भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 वर्ल्ड कप का मैच। भारत, पाकिस्तान को करारी शिकस्त देता है और मोमिन साकिब नाम के एक पाकिस्तानी लड़के का मीम वायरल होता है...‘एकदम से वक्त बदल दिया, जज्बात बदल दिए, जिंदगी बदल दी।’ साकिब को 2019 में कोई नहीं जानता था लेकिन एक मीम वायरल क्या हुआ, उन्हें पाकिस्तान के टीवी सीरियल में काम करने का न्योता मिलने लगा। इंस्टाग्राम पर साकिब के फॉलोअर सीधे हजार से लाखों में पहुंच गए। यही नहीं, एक मीम की वजह से आज उन्हें विराट कोहली और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी भी देखते ही पहचान जाते हैं। यही मीम की असली ताकत है। एक अदना-सा मीम रातोरात आपकी जिंदगी और वक्त बदल सकता है। एक मीम आपको वह पहचान दिला सकता है जो बड़े-बड़े सितारों को दशकों की मेहनत के बाद भी नसीब नहीं होती। एक मीम आपको चंद लम्हों में फर्श से अर्श तक पहुंचा सकता है। 2016 में टाइम्स पत्रिका की सबसे प्रभावशाली किशोरों में शामिल, अमेरिका की जानी-मानी अभिनेत्री स्काई जैक्सन कहती हैं, ‘‘लोग मुझे ऐसे मिलते हैं, ‘ओह, तुम वह लड़की हो जिसे हमने मीम में देखा है?’ यह मजेदार है कि कभी-कभी लोग मुझे मेरे टीवी शो से नहीं, बल्कि मेरे ऊपर बने मीम के वजह से पहचानते हैं।’’ मीम के बारे में अब यह कहा जाने लगा है कि सूर्य की रोशनी को धरती पर गिरने में भले ही 8.3 मिनट लगते हों, लेकिन मीम यह काम एक मिनट में ही कर देगा।
भारत में ऐसे कई लोग हैं जिन पर वायरल मीम ने उन्हें इतना लोकप्रिय बना दिया कि उनके दीवाने आज लाखों और करोड़ों में हैं। सबसे बड़ा उदाहरण प्रिया प्रकाश वारियर, रानू मंडल, डांसिंग अंकल के नाम से मशहूर संजीव श्रीवास्तव, ‘बचपन का प्यार’ गाने से वायरल हुए सहदेव और ‘देख रहा है न बिनोद’ मीम से पॉपुलर हुए दुर्गेश कुमार और अशोक पाठक हैं। पंचायत में बिनोद का किरदार निभाने वाले अभिनेता अशोक पाठक आउटलुक से कहते हैं, ‘‘पंचायत का मेरा किरदार इतना वायरल हुआ कि अब लोग मुझे मेरे नाम से नहीं, बल्कि बिनोद के नाम से पुकारते हैं। मीम के जरिये मुझे पॉपुलिरिटी मिली। जिन लोगों ने यह वेब सिरीज नहीं देखी है, अब वे भी मुझे पहचान जाते हैं। यह सिर्फ मीम से संभव हुआ।’’ ऐसा ही कुछ दुर्गेश कुमार भी कहते हैं। उनका मानना है कि मीम ने उन्हें घर-घर पहुंचा दिया। मीम की शुरुआत जबसे हुई है, सब कुछ बदल गया है। लोग अब चाय के साथ सास-बहू के सीरियल या कोई फिल्म नहीं, बल्कि मीम देखते हैं। यही नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियों के मार्केटिंग के तरीकों में भी बदलाव आया है। 21वीं शताब्दी में ‘इंफोटेनमेंट’ की सबसे बड़ी मिसाल मीम बन चुका है।
अथ मीम कथा
मीम की शुरुआत कब हुई और दुनिया की पहली मीम कौन-सी है, इसको लेकर बहस-मुबाहिसे चलते रहते हैं। किसी के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि पहली बार मीम किसने बनाया, हालांकि ‘मीम’ शब्द की पहली सटीक परिभाषा पैट्रिक डेविसन के 2009 के निबंध द लैंग्वेज ऑफ इंटरनेट मीम्स में देखने को मिलती है। वे कहते हैं, ‘‘इंटरनेट मीम एक संस्कृति का टुकड़ा है जो आम तौर पर मजाकिया होता है और अपना प्रभाव ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से प्राप्त करता है।’’ अगर ‘मीम’ शब्द की उत्पत्ति की बात करें तो इसकी जड़ ग्रीक के शब्द ‘मिमेमा’ से जुड़ी है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- इमिटेशन या नकल करना। आम धारणाओं के अनुसार विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिन्स ने 1976 की अपनी बेस्टसेलिंग किताब द सेल्फिश जीन में पहली बार ‘मीम’ शब्द गढ़ा। उन्होंने एक विचार, व्यवहार या शैली का वर्णन करने के लिए मीम शब्द का इस्तेमाल किया, जो किसी संस्कृति में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। अपनी पुस्तक में उन्होंने मीम के प्रसार की तुलना किसी वायरस से की थी।
डॉकिन्स को उस वक्त इसके भविष्य के इंटरनेट से संबंधित संदर्भ का कोई पता नहीं था, लेकिन दशकों बाद उन्होंने डिजिटल दुनिया में मीम शब्द के प्रयोग का समर्थन किया और कहा कि नया अर्थ उनकी मूल व्याख्या से ज्यादा अलग नहीं है, हालांकि उन्होंने मीम की किताबी व्याख्या की है। मीम की दुनिया में काम करने वाले और वन प्लस, ओएलएक्स और फेसबुक जैसी कंपनियों की मीम मार्केटिंग कर चुके मनीष जालान आउटलुक से कहते हैं, ‘‘मीम को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि लोग इसे सिर्फ फनी कंटेंट समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कोई भी स्टेटिक इमेज मीम होती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे 15 सेकेंड के वीडियो को हम रील के नाम से जानते हैं।’’ भारत में मीम की शुरुआत 2000 के दशक में हुई, जब सोशल मीडिया नेटवर्क ने लोगों की रुचि की सामग्री के लिए रास्ता खोल दिया। उसके बाद ही रजनीकांत वर्सेस सीआइडी जोक्स (आरवीसीजे), द एनिजिनियर ब्रो, सर्काज्म, सर्कास्टिक इंडिया और मीम मंदिर जैसे पेज बने, जो बाद में भारतीय मीम क्रांति के मुख्य सूत्रधार हुए। मीम के शुरुआती दिनों में जितने भी लोग फेसबुक पेज पर मीम बनाते थे, वे आज लाखों-करोड़ों की मीम मार्केटिंग कंपनी खोल मुनाफा कमा रहे हैं।
पहले का मीम आज के मीम से बिल्कुल अलग था। बीबीसी के अनुसार, पहली बार मीम 1921 में एक व्यंग्य पत्रिका द जज के कॉलम में निकला। पत्रिका ने एक फ्रेम में ‘उम्मीद बनाम हकीकत’ (एक्सपेक्टेशन वर्सेज रियलिटी) की तस्वीर लगाई थी। एक कैप्शन में लिखा था, ‘आप फ्लैशलाइट में कैसे दिखते हैं’, जबकि दूसरे में कैप्शन लिखा था,‘आप हकीकत में कैसे दिखते हैं।’ आज भी वह मीम टेम्पलेट सर्वाधिक यूज किए जाने वाले टेम्पलेटों में से एक है। इंटरनेट पर पहला मीम 1996 तक सामने नहीं आया। 2000 के बाद से भारत में मीम ने रफ्तार पकड़ी लेकिन तब अधिकांश लोग यह तक नहीं जानते थे कि आखिर मीम क्या है।
गूगल ट्रेंड्स के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि मीम 2013 से धीरे-धीरे भारत में लोकप्रियता हासिल करने लगा और 2018 में जोमाटो और स्विगी जैसे ब्रांड ने इसके प्रचलन में तेजी बढ़ाई। कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया पूरी तरह से ‘मीम-मय’ हो गया। महामारी के दौरान ही युवाओं के बीच ‘मीम योर फ्रूस्टेशन’ जैसा वाक्य कूल सिंबल बन गया। भारत में मीम को शुरुआती दिनों में बढ़ावा देने वाले पेज रजनीकांत वर्सेस सीआइडी जोक्स, जिसका नाम अब आरवीसीजे हो गया है, के सह-संस्थापक अजीज खान आउटलुक से कहते हैं कि लॉकडाउन मीम मार्केट के लिए वरदान साबित हुआ। उनका कहना है कि जब लोग घरों में पूरी तरह से कैद हो गए थे, तब उन्होंने मीम को मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया बनाया।
कैसे बनता है मीम?
