आयकर विभाग ने छत्तीसगढ़ में मेयर, अफसरों और कारोबारियों के घरों में छापे डालकर राजनीतिक भूचाल ला दिया है। छापे के खिलाफ कांग्रेस सड़क पर आ गई, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मंत्री राजभवन जा पहुंचे। संघीय व्यवस्था का हवाला देकर मुख्यमंत्री की तरफ से प्रधानमंत्री को लिखे पत्र से केंद्र और राज्य सरकार में टकराव साफ दिखाई देने लगा है। भूपेश बघेल के नजदीकी लोगों को ही निशाने पर लेने से 15 महीने पुरानी सरकार चक्रव्यूह में उलझी दिखती है। छापे को लोकसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बघेल की टिप्पणी का नतीजा भी माना जा रहा है। आयकर विभाग ने 27 फरवरी से 2 मार्च तक छापों में 150 करोड़ रुपये नकद, हवाला कारोबार, शराब और माइनिंग के अवैध धंधे के साथ जमीन की बेनामी खरीद-फरोख्त के खुलासे का दावा किया है।
आयकर अधिकारियों ने पांच दिन में राज्य के 25 से अधिक ठिकानों पर छापे मारे। छापे की जद में रायपुर के मेयर एजाज ढेबर और उनका परिवार भी आ गया। ढेबर का परिवार रियल एस्टेट और होटल कारोबार से जुड़ा है। जनवरी में रायपुर के महापौर बने एजाज ढेबर और उनके भाई अनवर ढेबर की मुख्यमंत्री से निकटता चर्चा में थी। रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड को डॉ. रमन सिंह ने रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) का चैयरमैन बनाया था। वे रमन के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव रहे, लेकिन उन्हें इन दिनों भूपेश बघेल का अघोषित सलाहकार कहा जा रहा था। नान घोटाले में उलझे आइएएस अनिल टुटेजा को बघेल, सरकार की मुख्यधारा में लेकर आए। इनकी पत्नी मीनाक्षी का ब्यूटी पार्लर चेन है। दोनों पर छापे पड़े हैं। हमेशा सत्ता के इर्द-गिर्द रहने वाले होटल कारोबारी और खेल संघों से जुड़े गुरुचरण होरा की मुख्यमंत्री निवास में एंट्री बढ़ गई थी। उन्हें भी आयकर विभाग ने लपेट लिया। शराब कारोबारी अमोलक सिंह भाटिया और एक्साइज विभाग के ओएसडी अरुणपति त्रिपाठी के निवास पर भी छापे पड़े। वे बीएसएनएल के अधिकारी हैं और राज्य सरकार में डेपुटेशन पर हैं। वैसे तो आयकर विभाग ने कई कारोबारियों और चार्टर्ड एकाउटेंट को निशाने पर लिया, लेकिन सबसे चौंकाने वाला नाम मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया का रहा। राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या को सीएम सचिवालय का सबसे ताकतवर अफसर कहा जाता है। आयकर विभाग ने अलग-अलग लोगों की जब्ती का खुलासा नहीं किया है। कहा जा रहा है अब इन्वेस्टिगेशन में कई बातों का खुलासा होगा।
आमतौर पर सरकार में बैठे लोगों, चाहे मंत्री हों या अफसर, उनके खिलाफ शिकायतें होती रहती हैं। कुछ अफसरों के खिलाफ भाजपा के पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने प्रवर्तन निदेशालय को शिकायतें भेजी थीं। सौम्या चौरसिया के खिलाफ शिकायत भिलाई के शेषनारायण शर्मा ने राज्य के ईओडब्ल्यू से लेकर पीएमओ तक की थी। आरोप है कि सौम्या ने अपनी मां और सास के नाम काफी जमीन खरीदी है।
छापे के लिए विभाग ने चार महीने से जाल बिछाना शुरू कर दिया था, लेकिन इसकी भनक राज्य के ताकतवर लोगों को नहीं लगी और उनके घरों तक टीम जा पहुंची। सबसे चौंकाने वाला घटनाक्रम तो दिल्ली से आयकर अफसरों की फौज के साथ सीआरपीएफ के जवानों के प्रवेश का रहा। भूपेश बघेल के करीबी लोगों पर छापे की कार्रवाई के बाद ही राज्य सरकार को खबर लगी। कार्रवाई के बाद पुलिस के कदम सरकार के लिए भारी पड़ गए। रायपुर की पुलिस ने छापा मारने आए आयकर अधिकारियों की गाड़ियां नो-पार्किंग में खड़ी होने का तर्क देकर देर रात जब्त कर लीं।
मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता राज्य सरकार को सूचित किए बिना सीआरपीएफ जवानों के साथ आयकर टीम के राज्य में प्रवेश को संघीय ढांचे के खिलाफ मान रहे हैं। हालांकि आयकर अधिवक्ता नरेश गुप्ता का कहना है कि संविधान की किसी अनुसूची में उल्लेख नहीं है कि सर्च की टीम किसी राज्य में प्रवेश से पहले राज्य सरकार को सूचित करे। सर्चिंग में स्थानीय पुलिस की मदद ले या न ले, यह आयकर विभाग पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेताओं ने छापों को राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश भी बताया। मुख्यमंत्री ने कहा, “आयकर छापे राजनीति से प्रेरित हैं, और छापों में केंद्रीय बल का इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक है। संघीय ढांचा, संवैधानिक लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है। अगर हम इसका पालन करने में विफल रहे तो अराजकता आ जाएगी। सहकारी संघवाद की भावना को बरकरार रखते हुए प्रधानमंत्री से आवश्यक कदम उठाने की उम्मीद करता हूं।” कांग्रेस ने यहां आयकर विभाग के दफ्तर का घेराव किया और दिल्ली में भी कांग्रेस के नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमले किए। रमन सिंह के खिलाफ पनामा पेपर लीक की जांच न कराने का आरोप लगाकर मामले का राजनीतीकरण करने की कोशिश की।
