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पुस्तक समीक्षा: कविता के नए स्वर

करीब दो दशक से हिंदी कविता युवा कविता के चेहरे का प्रारूप बन गई है
नए कवि के सामने ये चुनौतियां अधिक होती हैं। उसे कुछ नया कहना होता है, जो अब तक नहीं कहा गया

करीब दो दशक से हिंदी कविता युवा कविता के चेहरे का प्रारूप बन गई है। आए दिन कोई न कोई युवा कवि हमारे सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। हाल के वर्षों में कई युवा कवियों के संचयन भी आए हैं। चर्चित कवि, कथाकार संजय कुंदन ने 15 युवा कवियों का एक संचयन संपादित किया है। यह हिंदी कविता की नवीनतम पीढ़ी है, जो साहित्य की दुनिया में सक्रिय है। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि हिंदी में युवा काफी संख्या में कविताएं लिख रहे हैं। इस तरह कविता का परिवार विस्तार ले रहा है लेकिन हमें इस पर भी विचार करना होगा कि आखिर इतनी संख्या में नए लोग क्यों सामने आ रहे हैं? क्या वे यश की कामना या धन अर्जन या अपनी पहचान बनाने आ रहे हैं या इस देश और समाज की हालत अत्यंत चिंताजनक है, जिससे विचलित होकर ये लेखक कुछ अभिव्यक्त कर रहे हैं। अभी इन कवियों के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।

वाम प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह में 15 कवि हैं, जिनमें 5 कवय‌ित्रियां भी हैं। इनमें श्रुति कुशवाहा, अनुपमा सिंह, अर्चना लार्क, कविता कादम्बरी और रूपम मिश्र हैं। इनके अलावा पुरुष कवियों में कमलजीत चौधरी, अंचित, पराग पावन जैसे थोड़े परिचित नाम हैं तो फरीद खान, सतीश छिम्पा, ब्रजेश, अखिलेश श्रीवास्तव, गुंजन श्रीवास्तव, विधान, अंजन कुमार जैसे बिल्कुल नए कवि हैं। इस तरह यह युवा कविता के नए स्वर का एक ताजा संचयन है। इसकी भूमिका हिंदी के वरिष्ठ कवि कुमार अम्बुज ने लिखी है।

‘कंटीले तार की तरह’ शीर्षक इस बात को ध्वनित करता है कि समय बहुत कंटीला है और साहित्य का रास्ता कम कांटों से भरा नहीं यानी लेखकों के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

नए कवि के सामने ये चुनौतियां अधिक होती हैं। उसे कुछ नया कहना होता है, जो अब तक नहीं कहा गया। उसे अपनी बात नई भाषा, नए अंदाज, नए शिल्प में भी कहनी होती है, जो पहले से कही और लिखी गई कविताओं से अलग हो।

जाहिर है, इस संग्रह को भी इन्हीं कसौटियों पर खरा उतरना होगा। कुमार अम्बुज ने भी अपनी भूमिका में इसका संकेत दिया है। अम्बुज ने सही लिखा है कि "ये कविताएं सामाजिक रूप से सजग हैं। विडंबना, विषमताओं की सही पहचान करती हैं। उनकी अलौकिकता द्रष्टव्य है, वे अपना समय दर्ज करती हैं, सवाल करती हैं।"

अम्बुज ने यह भी लिखा है कि कविता का कल भी है और उसे निकष पर भी खरा उतरना होगा। ये नए कवि हैं, इसलिए इनमें कुछ कच्चापन और अनगढ़पन भी दिखता है। वैसे, इस संचयन में हर कवि की तीन चार कविताएं हैं। किसी कवि को महज चार-पांच कविताओं के माध्यम से जाना नहीं जा सकता, लेकिन ये कविताएं उम्मीद जगाती हैं कि वे भविष्य में बेहतर संसार रचेंगी।

कंटीले तार की तरह

संपादकः संजय कुंदन

प्रकाशन | वाम प्रकाशन

मूल्यः 225 रु.| पृष्ठः 149

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