मीम की लोकप्रियता इतनी है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं मीम के जरिये देते हैं। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क अक्सर ट्विटर पर मीम शेयर करते रहते हैं। अभिनेत्री नोरा फतेही खुद को ‘मीम क्वीन’ बता चुकी हैं। सोशल मीडिया यूज करने वाला कोई भी ऐसा आदमी नहीं होगा जिसने जाने-अनजाने में अपने दोस्तों को मीम फॉरवर्ड नहीं किया होगा। मीम बनने का एकमात्र मूल मंत्र ‘कैच द ट्रेंड ऐंड मेक मीम’ है। बड़े-बड़े ब्रांड खुद को ट्रेंड में बनाए रखने के लिए मीम बनवाते हैं। मीम का जलवा इतना बढ़ चुका है कि कंपनियां अब मीम ऑफिसर हायर करने लगी हैं, जिनका काम सोशल मीडिया के ट्रेंड पर नजर रखना और मीम बनाना होता है या एक तरह से कंपनियों की मीम मार्केटिंग करना होता है। स्लाइस क्रेडिट कार्ड के चीफ मीम ऑफिसर गर्व मलिक आउटलुक से कहते हैं, ‘‘हम सब सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। हमारी नजर मीडियम और लोअर लेवल के मीम क्रिएटर्स पर होती है। हम उन्हें देखते हैं कि वे किस थीम पर मीम बना रहे हैं। हम उसी स्पॉट को पकड़ते हैं, जो ट्रेंड हो सकता है और उस पर मीम बनाना शुरू कर देते हैं।’’ अजीज कहते हैं, ‘‘मीम बनने के कई पहलू हैं, लेकिन सबसे बड़ा यह है कि वायरल क्या हो रहा है? अगर कोई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होती है तो उस पर मीम बनना शुरू हो जाएगा, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ब्रांड खुद हमसे संपर्क करते हैं और खुद पर मीम बनाने को कहते हैं।’’
मीम मार्केटिंग कंपनी सोशलमेट के संस्थापक सुरील जैन कहते हैं, ‘‘मीम बनने के लिए हमारे पास 20 लोगों की टीम है, जो कंटेंट और मार्केट ट्रेंड का रिसर्च करती है। अगर कोई फिल्म आती है या कोई ट्रेलर रिलीज होता है तो उसमें से हम एक छोटा-सा हिस्सा निकाल लेते हैं। उस छोटे से क्लिप में पोटेंशियल होता है कि वह ट्रेंड हो सके।’’ ओटीटी पर रिलीज होने वाली फिल्मों या सिरीज के क्लिप को मीम बनाकर सुनियोजित तरीके से वायरल कराया जाता है। इसकी शुरुआत सेक्रेड गेम्स से हुई थी और आज सभी करीब 90 फीसदी ओटीटी कंपनियां इस अचूक हथियार का इस्तेमाल करती हैं।
मीम का भविष्य?
मेटा के स्वामित्व वाले एक प्लेटफॉर्म ने 2019 में ग्लोबल मीम समिट आयोजित किया था। इस शिखर सम्मेलन ने मार्क जुकरबर्ग और इंस्टाग्राम के हेड ऑफ प्रोडक्ट विशाल शाह भी शामिल हुए। इस सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि भविष्य में मीम के पास अनंत संभावनाएं हैं। भारत में जितने भी मीम क्रिएटर हैं, उनका यही मानना है कि भारत में मीम की अभी शुरुआत भर हुई है और आगे की राह उज्ज्वल है। भारत में मीम के प्रति बढ़ते क्रेज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय स्मार्टफोन उपयोगकर्ता प्रतिदिन 30 मिनट मीम देखने में खर्च करते हैं। स्ट्रेटजी कंसलटेंसी फर्म रेडसीर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल मीम की खपत में 80 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं, डिजिटल मार्केटिंग सॉल्यूशन कंपनी आइक्यूबस्वायर के संस्थापक और सीईओ साहिल चोपड़ा का कहना है कि मीम इंप्रेशन अगस्त 2019 में 1.98 करोड़ से बढ़कर जुलाई 2020 में 2.49 करोड़ हो गया है। इंटरनेट मीम की सर्वव्यापकता इसी से पता चलती है कि सफल क्रिप्टोकरेंसी डोजकॉइन मूल रूप से ‘डोज’ मीम के आधार पर एक मजाक के रूप में बनाई गई थी। स्लाइस के चीफ मीम ऑफिसर गर्व मलिक कहते हैं, ‘‘दुनिया भर में दो क्रिप्टोकरेंसी (डोज और शिबू) है, जिनका फंडामेंटल पूरी तरह से मीम पर आधारित है। आज इन दोनों का मार्केट कैप 15 बिलियन का है। अकेले, डोजकॉइन का कुल बाजार पूंजीकरण जोमैटो के मार्केट कैप के बराबर है।’’
सोशल मीडिया पर मीम के असर से कुछ भी अछूता नहीं है। कभी भी और किसी भी चीज पर मीम चुटकियों में बन सकता है और इससे भी कम समय में वह वायरल हो सकता है। वायरल मार्केटिंग का सबसे बड़ा हिस्सा मीम मार्केटिंग बन चुका है। एक जमाना था जब मीम को मात्र अजीबोगरीब तस्वीरें माना जाता था, जिसके जरिये इंटरनेट पर मनोरंजन किया जाता है, लेकिन आज मीम रोजमर्रा के सोशल मीडिया संवाद का हिस्सा बन चुका है जिसे हर मिनट इस्तेमाल और साझा किया जाता है। भारत की सबसे बड़ी मीम कंपनी के संस्थापक काइल फर्नांडिस कहते हैं, ‘‘जो लोग सोचते हैं मीम मात्र एक ट्रेंड है और जल्द खत्म हो जाएगा, वे गलत हैं। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि मीम ट्रेंड नहीं है, बल्कि इसकी वजह से ट्रेंड बनता है।’’ मीम की लोकप्रियता, मीम के जरिये मार्केटिंग के प्रति बढ़ती दिलचस्पी की वजह से वह वक्त अब दूर नहीं जब मार्केटिंग के जरिये किसी ब्रांड को लोकप्रिय बनाने के लिए यह वाक्य प्रयोग होने लगे कि ‘लेट्स मीम योर ब्रांड।’
अजीज खान, आरवीसीजे मीडिया के सह-संस्थापक और चीफ रेवेन्यू ऑफिसर
80 करोड़ का है मीम मार्केट
