लोकसभा चुनाव में बड़े चेहरों के अलावा स्थानीय मुद्दे खासकर किसानों, आदिवासियों और रोजगार के साथ-साथ प्रत्याशी असरकारक होंगे। यहां मुद्दे से ज्यादा चेहरे मुकाबले को रोचक बनाएंगे। यह चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिए भी परीक्षा है। भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के रहते हुए भी भाजपा के चेहरे रमन सिंह ही हैं।
विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत से यहां कांग्रेस के भीतर काफी उत्साह है। एक-एक सीट के लिए कांग्रेस के कई-कई दावेदार सामने आए हैं। भाजपा से पहले कांग्रेस ने पहली सूची जारी करके सरगुजा से खेलसाय सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उन्हें मंत्री टीएस सिंहदेव की पसंद माना जा रहा है। आदिवासी बहुल होने के साथ यहां क्रिश्चियन और दूसरी जातियों का भी प्रभाव है। एसटी सीट रायगढ़ से धर्मजयगढ़ के विधायक लालजीत सिंह राठिया को उम्मीदवार बनाया गया है। इस क्षेत्र में कुनकुरी (जशपुर) आता है, जहां विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। लालजीत भूपेश बघेल की पसंद हैं। बस्तर से विधायक दीपक बैज को उम्मीदवार बनाया गया है। वे युवा चेहरे के साथ राहुल गांधी से सीधे जुड़ें हैं।
कांकेर से पूर्व जिला पंचायत सदस्य बीरेश ठाकुर को नए चेहरे तौर पर प्रत्याशी बनाया गया है। ठाकुर के दादा और पिता भी यहां से विधायक रह चुके हैं। राज्य की एकमात्र एससी सीट से रवि भारद्वाज को जांजगीर-चांपा से मैदान में उतारा गया है। जांजगीर से बसपा के नेता दाऊराम रत्नाकर का भी चुनाव लड़ना तय है। भाजपा यहां से मौजूदा सांसद कमला पाटले को ही दोबारा प्रत्याशी बनाने की सोच रही है। कांग्रेस में सबसे ज्यादा दावेदार रायपुर सीट से हैं जबकि भाजपा के पास अच्छे प्रत्याशियों की समस्या है।
तीन महीने पहले विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस पर जिस तरह भरोसा जताया था, वह माहौल अभी बदला नहीं है, क्योंकि भाजपा ने तीन महीने में ऐसा कुछ नहीं कर पाई कि लोग उससे जुड़ें। प्रदेश की बघेल सरकार के खिलाफ भाजपा ने अब तक एक भी लड़ाई नहीं लड़ी है। हालांकि भूपेश बघेल सरकार प्रशासनिक अराजकता खत्म करने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई है। यह कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भाजपा को राष्ट्रीय मुद्दे खासकर एयर स्ट्राइक और प्रधानमंत्री आवास व उज्ज्वला योजना कुछ लाभ पहुंचा सकती है। लेकिन जीएसटी और नोटबंदी का भय लोगों के दिमाग से उतरा नहीं है। उधर, जोगी कांग्रेस और बसपा गठबंधन भी मैदान में रहेगा। यह गठबंधन चुनाव को तितरफा बनाने की कोशिश कर रहा है। अजीत जोगी ने कोरबा से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।