भारत भर में भगवान राम के लाखों मंदिर हैं। ऐसे में अयोध्या में ऐसी क्या खास बात है कि मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने की जरूरत पड़ी। अयोध्या में जिस स्थान पर भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है वहां कोई अस्पताल या स्कूल क्यों नहीं बनाया गया। क्या राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का प्रयास देश में पंथ निरपेक्षता को चुनौती देगा? ऐसे ही कुछ प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। पुस्तक में भगवान राम के जन्म से लेकर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय तक राम जन्मभूमि पर विवाद की समाप्ति की संपूर्ण यात्रा को सरल, सहज भाषा में समेटने का प्रयास किया है।
पुस्तक में केवल हिंदू धार्मिक ग्रंथों को आधार नहीं बनाया गया है, बल्कि यूरोपीय यात्रियों के 16वीं से 19वीं सदी के बीच भारत की यात्रा के आधार पर लिखे गए संस्मरणों का दिलचस्प वर्णन भी है। इसके अलावा ब्रिटिश शासन काल के सरकारी गजट और अन्य अधिकारिक रिकार्ड का भी संदर्भ सहित उपयोग किया गया है। पुस्तक के अंत में ऐतिहासिक दस्तावेजों को लेकर एक खास परिशिष्ट भी दिया गया है, जो संदर्भ के लिए विशेष उपयोगी होगा। लेखकों ने बड़ी संख्या में मुस्लिम स्रोतों का भी उपयोग किया है। आजादी से पहले तक कभी जन्मस्थान को लेकर कहीं कोई शंका नहीं थी।