लॉकडाउन मीम मार्केट के लिए वरदान साबित हुआ। जब लोग घरों में कैद हो गए, तब मीम उनके लिए मनोरंजन का बड़ा जरिया बना, लेकिन यहां पहुंचने से पहले हमें कई सीढ़ियां चढ़नी पड़ीं। आरवीसीजे मीडिया का पुराना नाम ‘रजनीकांत वर्सेस सीआइडी जोक्स’ था। इसकी शुरुआत शाहिद जावेद अंसारी ने की। एक दिन उन्होंने फेसबुक पेज बनाया और जिन जोक्स को वे मोबाइल पर फॉरवर्ड किया करते थे उसे फेसबुक पेज पर डालने लगे। लोगों ने इसे इतना पसंद किया कि आज हम भारत की सबसे बड़ी मीम मीडिया कंपनी हैं। फेसबुक पर हमारे 1.3 करोड़, इंस्टाग्राम पर 90 लाख और ओवरआल रीच करीब 4 करोड़ लोगों तक है। सोशल समोसा की तरफ से हमें बेस्ट मीम मार्केटिंग एजेंसी का अवॉर्ड मिल चुका है।
मीम मार्केटिंग की लोकप्रियता बढ़ने से पहले गूगल ट्रेंड्स मार्केटिंग काफी डिमांड में था, लेकिन उसकी ऑडियंस रिटेंशन रेट ज्यादा नहीं थी। यूट्यूब और फेसबुक पर कोई भी दर्शक किसी भी विज्ञापन को पूरा नहीं देखता है। पांच सेकेंड के बाद ही उसे स्किप कर देता है। इस मामले में मीम मार्केटिंग को बढ़त हासिल है क्योंकि दर्शक उसे छोड़ते नहीं हैं बल्कि साझा भी करते हैं। शुरुआत में यह बाजार असंगठित था, लेकिन आज जब कोई कंपनी हमारे पास आती है तो उसके पास मार्केटिंग की पूरी योजना होती है कि उसके लक्षित दर्शक और क्षेत्र क्या हैं और कितने दिनों तक अभियान चलाना है।
लॉकडाउन के दौरान मीम मार्केटिंग असल मायने में सोशल मीडिया मार्केटिंग का हिस्सा बना। भारत में अभी इसकी शुरुआत है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि जल्द ही यह परंपरागत मार्केटिंग की जगह ले लेगा क्योंकि टीवी, रेडियो और अखबार की ग्रोथ या तो कम हो रही है या स्थिर, लेकिन मीम मार्केटिंग की सालाना ग्रोथ 100 फीसदी के करीब है। भारत में इसका मार्केट करीब 80-90 करोड़ का है जो 2023 तक करीब दोगुना हो जाएगा। एक समय था जब सिर्फ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े ब्रांड ही मीम मार्केटिंग कराते थे, लेकिन आज एचडीएफसी, पेटीएम और बजाज एलायंस जैसे ब्रांड भी मीम्स के जरिये अपनी मार्केटिंग कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह, मीम के 70-80 फीसदी दर्शक 14 से 28 साल की उम्र के लोग हैं। आरवीसीजे मीडिया अभी तक पेप्सी, अमेजन प्राइम और कैडबरी जैसी कंपनियों का प्रमोशन कर चुका है।
मीम वायरल मार्केटिंग का महत्वपूर्ण भाग है। मीम बनने के कई पहलू हैं। सबसे बड़ा यही कि वायरल क्या हो रहा है। अगर कोई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है, तो उस पर मीम बनना शुरू हो जाएंगे। कई कंपनियां खास मौकों पर मीम बनवाती हैं। जैसे, नया साल या दिवाली पर फ्लिपकार्ट, मिंत्रा और अमेजन जैसी कंपनियां मीम मार्केटिंग कराती हैं। कुछ कंपनियां सिर्फ आइपीएल के समय ऐसा करती हैं। अगर हम किसी कंपनी के लिए एक हफ्ते कैंपेन चलाते हैं तो करीब 50 हजार रुपये लेते हैं। 80 करोड़ रुपये का मार्केट होने के बावजूद इसे सरकार से मान्यता मिलना बाकी है। हम चाहते हैं कि हमारे लिए भी एक प्रॉपर फ्रेमवर्क हो क्योंकि इसके बिना मीम बनाने वालों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कॉपीराइट (इमेज) और लाइसेंसिंग की समस्या भी हमें देखने को मिल रही है।
