Advertisement
5 अगस्त 2024 · AUG 05 , 2024

छत्तीसगढ़ः निकाय चुनावों का मुकाबला

नगर निकाय और पंचायत चुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने कसी कमर, आंदोलन की तैयारी
सियासी रंगः मितानिन दीदीयों के साथ भोजन करने मुख्यमंत्री साय

अब सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस में नए मुकाबले की तैयारी है। दोनों पार्टियों ने इस साल नवंबर-दिसंबर में तय नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है। भाजपा सरकारी योजनाओं, त्योहारों और पारंपरिक खेलों के आयोजन के जरिये लोगों का मन छूने में जुट गई है। कांग्रेस मानसून सत्र में विधानसभा का घेराव और पार्टी में बड़ा फेरबदल कर के चुनाव में अपनी खोयी प्रतिष्ठा को पाने के लिए पसीना बहाने की तैयारी में है। हाल ही में राजधानी रायपुर में मूसलाधार बारिश के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मितानिन बहनों के साथ पंगत में बैठे दिखे। पंगत में मुख्यमंत्री ने बस्तर के दरभा से आई मितानिन दीदियों जयमनी नाग और कवर्धा की बैगा जनजाति की दसनी बाई के साथ भोजन किया। भोजन से पहले मुख्यमंत्री ने मितानिन बहनों को सौगात दी और हर माह उनकी प्रोत्साहन राशि को सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करने की शुरुआत की। इसके साथ ही राज्य भर में 90 करोड़ 8 लाख 84 हजार 20 रुपये की प्रोत्साहन राशि सीधे मितानिन बहनों के बैंक खाते में डाली गई।

भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 में महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इस चुनावी घोषणा ने जादू का काम किया और प्रदेश में भाजपा ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की। 90 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा में भाजपा 54 सीटों पर विजयी हुई। कांग्रेस महज 34 सीटों पर सिमट गई और एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के खाते में गई।

भाजपा सरकार बनने के बाद और लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ भी मिलना शुरू हो गया। जाहिर है, योजना के क्रियान्‍वयन का असर लोकसभा चुनाव के परिणाम में दिखाई दिया। भाजपा ने प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की। अब प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के पहले प्रदेश भाजपा हरेली त्योहार के माध्यम से लोगों को जोड़ने में जुट रही है। 15 जुलाई से सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में मंत्रिमंडल के सदस्य, संसद, विधायक और पार्टी के सभी पदाधिकारी सक्रिय रूप से भाग लेने जा रहे हैं। त्योहार में भाजपा के नेता गेड़ी चढ़ने के अलावा गांव, शहरी और सभी ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक खेल और अन्य गतिविधियों का आयोजन करेंगे। हरेली त्योहार के अलावा तीज, गुरु पूर्णिमा जैसे त्योहारों का आयोजन पंचायत, ब्लॉक, ग्रामीण और शहरी अंचलों में किया जाएगा।

प्रदेश में इसके पहले हरेली त्योहार का आयोजन कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्री निवास में किया जाता था। तब भूपेश बघेल गेड़ी चढ़ते थे। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे दिखावा बताते थे।

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बिजली दरें बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन में

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बिजली दरें बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन में

नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले राज्य सरकार सस्ते गैस सिलेंडर पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। चुनाव से पहले सरकार गरीब वर्ग की महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा भी पूरा करने जा रही है, इसके लिए नवा रायपुर के मंत्रालय में बैठकें भी हो चुकी हैं। भाजपा के लिए यह योजना चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकती है। विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी की गारंटी (घोषणापत्र) में भाजपा ने सस्ता गैस सिलेंडर देने का वादा किया था।

भाजपा की इस रणनीति पर कांग्रेस का कहना है कि भाजपा हमेशा ही मतदाताओं को लालच देने की कोशिश करती है। फिर भी, किसी भी कीमत पर पार्टी इस बार अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाएगी। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं कि भाजपा चुनावों को देखकर वादा पूरा करने की बात करती है और अब नगरीय निकाय चुनाव से पहले भाजपा फिर से वही करने जा रही है।

वे कहते हैं, ‘‘भाजपा केवल मतदाताओं को लालच देने की कोशिश करती है मगर इस बार यह फार्मूला नहीं चलने वाला है।’’

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के माध्यम से कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करने की फिराक में नजर आ रही है। पार्टी अपने संगठन में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इस दिशा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज जिलाध्यक्षों, मोर्चा, प्रकोष्‍ठ और संगठन अध्‍यक्षों से सवाल-जवाब कर चुके हैं। बैठक में जिला अध्यक्षों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों की हार के कारणों पर चर्चा के अलावा पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई है। चर्चा के दौरान पार्टी के भीतर विवाद और कलह की बातें सामने आई हैं।

विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में जिन सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है, वहां के जिला अध्यक्षों को साफ संकेत दे दिए गए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस में बड़े पैमाने पर जिला अध्यक्षों को बदलने पर विचार किया जा रहा है। साथ ही कुछ राज्य स्तरीय पदाधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। पार्टी जिला स्तर पर संगठनात्मक ढांचे में भी फेरबदल करने जा रही है।

कांग्रेस पार्टी 22 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान 24 जुलाई को विधानसभा का घेराव करने जा रही है। राज्य में बिगड़ी कानून व्‍यवस्‍था, पिछले छह महीने में बढ़ी माओवादी हमलों की घटनाएं, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और बिजली दरों में हुई बढ़ोतरी को लेकर भी कांग्रेस ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।

प्रदेश में पहले नगर निकाय के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते थे। इसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव मतदाता करते थे। बीते पांच साल के दौरान सत्ता में रही कांग्रेस ने इस व्यवस्‍था को बदल दिया। इसमें पार्षदों के माध्यम से महापौर और अध्यक्ष चुने जाने लगे। दोनों के अलग-अलग परिणाम होते हैं। अब मुख्यमंत्री साय अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ बैठकर इस पर फैसला लेने जा रहे हैं। बैठक में तय किया जाएगा कि प्रणाली यही रहने दी जाए या इसमें बदलाव किए जाए। 

राज्य में 184 नगरीय निकाय हैं। इनमें से 169 के लिए इसी वर्ष के अंत में चुनाव होने  वाले हैं। बाकी 15 निकायों का कार्यकाल 2025 में पूरा होगा। इस वजह से इन सीटों पर बाद में चुनाव कराए जाएंगे। नगर निकाय चुनाव 2019 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश के सभी 14 नगर निगमाें में कांग्रेस के महापौर चुने गए थे। अभी केवल 13 निगमों में कांग्रेस है और एक में भाजपा का महापौर है।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement