

शादी में नाचने से ही रौनक आती है, नाचने के लिए धुन या गाने ऐसे हों कि बस कदम रुके ही नहीं
वी 4 वंस मोर बैंड के सदस्य- तेजस कोठारी, आरोही कोठारी, कौशल पुरेचा, एकता दवे पुरेचा

पहले शादी दो परिवारों के बीच रिश्ता जुड़ने और पारंपरिक रस्मों का उत्सव थी। अब इसका स्वरूप बदल गया है। पहले महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती थीं। अब यह परंपरा लुप्त होती जा रही है। हर रस्म के लिए अलग-अलग होने वाले गीत अब सुनाई नहीं पड़ते। नई पीढ़ी ने भले ही इन गीतों से दूरी बना ली हो लेकिन अब भी शादी के समारोह में ढोल जरूर बजता है। 1994 में आई हिंदी फिल्म हम आपके हैं कौन दशकों तक भारतीय शादियों के पारंपरिक स्वरूप का प्रतीक बनी रही, लेकिन वक्त बदला और फिर भारतीय शादियों का तौर-तरीका बिलकुल बदल गया। समय के साथ भव्यता आने लगी।

इस भव्यता के बीच कुछ नई बातें भी शादी समारोह के साथ जुड़ने लगीं। 1990 के दशक के अंत और 2000 के शुरुआती वर्षों में लाइव बैंड का चलन शुरू हुआ। यूफोरिया जैसे बैंड और स्थानीय पंजाबी संगीत समूह शादियों का हिस्सा बनने लगे। बल्ले -बल्ले और मौजा ही मौजा जैसे गाने शादी गीतों की सूची में जरूरी हो गए। यही वह समय था जब छोटे पारिवारिक समारोह से निकलकर शादी भव्य आयोजनों में तब्दील होने लगी। संगीत सिर्फ शादी का हिस्सा न होकर मुख्य आकर्षण बन गया।

अब शादी का आयोजन कई-कई दिन तक चलता है। नवंबर से फरवरी तक सर्दियों के महीने ‘शादी उत्सव’ के रूप में देखे जाते हैं। हर दिन का अलग कार्यक्रम शादी के उत्सव को भव्यता देता है। एक दिन मेहंदी, फिर हल्दी, कार्निवाल जैसे आयोजन आजकल जुड़ते जा रहे हैं। पूरे परिवार के लिए कोरियोग्राफी की सेवाएं ली जाती हैं ताकि संगीत समारोह यादगार बन जाए। आजकल सिर्फ हल्का-फुल्का नाचने से ज्यादा महत्वपूर्ण है गाने की धुन पर सही कदमताल के साथ नाचना। कपल डांस संगीत समारोह का अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। हर जोड़े का स्टेज पर नाचना देना जैसे अनिवार्य होता है। लड़के और लड़की के माता-पिता पर खास निगाह होती है। यही वजह है कि कोरियोग्राफरों की मांग इस सीजन में बढ़ जाती है। कुछ शादियों में रिसेप्शन में लाइव बैंड आने लगे हैं। शोर-शराबे वाले संगीत के मुकाबले कर्णप्रिय संगीत पार्टियों की शोभा बढ़ा देता है। इस बदलाव में वैश्वीकरण का बड़ा योगदान है। आज की शादियां बॉलीवुड गानों, क्षेत्रीय लोकगीतों, पश्चिमी पॉप और ईडीएम का एक अनूठा संगम पेश करती हैं। डीजे इन आयोजनों का केंद्र बन गए हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर और समकालीन रुझानों का मिश्रण पेश करने वाली प्लेलिस्ट तैयार करते हैं।

उदाहरण के लिए, दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की 2018 की शादी में डीजे चेतस ने बॉलीवुड गानों और अंतरराष्ट्रीय धुनों का अनूठा मिश्रण पेश किया, जो परंपरा और आधुनिकता का संतुलन बना गया। इसी तरह, प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी में भारतीय परंपराओं और पश्चिमी पॉप संस्कृति का शानदार मेल देखने को मिला। यह दिखाता है कि वैश्विक प्रभावों ने भारतीय विवाह संगीत को किस हद तक बदल दिया है।

जैसे-जैसे शादियां भव्य होती जा रही हैं, मशहूर गायकों और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की लाइव परफॉर्मेंस ने इन आयोजनों में चार चांद लगा दिए हैं। एक उल्लेखनीय उदाहरण 2018 में ईशा अंबानी की शादी का है, जिसमें मशहूर गायिका बियॉन्से ने लाइव परफॉर्मेंस दी। इस भव्य आयोजन ने भारतीय और पश्चिमी संगीत शैली को एक शानदार सांस्कृतिक संगम में बदल दिया। ऐसे आयोजन यह साबित करते हैं कि शादियां अब केवल रस्में नहीं रहीं, बल्कि यादगार अनुभव बनाने वाला कलात्मक प्रोडक्शन बन गई हैं।

आज थीम आधारित संगीत समारोह, एलईडी स्क्रीन, भव्य स्टेज और लाइट शो जैसी चीजें शादी समारोह का आम हिस्सा बन चुकी हैं। इसने शादियों को अवॉर्ड शो जैसी भव्यता दी है और इसके साथ-साथ ईवेंट प्लानर्स, कोरियोग्राफर्स, साउंड टेक्नीशियन, डीजे और म्यूजिशियन जैसे कई पेशेवरों को रोजगार भी दिया है। शादी संगीत ने अब एक आकर्षक करियर विकल्प का रूप ले लिया है जिसमें स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकार दोनों को अवसर मिलते हैं। यह सांस्कृतिक बदलाव पारंपरिक उत्सवों में आधुनिकता और ऊर्जा लेकर आया है और ईवेंट मैनेजमेंट, हॉस्पिटिलिटी और म्यूजिक जैसे उद्योगों को भी बढ़ावा दिया है।

भले ही शादियां आज भी रस्मों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखती हैं, लेकिन संगीत का स्वरूप पारंपरिक ढोल की थाप से लेकर डीजे की धमाकेदार बीट्स तक काफी बदल चुका है। युवा पीढ़ी शादियों में अलग से डीजे नाइट का कार्यक्रम रखने लगी है।

ढोल की सादा बीट्स पर नाचने वाले घर के सदस्य अब बाकायदा डीजे के इशारों पर नाचना पसंद करते हैं। डीजे की जिम्मेदारी आजकल बढ़ती जा रही है। वे ऐसे गाने बजाते हैं कि समारोह में मौजूद हर व्यक्ति थिरकने को मजबूर हो जाए। बीट्स इसमें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। डीजे को ऐसा संगीत बजाना होता है जो हर उम्र के व्यक्ति को पसंद आए। कभी धीमा तो कभी तेज संगीत सभी लोगों को डांस फ्लोर पर लाने में मदद कता है। डीजे गानों की मिक्सिंग वे ऐसे रखते हैं कि डांस फ्लोर पर उत्साह भी बना रहे और बीच में मेहमानों को आराम का मौका भी मिल जाए।

 (लेख वी 4 वंस मोर बैंड के सौजन्य से)

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