काइल फर्नांडीस, सीईओ और सह-संस्थापक, मीमचैट
मीम से बनता है ट्रेंड
मैं 15 साल का था जब मैंने पहली बार सब्सक्राइब नाम से एक मार्केटिंग एजेंसी खोली। बाद में सर्कास्टिक इंडिया नाम से मीम पेज बनाया, जो बहुत पॉपुलर हुआ। अब कई ब्रांड खुद पर मीम बनवाकर 'जेनेरेशन जेड' से जुड़े रहना चाहते हैं। मीम की बढ़ती डिमांड को देखते हुए हमने मीमचैट ऐप बनाया है। यह किसी को भी मीम बनाकर पैसे कमाने का मौका देता है। मीमचैट के जरिये लाखों यूजर रोजाना मीम बनाते हैं। एक मीम के लिए उन्हें करीब 5 से 10 रुपये मिलते हैं। हमारे साथ ऐसे लोग ज्यादा जुड़े हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं और जेब खर्च के लिए मीम बनाते हैं।
2019 में हमारे पास करीब 50 हजार एक्टिव वीकली यूजर थे। यह संख्या 2020 में 1 लाख तक पहुंच गई। अभी हमारे पास 14 लाख से अधिक एक्टिव यूजर हैं। मीमचैट को अभी तक 1 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया है और एप्लिकेशन पर करीब 3 करोड़ से अधिक मीम बनाए जा चुके हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि लोग मीम शेयर करना पसंद करते हैं। मीम जेनरेशन जेड की भाषा बन चुका है। इसकी प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण ही यही है कि एक इमेज और दो-चार शब्दों के जरिये बड़ी से बड़ी खबर सरलता से बताई जा सकती है। 2021 में हमें करीब 15 लाख डॉलर की फंडिंग मिली। हमारी पहली भारतीय मीम कंपनी है जिसे विदेशी निवेश मिला है। मीमचैट उन 24 ऐप में एक है जिन्हें माइगोव से आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज का विजेता चुना गया था। भारतीय व्यापार और उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद को प्रासंगिक बनाने के लिए भारत सरकार से 15 लाख रुपये का पुरस्कार भी मिला।
कोई मीम अगर वायरल होता है तो वह करोड़ों लोगों तक पहुंच सकता है। पारंपरिक मार्केटिंग के तरीके से ऐसा संभव नहीं है। हम एक दिन में करीब 10 हजार मीम बना सकते हैं। मुझे ठीक-ठाक याद नहीं, लेकिन शायद अल्ट बालाजी या हॉटस्टार के लिए हमने एक दिन में 6 हजार मीम बनाए थे। उन 6 हजार मीम में से 600 मीम कंपनी ने मार्केटिंग के लिए चुने थे।
हमारे पास 600 ऐसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज हैं जिनकी पहुंच करीब 30 करोड़ लोगों तक है। एक मीम की कीमत करीब 100 से 200 रुपये पड़ती है, लेकिन अगर हम उसे अपने पेज से वायरल करते हैं तो उसके लिए हम प्रत्येक मीम के लिए 1000 रुपये लेते हैं। हमारी कंपनी हॉटस्टार, आल्ट बालाजी और अमेजन प्राइम की ऑफिशियल ब्रॉन्डिंग पार्टनर है। लोगों को संशय है कि यह दौर जल्द खत्म हो जाएगा, लेकिन मीम की डिमांड और क्रियेटर दोनों बढ़ रहे हैं। दुनिया भर में करीब 3 अरब सोशल मीडिया यूजर हैं और उसमें से 60 फीसदी लोगों ने कभी न कभी जरूर मीम शेयर किया होगा। मीम मात्र ट्रेंड नहीं है। यह समझने की जरूरत है कि मीम की वजह से ट्रेंड बनता है।
