भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने 14 जून की शाम जब इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के मीडिया अधिकारों के विजेताओं के नाम की घोषणा की तो ऐसा लगा कि यह कांटे की टक्कर वाला तीन दिवसीय टेस्ट मैच हो। उम्मीद के मुताबिक घरेलू टेलीविजन और डिजिटल अधिकार के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई जिसमें डिजनी-स्टार इंडिया और वायाकॉम विजेता बनकर उभरीं। घरेलू मैचों में प्रसारण अधिकार के लिए प्रति मैच 107.5 करोड़ रुपये की बोली पहले कभी सुनी नहीं गई थी। बीसीसीआइ ने जिस तरह आइपीएल को मोनेटाइज किया है वैसा करने में क्रिकेट तो छोड़िए, यूरोप की बड़ी-बड़ी फुटबॉल लीग को भी काफी संघर्ष करना पड़ता है। कुल मिलाकर देखें तो आइपीएल के प्रत्येक मैच से बीसीसीआइ को लगभग 118 करोड़ रुपये मिलेंगे। दुनिया की जितनी जानी-मानी स्पोर्ट्स लीग हैं उनमें आइपीएल सबसे नया है। फिर भी सिर्फ डेढ़ दशक में यह पैसे के मामले में टॉप लीग में शुमार हो गया है। दशकों से चल रहे अन्य लीग आइपीएल के आसपास भी नहीं हैं।
प्रति मैच प्रसारण अधिकार से होने वाली कमाई के मामले में एनएफएल के बाद आइपीएल दूसरे नंबर पर आ गया है। यह यूरोप की एनबीए, एमएलबी जैसी फुटबॉल लीग से काफी आगे निकल गया है।
कोलकाता से मैच के दौरान चेन्नै टीम
नीलामी से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि स्टार इंडिया ने 2017 से 2022 तक के प्रसारण अधिकार जितने में खरीदे थे, अगले पांच वर्षों के लिए बोली उसके दोगुनी तक जा सकती है। लेकिन बोली इन अनुमानों से काफी ज्यादा निकली। बीसीसीआइ और फ्रेंचाइजी के बीच रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था है। इसलिए प्रसारण अधिकारों से मिलने वाली भारी-भरकम रकम से बोर्ड और आइपीएल टीम के मालिकों को बड़ा फायदा होगा।
बड़ा सेंट्रल पूल
2023 से 2027 तक पांच वर्षों के मीडिया अधिकारों के लिए 48,390 करोड़ रुपये की बोली लगी है। इसका आधा रेवेन्यू आइपीएल की सभी फ्रेंचाइजी को मिलेगा। इसलिए प्रत्येक टीम को हर वर्ष सेंट्रल पूल से 450 से 500 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। वह भी सिर्फ मीडिया अधिकारों की बिक्री से।
सेंट्रल पूल में रेवेन्यू के अन्य स्रोतों और टीम की स्पॉन्सरशिप से जो कमाई होगी सो अलग। हर टीम को जो अतिरिक्त रेवेन्यू मिलेगा, जाहिर है उससे खिलाड़ियों को भी काफी फायदा होगा। आने वाले वर्षों में नीलामी के लिए हर फ्रेंचाइजी टीम के पास ज्यादा रकम होगी तो खिलाड़ियों के लिए बोली की रकम भी बढ़ेगी।
नीलामी जीतने वाली बोली का विश्लेषण करें तो यह जानना बड़ा रोचक लगता है डिजनी-स्टार और वायाकॉम इन अधिकारों को कैसे मोनेटाइज करेंगी। इस बार विज्ञापनदाताओं के सामने दोनों या किसी एक प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देने का विकल्प होगा। आदर्श रूप से देखा जाए तो स्टार और वायाकॉम दोनों चाहते थे कि टेलीविजन और डिजिटल दोनों माध्यमों का प्रसारण अधिकार उन्हें मिल जाए क्योंकि तब वे विज्ञापनदाता कंपनियों से मोलभाव करने में ज्यादा मजबूत स्थिति में होते।
ओटीटी प्लेटफॉर्म का फायदा
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो टेलीविजन प्रसारण कंपनी के लिए विज्ञापन राजस्व का सबसे बड़ा स्त्रोत रहे हैं। दूसरी ओर, ओटीटी प्लेटफॉर्म को ज्यादा रेवेन्यू सब्सक्रिप्शन से मिलता है। पिछली बार स्टार इंडिया को बड़ा फायदा हुआ था क्योंकि उसने नीलामी में टेलीविजन और डिजिटल दोनों अधिकार जीते थे। इसने उसके ओटीटी प्लेटफॉर्म डिजनी प्लस हॉटस्टार को भारत में थोड़े समय में ही नंबर एक ओटीटी प्लेटफॉर्म बना दिया था।
