रांची की गलियों और मैदानों में बल्ला नचाकर क्रिकेट के बादशाह बने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नई पारी शुरू की है। किसान धोनी के रूप में वे खेत में नई पारी खेल रहे हैं। माही के नाम से मशहूर कैप्टन कूल यानी धोनी का खेती में भी वही अंदाज है। यहां भी चौके-छक्के लगाकर नाम कमा रहे हैं। उनके फार्म हाउस से निकली फसलें अपने आप में ब्रांड हैं। ये खूब पसंद किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया में भी धोनी प्रगतिशील किसान वाले अंदाज में दिख जाएंगे। कभी खेतों में खुद ट्रैक्टर चलाकर मिट्टी से रिश्ता बनाते, तो कभी स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाते। जब वे खेत में तोड़कर स्ट्रॉबेरी खाते हैं, तो वह भी एक स्टाइल बन जाता है।
रांची शहर के केंद्र, हरमू में रहने वाले धोनी ने रिंग रोड के किनारे सिमलिया के पास फार्म हाउस वाले अंदाज में मकान बनाया है। अब यही उनका ठिकाना है। इसे भी उन्होंने कायदे से संवारा है। यह ग्रीन एरिया से भरपूर है। उनके क्रिकेट के साथी हों या दूसरे लोग, गाहे-बगाहे यहीं जमावड़ा लगता है। मगर धोनी का असली फार्म हाउस रांची से कुछ ही दूरी पर रिंग रोड के करीब सैंबो में है, सीआरपीफ कैंप के करीब। यह फार्म हाउस करीब 43 एकड़ में फैला है। धोनी ने इसका नाम रखा है ‘ईजा’।
जबरदस्त मांग
आज के दौर में जब खान-पान की वजह से बीमारियां लोगों को घेर रही हैं, तो जैविक खेती पर लोगों का जोर बढ़ा है। हर तरफ बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के, जैविक खाद की वकालत हो रही है। लोगों ने इसे अपनाना भी शुरू किया है। मगर बिना किसी प्रचार के धोनी ने इसमें हाथ डाला और पूरी तरह जैविक उत्पादन शुरू किया है। वे देखते हैं कि आधुनिक तकनीक के साथ, कम पानी में कैसे ज्यादा उपज हो। धोनी जब भी रांची में होते हैं अपने फार्म हाउस की क्यारियों में लहलहाती फसलों को निहारना नहीं भूलते। आज रांची के बाजार में धोनी के खेत से निकली फूलगोभी, टमाटर, बंधगोभी, फ्रेंचबीन, गाजर आदि का जायका लोग ले रहे हैं। रांची में कई आउटलेट पर इनकी बिक्री हो रही है। ताजी होने के कारण डिमांड भी भरपूर है। टाटी सिल्वर में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से मान्यता प्राप्त ‘फल उद्योग नर्सरी’ चलाने वाले श्रवण, धोनी के खेत में पौधों की देखभाल करते हैं। श्रवण के अनुसार अनानास, बड़े किस्म के बेर, कश्मीरी सुंदरी, आम, अमरूद, पपीता के पौधे तैयार हो रहे हैं। अभी स्ट्रॉबेरी, टमाटर, ब्रॉकली, छीमी निकल रहा है। कद्दू भी तैयार हो रहा है। सब के सब जैविक हैं। सिर्फ गोबर खाद से तैयार। रांची के डेली मार्केट में अरशद इन दिनों सिर्फ धोनी के फार्म हाउस की स्ट्रॉबेरी और टमाटर बेच रहे हैं। मांग इतनी अधिक है कि ज्यादा देर करेंगे तो नहीं मिलेगा। दुकान पर बैनर चिपका है, ‘ग्रोइंग विद लव-ईजा फार्म्स’। यहां कड़कनाथ मुर्गी के अंडे, गोबर खाद की ताजी सब्जियां और गाय का दूध बिकता है। फ्रंट पर धोनी की तस्वीर होती है।
सिर्फ सब्जी नहीं