सुरील जैन, एडवरटाइजिंग कंपनी सोशलमेट के एमडी, ट्रॉल्स ऑफिसियल नाम से एक इंस्टाग्राम पेज पर 70 लाख लाइक
90 फीसदी ओटीटी कंपेन मीम मार्केटिंग से
बात 2014 की है, जब मैंने मजाक-मजाक में अपना पेज बनाया। उस वक्त मैं कक्षा 11 में था। शुरुआत में मेरे लिए यह मात्र मनोरंजन था। कक्षा 12 में महीनों पेज पर सक्रिय नहीं रहा। उसके बाद आई महामारी से मेरे लिए सब कुछ बदल गया। मैं अक्सर सुबह 5 बजे के आसपास अपने पेज पर सक्रिय रहता था क्योंकि इस वक्त अन्य मीम पेज एक्टिव नहीं रहते थे। मैंने इसका अधिकतम लाभ उठाया। जैसे-जैसे हमारी लोगों में रीच बढ़ती गई, हम नए-नए पेज के साथ जुड़ते गए। इंस्ट्राग्राम पर ही हम करीब 300 पेज देखते हैं। उसके अलावा ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन और यूट्यूब पर भी हमारी पहुंच है।
हमारे पास 20 लोगों की टीम है जो कंटेंट और मार्केट ट्रेंड का रिसर्च करती है। अगर कोई फिल्म आती है या ट्रेलर रिलीज होता है, तो उसमें से हम छोटा हिस्सा निकाल लेते हैं, जो ट्रेंड हो सकता है। शुरुआत में हम ब्रांड को अप्रोच करते थे और समझाते थे कि मीम मार्केटिंग क्या है, लेकिन आज 90 फीसदी ओटीटी कंपेन इसके जरिये ही चलाए जाते हैं। अब खास ऑडियंस को टारगेट कर मीम तैयार किए जाते हैं। हमारे पास कई ऐसे पेज हैं जो ऐसे टारगेट ऑडियंस के लिए मीम बनाते हैं, जैसे गेमिंग, क्लासिकल या पॉप म्यूजिक, सिनेमा, साहित्य। सबसे के लिए हम अलग मीम बनाते हैं।
मीम मार्केटिंग नया ट्रेंड हैं। यह सेक्रेड गेम्स सिरीज के बाद ज्यादा प्रचलन में आया। सेक्रेड गेम्स के ऊपर जितने भी मीम वायरल हुए वे सुनियोजित थे। मीम मार्केटिंग, मार्केटिंग का ही हिस्सा है लेकिन यह मार्केटिंग जैसा नहीं लगता। यही इसकी लोकप्रियता का एकमात्र राज है क्योंकि यहां आप कोई डिस्क्लेमर नहीं देते। फिलहाल हम 50 से ज्यादा बड़े ब्रांड के साथ काम कर चुके हैं, जिसमें एयरटेल, स्पॉटिफाई, हॉटस्टार, उबर और आल्ट बालाजी जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं। एक पोस्ट के लिए हम करीब 15 हजार रुपये लेते हैं।
आने वाले वक्त में मीम मार्केटिंग या सोशल मीडिया मार्केटिंग बढ़ेगी क्योंकि हमारे पास पोटेंशियल ऑडियंस है। एयरटेल के कंज्यूमर ज्यादातर 18 वर्ष से 35 वर्ष के लोग हैं। इसी तरह ओटीटी कंटेंट जो देखते हैं वे भी इसी उम्र के आसपास हैं। यही मीम की ऑडियन्स भी है। इस हिसाब से मीम मार्केटिंग ही मार्केटिंग का भविष्य है।
मनीष जालान, मीमीडिया के पार्टनर, फेसबुक पर द इंजीनियर ब्रो पेज को करीब 35 लाख लाइक, इंस्टाग्राम पर करीब 10 लाख फॉलोअर
ऐक्टर भी कराते हैं मीम के जरिये ब्रांडिंग
