Advertisement

उत्तर प्रदेश/वनटांगिया समुदाय: वनटांगिया के जंगलों में रामराज

बरसों से जंगल में रहने को अभिशप्त समुदाय में विकास गतिविधियों के माध्यम से भाजपा ने बढ़ाई अपनी पैठ
बदलावः वनटांगिया समुदाय के बच्चों के लिए संचालित स्कूल में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों के जंगल क्षेत्र में रहने वाला समुदाय वनटांगिया अब मुख्यधारा में शामिल हो रहा है। सदियों का घुप्प अंधेरे वाला जीवन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। योगी आदित्यनाथ का दावा है कि वनटांगिया गांवों में रामराज्य आ रहा है। गोरखपुर के तिनकोनिया जंगल के बुजुर्ग चन्द्रजीत कहते हैं, “महाराज जी ने वनटांगियों को वह सब दिया, जिसके इंतजार में हमारी कई पीढ़ियां खत्म हो गईं।” गोरखपुर जिले के क्षेत्र रजही से आगे बढ़ने के बाद जंगली रास्ते शुरू होते हैं। यहीं से होकर वनटांगिया अपने घरों तक जाते थे। पहले ये रास्ते कच्चे थे। अब यह सड़क आरामदायक है। यहां 2017 के पहले छोटे से कच्चे और छप्पर के घरौंदों में लोग रहते थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बताते हैं कि सांसद बनने से पहले एक बार वे महाराजगंज जा रहे थे कि रास्ते में कुछ लोग मिले, जो आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर दिख रहे थे। उनकी दशा जानकर उन्होंने अपने स्तर पर सुधार की कोशिश की। बच्चों के पढ़ने के लिए उनकी गोरखनाथ संस्था ने यहां एक निशुल्क स्कूल खोला। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने इस समुदाय के विकास के लिए कुछ कदम उठाए।

वनटांगिया औरतों का कहना है कि योगी ने कुसम्ही और तिकोनिया गांवों में पीने के लिए शुद्ध पानी, आवागमन के लिए सड़क, रहने के लिए मकान, शौचालय, बिजली, गैस कनेक्शन, स्कूल, राशनकार्ड सहित विकास की सभी योजनाएं उन तक पहुंचाई हैं। 2007 के बाद से हर दीपावली पर मुख्यमंत्री इन लोगों के साथ त्योहार मनाने लगे हैं। यहां वे लोगों को मिठाई, कपड़े, टॉफी बांटते हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता उमाशंकर पांडेय इन दावों पर एतराज जताते हैं। उन्होंने बताया कि गोरखपुर और महाराजगंज जिले में लगभग 23 वनटांगिया गांव घने जंगलों में हैं। यहां की सरकारों ने उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया। 2006 में यूपीए सरकार ने फॉरेस्ट राइट एक्ट (वन अधिकार अधिनियम) के तहत तीन पीढ़ियों से रह रहे इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराईं, उन्हें जमीन, स्कूल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी पहुंचाया गया। अब योगी जी वहां जाकर यूपीए द्वारा कराए गए कार्यों का श्रेय ले रहे हैं। जो योगी सरकार को करना था कि उनके लिए चकबंदी होनी चाहिए थी, उनकी खतौनी होनी चाहिए थी, उनके नाम दर्ज कराते, लेकिन भाजपा सरकार इस मामले में फेल है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री दीपावली में जाकर वहां ईवेंट करके चले आते हैं।

ब्रिटिश हुकूमत ने जंगल लगाने और उसकी रखवाली करने के लिए जंगलों के बीच कुछ लोगों को बसा दिया था। इनके वनटांगिया कहलाने के पीछे की कहानी यह है कि जंगल क्षेत्र में पौधों की देखरेख करने के लिए मजदूर रखे गए थे। इसके लिए 1920 में म्यांमार में आदिवासियों द्वारा पहाड़ों पर जंगल तैयार करने के साथ ही खाली स्थानों पर खेती करने की पद्धति ‘टोंगिया’ को आजमाया गया। इसलिए इस काम को करने वाले श्रमिक वनटांगिया कहलाए। वनटांगिया श्रमिक भूमिहीन थे। वे परिवार के साथ जंगलों में रहते थे। इसलिए दूसरी पीढ़ी के लोगों का अपने मूल स्थान से कटाव हो गया और वे जंगल के ही होकर रह गए।

कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों- जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। 1947 में देश भले आजाद हुआ, लेकिन वनटांगियों का जीवन वैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी, न झोपड़ी के अलावा कुछ और। वनटांगिया समुदाय के गांवों में स्कूल, अस्पताल, बिजली, सड़क, पानी, जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं।

गोरखपुर के वनटांगिया गांव जंगलों के बीच बसे हुए हैं। 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं इन बस्तियों तक पहुंचाने के लिए  महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कॉलेज और एमपीपीजी कॉलेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को लगाया। जंगल तिनकोनिया नंबर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू किए गए ये प्रयास 2007 तक आते-आते मूर्त रूप लेने लगे। 2017 में योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के 37 वनटांगिया गांवों को राजस्व गांव का दर्जा दिया।

विपक्ष की राय इस बारे में उलट है। मुख्य विपक्षी दल के नेता विधान परिषद सदस्य डॉ. राजपाल कश्यप कहते हैं कि भाजपा सरकार हमेशा अनुसूचित जाति और जनजातियों की बात तो करती है लेकिन उनके जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए गए जिससे वे किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा पाने से वंचित हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार ने जंगल और ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली ऐसी सभी जनजातियों का जीवन बेहतर बनाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बिजली, पानी, सड़क और छोटे-छोटे लोन की व्यवस्था की थी। वे कहते हैं कि योगी सरकार अगर वनटांगिया की मदद करना चाहती है, तो अभी संसदीय चुनाव में उनके लिए सीट आरक्षित करे और टिकट देकर सदन तक पहुंचाए।

उमाशंकर पांडेय बताते हैं कि 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार वनटांगिया समुदाय चकबन्दी की मांग कर रहे हैं, लेकिन योगी सरकार ऐसा नहीं कर रही है, बल्कि उन सभी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का भाजपा सरकार झूठा श्रेय ले रही है क्योंकि इन लोगों का कोई भी कार्य जमीन पर है ही नहीं, केवल वोट के लिए है।

देश जब आजादी का अमृत काल मना रहा है, गोरखपुर से सटे जंगली गांवों में रहने वाले वनटांगिया समुदाय में राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव है। इस समुदाय से आज तक कोई विधायक या सांसद नहीं बन सका है। कुछ साल पहले तक तकरीबन यही स्थिति गोरखपुर के आसपास रहने वाले मुसहरों और निषादों की हुआ करती थी। भाजपा ने बीते बरसों में इन पिछड़ी जातियों को वोट के लिए साधा। आज मुसहर और निषाद भाजपा के समर्पित वोटर बन चुुके हैं। दो साल पहले योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों में रामराज लाने की बात कही थी।  इन समुदायों का विकास हो या नहीं, लेकिन आने वाले चुनावों में वनटांगिया की शक्ल में भाजपा का एक और वोटर बेस जरूर तैयार हो गया है।

गोंडा में भी अपने पैरों पर खड़ा हो रहा वनटांगिया

बदलाव की बयार

गों डा का वनटांगिया समुदाय अब अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है। गोंडा जिले के नवाबगंज और मनकापुर ब्लॉक के चार वनटांगिया गांवों में युवक और युवतियों के कौशल विकास के लिए वनटांगिया ग्राम प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। मनकापुर के अशरफाबाद और बुटहनी वनटांगिया गांवों में भी इन प्रशिक्षण केंद्रों की शुरुआत की जाएगी।

रामगढ़ वनटांगिया गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए न केवल सड़क का निर्माण कराया गया, बल्कि इस गांव में बिजली पहुंचाने का काम किया गया है। इस समुदाय के लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था करने के लिए अब उप्र कौशल विकास योजना के अन्तर्गत वनटांगिया ग्रामों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

पिछले दिनों वनटांगिया गांवों के 18 से 35 वर्ष युवक और युवतियों के बीच सर्वे किया गया। युवतियों में ब्यूटीशियन और नर्सिंग कोर्स को लेकर रुझान दिखा। इस आधार पर इनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का चयन किया गया। अशरफाबाद और बुटहनी में सिलाई, बुनाई और नवाबगंज के रामगढ़ और महेशपुर में ब्यूटीशियन और नर्सिंग का कोर्स संचालित होगा।

Advertisement
Advertisement
Advertisement