लोकसभा चुनाव में शानदार फतह हासिल करने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी अक्टूबर में होने वाले हरियाणा के विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। राज्य में लोकसभा की सभी दस सीटों पर जीत के साथ 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 79 में बढ़त दर्ज करने वाली भाजपा की उम्मीदें आसमान छू रही हैं। विपक्ष के कमजोर और विभाजित होने के बावजूद वह फूंक-फूंककर कदम रख रही है। वह टिकट वितरण में खासी सख्ती बरत सकती है। उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश के लिए भाजपा हर सीट की टोह ले रही है। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद भी कार्यकर्ताओं से बात कर रहे हैं। चुनाव से पहले दूसरी पार्टियों के नेता भी भाजपा में आने को बेताब हैं। पार्टी कुछ बाहरी नेताओं को टिकट देने पर विचार कर सकती है। ऐसे में, पार्टी 47 विधायकों में से 10-15 के टिकट और काट सकती है। इनमें तीन-चार मंत्री भी हो सकते हैं।
कुछ दिनों पहले खट्टर ने नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करके विधानसभा चुनाव में रणनीति पर लंबी चर्चा की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने आउटलुक को बताया कि उम्मीदवारों का चयन ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा। भाजपा ने चुनाव में 75 सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य तय किया है। इस बार विधानसभा चुनाव में राजनैतिक परिदृश्य 2014 से एकदम अलग है। 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बिना गठबंधन के भाजपा को उम्मीदवार जुटाना भी मुश्किल था, इस बार टिकट के लिए मारा-मारी हो रही है।
उम्मीदवारों के चयन में सावधानी बरत रही भाजपा जिन विधायकों के टिकट काट सकती है, उनमें भगवान दास कबीरपंथी (नीलोखेड़ी), सुभाष सुधा (थानेसर), घनश्याम दास (यमुनानगर), रोहिता रेवरी (पानीपत), असीम गोयल (अंबाला शहर), घनश्याम सर्राफ (भिवानी), मूलचंद शर्मा (बल्लभगढ़) शामिल हैं। मंत्रियों में खाद्य एवं वन राज्यमंत्री कर्णदेव कंबोज और जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी मंत्री बनवारी लाल के टिकट कटने की चर्चा है। चर्चा वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का चुनाव क्षेत्र बदले जाने की भी है। हिसार लोकसभा क्षेत्र में कैप्टन अभिमन्यु के नारनौंद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा तीसरे स्थान पर गई थी। कृषि मंत्री ओ.पी. धनखड़ के विधानसभा हलके झज्जर में भी भाजपा पीछे थी, तो उनका भी क्षेत्र बदला जा सकता है।
संभावित उम्मीदवारों की भरमार के बीच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हर सीट पर जीत सुनिश्चित करने में जुटा है। मुख्यमंत्री प्रत्येक क्षेत्र में लोगों के बीच जाकर मजबूत उम्मीदवार तलाश रहे हैं। मुख्यमंत्री लोगों से पूछ रहे हैं कि वे अपने हलके का विधायक किसे चुनना चाहते हैं? वह सरकारी नौकरियों की भर्ती में पारदर्शिता के उपायों के बारे में भी बताते हैं। भाजपा में संगठन स्तर पर हरेक हलके का सर्वे अलग से किया जा रहा है।
भाजपा के 90 प्रत्याशियों में से एक तिहाई नए हो सकते हैं। इनमें दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए नेताओं के अलावा संगठन के गैर-जाट युवा नेताओं को वरीयता मिलने की चर्चा है। बिखरी कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के कई नेता टिकट पाने के लिए भाजपा में जाने को बेताब हैं। इनमें जिंदल परिवार का नाम भी आ रहा है। चर्चा है कि कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल और उनकी मां पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम सकते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कलायत से निर्दलीय विधायक जयप्रकाश जेपी, पुंडरी से निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक के भी भाजपा में जाने की चर्चा है।
भाजपा ने मिशन हरियाणा-75 के लिए एक बार फिर खट्टर सरकार के “बिन खर्ची, बिन पर्ची” का नारा दिया है। वह पारदर्शी तरीके से एक लाख सरकारी भर्तियों को चुनावी हथियार बना सकती है। हरियाणा में भाजपा के प्रभारी डॉ. अनिल जैन ने कहा कि नौकरियों की भर्ती में भारी भ्रष्टाचार रहा है, जिसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला सजा काट रहे हैं। जबकि प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रणसिंह मान का कहना है कि भाजपा के कार्यकाल में पेपर लीकेज के मामले में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती की कार्यशैली संदेह पैदा करती है।