ईजा में सिर्फ सब्जियां ही नहीं उगाई जा रही हैं। यहां डेयरी भी है तो कड़कनाथ मुर्गे की भी व्यवस्था हो रही है। धोनी के फार्म हाउस का प्रबंधन देखने वाले कुणाल गौरव बताते हैं कि यहां से शहर के कई इलाकों में दूध की भी आपूर्ति होती है। ईजा फार्म हाउस में साहिवाल, एचएफ और लोकल देसी नस्ल की 73 गायें हैं। यहां अभी करीब 38 एकड़ में खेती हो रही है। सवा एकड़ में तो सिर्फ स्ट्रॉबेरी लगाई गई है। यहां की जैविक सब्जियों की दुबई सप्लाई करने की योजना है। कुणाल के अनुसार, कड़कनाथ मुर्गा भी जल्दी ही इस फार्म हाउस में आ जाएगा। कड़कनाथ मुर्गे की खासियत है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है- लो फैट, हाई प्रोटीन, लो कोलेस्ट्रॉल। मध्य प्रदेश के झाबुआ से दो हजार कड़कनाथ चूजे का आर्डर किया गया था। सप्लाई होने से पहले ही बर्ड फ्लू के कारण सप्लाई का मामला फिलहाल फंस गया है।
जैविक खेती के ब्रांड एंबेसडर
धोनी झारखंड ही नहीं, देश की थाती हैं। धोनी की जैविक खेती राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख को भी लुभा गई है। वे उन्हें झारखंड में जैविक खेती का आइकॉन बनाकर प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहते हैं। बादल कहते हैं कि राज्य सरकार उन्हें जैविक खेती का ब्रांड एंबेसडर बनाने पर विचार कर रही है। खेती से भागने वाली नई पीढ़ी को इससे संदेश मिलेगा। खेतों की आत्मा बचाए रखने के लिए जैविक खेती का संदेश मिलेगा। इससे पहले पूंजी निवेश के प्रोत्साहन और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान धोनी को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था।
धोनी ने पिछले साल 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था। मगर संन्यास से करीब तीन साल पहले ही फार्म हाउस यानी ईजा फार्म की नींव डाल दी थी। इसमें मिली कामयाबी के बाद अब नगड़ी और दूसरे इलाकों में भी नए फार्म हाउस के लिए जमीन तलाशी जा रही है।
निराला अंदाज
धोनी अनेक मामलों में लोगों के रोल मॉडल हैं। वे विज्ञापन की दुनिया में तो बहुत दिनों से हैं, अब एंटरटेनमेंट की दुनिया में भी कदम रख चुके हैं। ‘धोनी एंटरटेनमेंट’ के बैनर तले फिल्में और वेब सीरीज बनाने की तैयारी है। वे जब भी रांची आते हैं तो मौका निकालकर रांची-जमशेदपुर रोड पर देउड़ी मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलते। उनके लगातार जाने के कारण इस सैकड़ों साल पुराने मंदिर की ख्याति बढ़ गई है। क्रिकेट में आने के शुरुआती दिनों में उनके लंबे लहराते बाल भी युवाओं में ट्रेंड बन गया था। बाइक के दीवानों के लिए भी धोनी रोल मॉडल हैं। उनके पास यामहा 100 और बुलेट से लेकर हार्ले डेविडसन तक, एक से एक बाइक हैं। जब मन होता है, वे चुपचाप बाइक उठाकर रांची की सड़कों पर निकल पड़ते हैं।
क्रिकेट की तरह सड़क पर भी उन्हें रफ्तार पसंद है। कभी धोनी के कोच रहे चंचल भट्टाचार्य बताते हैं कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो तब मंत्री थे। उनके इलाके सिल्ली में एक मैच था। काफिले में धोनी गाड़ी में पीछे बैठे थे। धीमी रफ्तार से बोर हो रहे थे। अचानक कूदे और ड्राइवर की सीट पर जा बैठे। काफिले में शामिल तमाम गाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए आगे निकल पड़े।
सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें भी काफी ट्रेंड होती हैं। कभी गायक की भूमिका में, तो कभी कुत्तों के ट्रेनर (धोनी कुत्तों के भी शौकीन हैं, खुद कई कुत्तें पाल रखे हैं) के रूप में, कभी पानी के जहाज के चालक की भूमिका में तो पिता की भूमिका में बेटी जीवा के साथ समंदर किनारे रेत के पहाड़ बनाते हुए, कभी पत्नी साक्षी के साथ नोक-झोंक करते हुए तो कभी रिवाल्वर से निशाना साधते हुए, कभी दोस्तों के साथ बर्थ डे पार्टी में चेहरे पर केक का क्रीम लपेटे। अब देखना यह है कि जब किसान दिल्ली की सड़कों पर जंग लड़ रहे हैं, तो ऐसे में किसान धोनी का रंग कितना निखरता है।