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6 मार्च 2023 · MAR 06 , 2023

पुस्तक समीक्षा: फिल्मी अदाकारों की असल शख्सियत

पिक्चर प्लस के इस विशेषांक में विशिष्ट आलोचकों और वरिष्ठ पत्रकारों ने दिलीप साहब की कला और जहीन शख्सियत के ऐसे पहलुओं को उभारा है
दिलीप कुमार पर अंक

हाल में लंबी बीमारी के बाद शरद दत्त दुनिया को अलविदा कह गए। आकाशवाणी और दूरदर्शन से जुड़े रहे शरद जी हिंदी पत्रकारिता के स्तंभ की तरह थे। खासकर वे फिल्मों के अनोखे चितेरे और इतिहासकार थे। उनके संपादन में पिक्चर प्लस पत्रिका फिल्म-कला और परदे पर उतरने से पहले उसकी निर्माण-प्रकिया तथा महत्वपूर्ण शख्सियतों के बारे में ऐसी जानकारियां पाठकों तक पहुंचाती है, जो यकीनन दस्तावेज की तरह हैं। जनवरी 2023 का अंक हिंदी फिल्मों के ‘सितारा-ए-आजम’ दिलीप कुमार पर केंद्रीत है, क्योंकि यह उनका जन्म शताब्दी वर्ष है। उनकी जन्मतिथि 11 दिसंबर 1922 है।

पिक्चर प्लस के इस विशेषांक में विशिष्ट आलोचकों और वरिष्ठ पत्रकारों ने दिलीप साहब की कला और जहीन शख्सियत के ऐसे पहलुओं को उभारा है, जिससे फिल्मों का इतिहास समृद्घ होता है। चर्चित फिल्मी पत्रिका माधुरी के स्वनामधन्य संपादक रहे दिवंगत अरविंद कुमार ने वह दिलचस्प किस्सा बयान किया है, जो बताता है कि दिलीप साहब की लोगों में दीवानगी किस तरह थी। 1966 में जिस शाम सायरा बानो और दिलीप कुमार की शादी थी, उसकी अगली सुबह माधुरी बाजार में आने वाली थी। सो, कवर पर शादी की तस्वीर छाप दी गई, जबकि अंदर एक शब्द भी नहीं था। अंक खूब बिका। ऐसे ही मधुबाला से गांठ क्यों नहीं बंध पाई, देवदास की भूमिका में इतने डूबे कि उन्हें मनोचिकित्सक की सलाह लेनी पड़ी जैसे उनकी जिंदगी की कई दास्तान और उनके अनोखे कला पक्ष पर विरले लेख संग्रहणीय हैं।  

पिक्चर प्लस

प्रधान संपादकः शरद दत्त

जनवरी 2023

मूल्य: 45 रु.

पृष्ठ:58

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