भारत इन दिनों डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। सरकार ने पिछले दिनों 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी है। 5जी नेटवर्क मौजूदा 4जी नेटवर्क की तुलना में 10 गुना तेज होने की उम्मीद है। हम डिजिटल ओटीटी कंटेंट को जिस तरह देखते हैं, वह 5जी से हमेशा के लिए बदल जाएगा।
दर्शक भी पारंपरिक रूप से टेलीविजन पर कंटेंट देखने के बजाय धीरे-धीरे ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ जा रहे हैं। वे अपने स्मार्ट टेलीविजन, टैबलेट और मोबाइल फोन पर ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट देखते हैं। इंटरनेट और ओटीपी का सालाना सब्सक्रिप्शन सस्ता होने के कारण यह माध्यम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। टेलीविजन अधिकारों की तुलना में आइपीएल के डिजिटल अधिकारों के लिए ज्यादा कड़ी प्रतिस्पर्धा का यह एक प्रमुख कारण हो सकता है।
वूत का हॉटस्टार क्षण
डिजिटल अधिकारों, जिसे पैकेज बी कहा जाता है, की बेस प्राइस 33 करोड़ रुपये प्रति मैच रखी गई थी जो आखिरकार 50 करोड़ रुपये में बिकी। यह बेस प्राइस की तुलना में 52 फीसदी ज्यादा है। इसे वायाकॉम के ओटीटी प्लेटफॉर्म वूत का हॉटस्टार क्षण भी कह सकते हैं। जिस तरह आइपीएल 2017 के अधिकारों ने हॉटस्टार को बदल दिया उसी तरह वायाकॉम को मिले अधिकार वूत की किस्मत बदल सकते हैं।
घरेलू टेलीविजन अधिकार भी बेस प्राइस की तुलना में 17 फीसदी अधिक पर बिके। डिजिटल अधिकारों की तुलना में यह आंकड़ा छोटा लग सकता है, लेकिन आइपीएल 2022 के दौरान दर्शकों की घटती संख्या को देखते हुए यह भी कम नहीं है।
नई टैरिफ व्यवस्था में टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई के नए नियम लंबे समय के सब्सक्रिप्शन के लिहाज से थोड़े नुकसानदायक हो सकते हैं, खासकर उन ग्राहकों के लिए जो चैनलों का पूरा बंडल खरीदते हैं। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म से मिलने वाली चुनौती टेलीविजन प्रसारण पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगी।
डीटीएच में गिरावट
ट्राई के आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2021 तिमाही में डीटीएच के एक्टिव सब्सक्राइबर की संख्या करीब 10 लाख घट गई। इन तथ्यों के मद्देनजर यह देखना रोचक होगा कि टेलीविजन प्रसारण करने वाली कंपनी पिछले साल की तुलना में अतिरिक्त रेवेन्यू कैसे जुटाती है।
डिजनी-स्टार भले ही आइपीएल के डिजिटल अधिकार की बोली हार गई हो, उसके पास प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी ज्यादा स्पोर्ट्स कंटेंट है। उसके पास भारतीय क्रिकेट के अलावा आइसीसी, इंग्लिश प्रीमियर लीग, आइएसएल, प्रो कबड्डी लीग के अधिकार भी हैं जो आइपीएल के डिजिटल अधिकारों की भरपाई कर सकते हैं।
भारत में खेल प्रसारण के नए युग की शुरुआत हो गई है और आइपीएल दिनों-दिन बड़ा होता जाएगा। इसलिए आश्चर्य नहीं कि आइपीएल के प्रसारण अधिकारों की नीलामी में बीसीसीआइ को अगली बार और अधिक रकम मिले।
इस बार तो घरेलू प्रसारण अधिकारों के लिए ही कड़ी बोली लगी। आइपीएल के वैश्विक अधिकार वायाकॉम और टाइम्स इंटरनेट ने जीते हैं। लेकिन यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें आगे काफी संभावनाएं हैं। उत्तर अमेरिका और यूरोप के बाजारों में आइपीएल का क्रेज बढ़ने पर इसके लिए बोली भी बढ़ने की पूरी संभावना है। हो सकता है अगली नीलामी में ही वह मौका आ जाए।
(लेखक स्पोर्ट्स वैल्यूएशन एक्सपर्ट हैं। कंपनियों और स्पोर्ट्स टीम को उनकी वैल्यूएशन में सलाह देते हैं। यहां व्यक्त विचार निजी हैं)