15 साल की भाजपा सरकार को बुरी तरह पराजित कर करीब 15 महीने पहले सत्ता में आई कांग्रेस सरकार पर इन छापों से भाजपा को हमले का मौका मिल गया। राज्यसभा सांसद और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष रामविचार नेताम ने कहा- अफसरों पर छापे से मुख्यमंत्री बदहवास क्यों हो रहे हैं। क्या मुख्यमंत्री विधायकों की जगह अफसरों की मदद से सरकार चला रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा- कांग्रेस के पास 69 विधायक हैं, कुछ अधिकारियों पर आयकर छापे से सरकार कैसे अस्थिर हो जाएगी? उन्होंने कहा, “आइटी का छापा एक सामान्य प्रक्रिया है। किसी के पास अघोषित संपत्ति मिलती है, तो उस पर केस बनेगा। छापे से सरकार को कैसे खतरा?” छापे के तत्काल बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कार्रवाई को भाजपा राज में मलाईदार पदों पर रहे अफसरों पर नकेल कहा, लेकिन अगले दिन कांग्रेस का रुख बदलने से संशय बढ़ा। मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या के दो दिन लापता रहने और उनके निवास को आयकर विभाग द्वारा सील करने से छापेमारी कार्रवाई को ऊंचाइयां मिल गईं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा राज में भी आयकर छापे पड़े थे। आइएएस अफसर बाबूलाल अग्रवाल आय से अधिक आमदनी में फंसे भी। तब सरकार के काफी करीब कहे जाने वाले शराब कारोबारी पप्पू भाटिया पर भी आयकर विभाग ने कार्रवाई की थी। छत्तीसगढ़ में शराब और माइनिंग दो ऐसे सेक्टर हैं, जहां कालेधन की आशंका ज्यादा रहती है। पिछली सरकार पर भी इन्हीं दो सेक्टर को लेकर कई गंभीर आरोप लगे थे। राज्य सरकार को शराब से करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये राजस्व मिलता है। शराब की खपत में यह राज्य देश में दूसरे नंबर पर है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन इसकी जगह सरकारी दुकानों में महंगी शराब बेचने की खबरें आने लगीं। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में एकतरफा जीत से भी यहां कांग्रेस सरकार शक के घेरे आ गई।
लोकसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के सलाहकार आर. के. मिगलानी और उनके रिश्तेदारों के यहां आयकर छापे पड़े थे। लेकिन तब राज्य और केंद्र सरकार के रिश्तों पर सवाल नहीं उठे थे। एजाज ढेबर को छोड़ दें तो छापे की जद में आने वाले सभी अधिकारी और कारोबारी हैं। छापे से केंद्र से रिश्ते में खटास को राज्य के हित में अच्छा नहीं माना जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार कौशल शर्मा कहते हैं- केंद्र सरकार से मधुर संबंध न होने का असर विकास पर पड़ेगा। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए राहें कुछ कठिन होंगी। संभल कर प्रशासन चलाना होगा और फूंक-फूंककर राजनीतिक कदम उठाने होंगे। मुख्यमंत्री की किचन कैबिनेट पर छापे के कई संकेत भी हैं।
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आइटी का छापा सामान्य प्रक्रिया है। किसी के पास अघोषित संपत्ति मिलती है, तो उस पर केस बनेगा। छापे से सरकार को कैसे खतरा? सीआरपीएफ लेकर गए, पुलिस और सीआरपीएफ में कोई अंतर नहीं
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डॉ. रमन सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
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इनके यहां पड़े छापे
एजाज ढेबर: रायपुर के मेयर। इनके होटल-रेस्तरां कई शहरों में हैं। रियल एस्टेट, स्टील का भी कारोबार है। इनके भाई अनवर ढेबर पर भी छापे।
सौम्या चौरसिया: राज्य प्रशासनिक सेवा 2008 बैच की अफसर हैं। दिसंबर 2018 से मुख्यमंत्री की उपसचिव हैं।
विवेक ढांड: रेरा के चेयरमैन हैं। रमन सरकार में 2014-18 तक मुख्य सचिव थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कॉलेज में पढ़ा चुके हैं। सरकार बदलने के बाद सीएम के करीब आए।
अनिल टुटेजा: उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव हैं। बहुचर्चित नान घोटाले में भी आरोपी हैं। इनकी पत्नी मीनाक्षी टुटेजा की पार्लर चेन है।
अरुणपति त्रिपाठीः इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी हैं। आबकारी विभाग में ओएसडी हैं। केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर आए हैं।
गुरुचरण सिंह होरा: रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) में इंजीनियर रहे गुरुचरण सिंह होरा 2013 में नौकरी छोड़कर होटल के कारोबार में आए। इसके बाद जमीन के कारोबार में बड़ा काम किया। फिलहाल, एक होटल और सिटी केबल न्यूज चैनल के मालिक हैं।
अमोलक सिंह भाटियाः प्रमुख शराब कारोबारी हैं। इन्हें कांग्रेस का करीबी माना जाता है। रमन राज में परिदृश्य से बाहर रहे।
(इनसे जुड़े कई सीए और अन्य लोगों के यहां भी आयकर की टीम पहुंची)