उपन्यास नागा साधुओं के बारे में कई रोमांचित करने वाले रहस्यों को उद्घाटित करता है। जिन्हें पढ़कर कोई भी आश्चर्य में पड़ जाए। कई बार पढ़ते-पढ़ते मन नागा साधुओं के प्रति श्रद्धा से भर उठता है। हिंदू वैदिक परंपरा को आगे ले जाने वाले इन साधुओं के कठिनाई भरे जीवन, वेशभूषा, क्रियाकलाप, साधना विधि की रहस्यमयी परतें खोलता यह उपन्यास पृष्ठ दर पृष्ठ विस्मित करता है। कथानक के सीमित पात्रों में नागा साधुओं पर शोध करनेवाली रूमी अपने प्रेमी शेखर के साथ शोध संबंधी तथ्य जुटाने के प्रयास में नागा साधुओं की कंदराओं में जाती है और फिर उद्घाटित होते हैं एक से बढ़कर एक रोमांच भरे रहस्य।
उपन्यास में आक्रांताओं के विरुद्ध इन अदृश्य योद्धाओं की असाधारण वीरता की कई प्रामाणिक कहानियां हैं। इस उपन्यास में वही सामने लाने का प्रयास हुआ है। इनकी मजबूत प्रतिबद्धता और त्याग भावना ही इन्हें नागा साधु बनाती है। आत्म संयम और थका देने वाली लंबी प्रक्रिया से गुजरते हैं ये लोग।
उपन्यास बताता है कि आक्रमणकारियों के मन में नागा साधुओं का इतना भय था कि वह जहां नागा साधु देखते वहां आक्रमण का विचार बदल देते थे। कितनी ही बार नागा साधुओं ने खुद को नायक साबित कर इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है। इन तपस्वी योद्धाओं नागा साधुओं ने मुगलों, तुर्कों, अफगानों, और अंग्रेजो सहित विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। वे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध और हमारे मठ, मंदिरों की रक्षा हेतु संकल्पबद्ध थे।
उपन्यास में रूमी और शेखर की नोंक-झोंक वाली प्रेमकथा साथ चलती है, जिससे अंत तक उपन्यास कहीं भी बोरियत का अनुभव नहीं कराता।
शोधकर्ताओं और अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए यह एक जानकारी भरा पिटारा है, नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया में प्रवेश करवाने वाला अद्भुत उपन्यास है। वर्तमान पीढ़ी को उनके बलिदान और उनकी वीरता से अवगत करा प्रेरणा का उपक्रम भी है।
द नागा स्टोरी (उपन्यास)
सुमन बाजपेयी
प्रकाशक | प्रभात प्रकाशन
कीमतः 300 रुपये
पृष्ठः 184 पेज