इलाहाबाद को अब नया नाम मिल गया है। वजह चाहे जाे हो, प्रयागराज इन दिनों इंद्रधनुषी तस्वीर पेश करने की रंगकारी और चित्रकारी में मशरूफ है। हाल में नया नाम पाए इस पवित्र और ऐतिहासिक शहर को “पेंट माय सिटी” अभियान भित्तिचित्रों से अलग शक्ल दे रहा है।
इसके लिए कुंभ मेला आयोजन समिति ने लगभग पांच आर्ट एजेंसियों को शहर के लगभग तीन लाख वर्गफुट इलाके की इमारतों को रंगीन भित्तिचित्रों से रंगारंग कर देने का जिम्मा सौंपा है। इसका थीम हैः कुंभ के मद्देनजर पौराणिक कथाएं, इलाहाबाद का इतिहास और सरकार के सामाजिक कार्यक्रम वगैरह।
इसका बजटः करीब 30 करोड़ रुपये है। भित्तिचित्रों का विचार शायद “बगावती” तेवर वाले इलाहाबाद वासियों को न सुहाए। लेकिन शहर भर के प्रतिभाशाली कलाकारों ने शहर की दीवारों पर रंग बिखेरने के लिए कुछ अलग ही सलाहियत का परिचय दिया है। यह चित्रकारी अगले साल जनवरी में होने वाले कुंभ मेला की तैयारी का हिस्सा है।
कई कलाकारों ने इलाहाबाद से जुड़ी पौराणिक कथाओं और इतिहास का अपना नजरिया भी चित्रकारी के जरिए पेश किया है। शहर में ट्रैफिक के बीच सफर करते दीवारों पर विशाल साइकिल पर सवार साधु, प्रार्थना में लीन घुंघराले बाल वाले हनुमान जी, कहीं कोई कल्पनाओं की खिड़की और काली भैंसों की चमकती सींगें मानो हमारे कैमरे से कुछ कहने, कुछ भेद खोलने की कोशिश करती हैं।