अजीबोगरीब मीम की दुनिया में मैं तुक्के से आया लेकिन फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2007-08 की बात है, मैंने मजाक में एक फेसबुक पेज बनाया जिसका नाम द एनजिनियर बाबू (अब द इंजीनियर ब्रो) था। उस समय लोग फेसबुक पर टेक्स्ट का यूज करते थे और टेक्स्ट में ही मनोरंजन के लिए चुटकुलों का प्रयोग करते थे। हमने पहली बार अपने पेज पर टेक्स्ट की जगह इमेज डालना शुरू की, जिसे लोग पसंद करने लगे। हमारी बढ़ती लोकप्रियता को देखकर छोटे-मोटे ब्रांड हमसे संपर्क कर पेज पर प्रमोशनल पोस्ट डालने को कहने लगे और बदले में हमें कुछ पैसे मिलने लगे।
फिलहाल मेरी पहुंच करीब 400 फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज तक है, जिसकी रीच करीब 7 करोड़ लोगों तक है। हम मीमीडिया नाम से एक मार्केटिंग कंपनी भी चलाते हैं जिसके क्लाइंट अलीबाबा, टी-सीरिज, फेसबुक, ओएलएक्स, यूसी ब्राउजर, वन प्लस और जी फाइव जैसी बड़ी कंपनियां रह चुकी हैं। दो-चार लोगों से शुरू हुई इस कंपनी का कारवां आज करीब 80 लोग के हाथों में है, जिसकी वैल्युएशन करोड़ों में है। जल्द ही हम एक न्यूज प्लेटफॉर्म लांच करेंगे जिसमें मीम के जरिये लोग खबर भी देख-पढ़ सकेंगे।
मीम मार्केटिंग के कई प्रकार होते हैं जैसे इंटिग्रेटेड मीम मार्केटिंग, ऑनलाइन मीम मार्केटिंग और ऑफलाइन मीम मार्केटिंग। कंपनी हमें अपने बजट के हिसाब से ब्रांडिंग करवाती है। मार्केटिंग पूरी तरह सोशल मीडिया पर की जाती है।
मसलन, कोई ब्रांड हमें बताता है कि हमें महिला साक्षरता पर सकारात्मक अभियान चलाना है, जिसके लक्षित दर्शक मुंबई और दिल्ली के लोग हैं, तो हम सबसे पहले ऐसे फेसबुक या इंस्टाग्राम पेज की तलाश करते हैं, जिसके दर्शक ज्यादातर मुंबई और दिल्ली में हों। उस पोस्ट पर जितनी रीच होती है उस हिसाब से हमें पैसे मिलते हैं। अगर कोई पोस्ट की रीच एक लाख है, तो आसानी से एक पोस्ट पर 10 से 15 हजार रुपये मिल जाते हैं।
आजकल व्यक्तिगत मीम मार्केटिंग का जबरदस्त ट्रेंड है। बड़े-बड़े ऐक्टर भी अब मीम मार्केटिंग करते हैं क्योंकि इसमें कम पैसे में उन्हें ज्यादा रीच मिल रही है। हम कुछ ऐक्टरोंं की मार्केटिंग मीम के जरिये कर चुके हैं।
आज कोई ऐसा बड़ा ब्रांड नहीं जिसने मीम मार्केटिंग को न आजमाया हो। दरअसल इससे ब्रांड की डिस्ट्रिब्यूशन कॉस्ट कम हो गयी है। टीवी और अखबार में विज्ञापन में जितने पैसे लगते हैं, उससे 70-80 फीसदी कम पैसे में ही मीम मार्केटिंग हो जाती है। वन प्लस की जब हम मार्केटिंग कर रहे थे तो हमें कंपनी की तरफ से बताया गया कि मीम के जरिये यह दिखाना है कि वन प्लस फोन कितना फास्ट होता है। तब हमने ऐसे मीम बनाए थे कि फास्टेस्ट विकेटकीपर- धोनी और फास्टेट फोन वन प्लस। ऐसे ही मीम मार्केटिंग के जरिये लोगों की खास धारणा बनती है। शुरुआत में एक ब्रांड की मीम मार्केटिंग के लिए मुझे 30 हजार रुपये मिलते थे, लेकिन अब हम एक केंपैन डिजाइन करने का 30 लाख रुपये तक भी लेते हैं। आने वाला समय मीम मार्केटिंग का ही है।