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24 जून 2024 · JUN 24 , 2024

जनादेश ’24 /पंजाब: कांग्रेस की वापसी

जेल में बंद खालिस्तानी संगठन के मुखिया और उनके अनुयायी की अप्रत्याशित जीत से पैदा हुईं कई आशंकाएं
अमृतपाल

अठारहवीं लोकसभा के लिए पंजाब की 13 में से 7 सीटों पर अप्रत्याशित जीत दर्ज कर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस फिर से यहां उभरी है। किसान आंदोलन, कानून-व्यवस्था, सिख बंदियों की रिहाई, नशा जैसे कई मुद्दों और एंटी-इनकंबेंसी से घिरी सत्ताधारी आम आदमी पार्टी तीन सीटों पर सिमट कर रह गई। भाजपा पहली बार अकेले मैदान में उतरी पर आंदोलनरत किसानों के भारी विरोध के चलते खाता भी नहीं खोल सकी। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के माफीनामे जैसे मुद्दों से घिरी शिरोमणि अकाली दल की पंथक सियासत भी एक सीट पर सिमट कर रह गई। आप, कांग्रेस, भाजपा और शिअद के बीच चौकोणीय मुकाबले में खालिस्तान समर्थक दो आजाद उम्मीदवारों की बड़ी जीत चौंकाने वाली है।

देशद्रोह एवं आठ अन्य आपराधिक मामलों के आरोप में पंजाब से 2700 किलोमीटर दूर असम के डिब्रूगढ़ जेल में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (रासुका) के तहत बंद खालिस्तानी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’, के मुखिया अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब लोकसभा सीट पर आजाद उम्मीदवार के तौर पर तमाम सियासी दिग्गजों को पछाड़ते हुए 38.6 प्रतिशत वोट हासिल कर पंजाब में सबसे अधिक मतों 1.97 लाख के अंतर से रिकॉर्ड जीत दर्ज की। कांग्रेस के कुलबीर जीरा के हिस्से सिर्फ 19.8 प्रतिशत मत आए।

फरीदकोट में अमृतपाल के अनुयायी खालिस्तान समर्थक आजाद उम्मीदवार सरबजीत सिंह खालसा, जो दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं, ने आप उम्मीदवार करमजीत अनमोल पर 70,053 मतों से जीत दर्ज की।

मार्च 2022 के विधानसभा चुनाव में 117 में से 92 सीटों पर जीत के साथ अप्रत्याशित बहुमत से सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए बगैर इंडिया गठबंधन के पांच कैबिनेट मंत्री और तीन विधायक मैदान में उतारे लेकिन तीन सीटों पर जीत में से केवल एक सीट पर कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ही जीत दर्ज कर पाए जबकि चार मंत्रियों और तीन विधायकों को करारी हार का सामना करना पड़ा। संगरूर सीट पर मीत हेयर ने कांग्रेस के सुखपाल सिंह खैहरा को 1.72 लाख मतों से हराकर बड़ी जीत हासिल की। 2019 में इस सीट से सांसद चुने गए भगवंत मान के मार्च 2022 में मुख्यमंत्री बनने पर खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव में सांसद बने शिअद (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान इस बार तीसरे स्थान पर रहे।

सरबजीत सिंह खालसा

सरबजीत सिंह खालसा

होशियारपुर सीट पर कांग्रेस की यामिनी गोमर को 44,1111 मतों से हरा कर जीत दर्ज करने वाले आप के राजकुमार चब्बेवाल चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ आप में शामिल हुए थे। इस सीट से तीसरे नंबर पर रही भाजपा की अनीता सोम प्रकाश के पति सोम प्रकाश 2019 में जीत दर्ज कर मोदी सरकार में मंत्री रहे। आनंदपुर साहिब सीट से कांग्रेस के विजेंद्र सिंगला से कांटे की टक्कर में आप प्रवक्ता मलविंद्र कंग की जीत मात्र 10,846 मतों की रही।

भाजपा, आप और शिअद से हटकर चुनावी मैदान में दलबदलुओं को उतारने से परहेज करने वाली कांग्रेस द्वारा दो मौजूदा सांसदों और तीन विधायकों को मैदान में उतारने से नतीजे 2019 के लोकसभा चुनाव जैसे अच्छे रहे। इंडिया ब्लॉक गठबंधन के तहत हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में आप के साथ चुनाव में साझेदारी करने वाली कांग्रेस पंजाब में आप के खिलाफ डटी। पंजाब की कांग्रेस इकाई द्वारा आप के घोर विरोध के चलते भले ही यहां औपचारिक गठबंधन सिरे नहीं चढ़ा लेकिन दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की भीतरी साठगांठ के चलते आप द्वारा कई सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारना भी कांग्रेस की जीत के कारणों में से एक है।

राजा वडिंग

राजा वडिंग

पटियाला लोकसभा क्षेत्र से चार बार की सांसद व केंद्र में मंत्री रही कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को शाही शहर पटियाला ने इस बार पूरी तरह से नकारते हुए तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया। पटियाला से कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी ने भगवंत मान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे डॉ. बलबीर सिंह को कांटे की टक्कर में 14.831 मतों से हराया। 2014 में इस सीट से आप उम्मीदवार के तौर पर सियासी सफर शुरू करने वाले गांधी ने तब कांग्रेस की उम्मीदवार रही परनीत कौर को हराया था। 

लुधियाना सीट से रवनीत बिट्टू के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को उतारना कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा रहा। वड़िंग ने कड़ी टक्कर में बिट्टू से यह सीट 20,942 मतों से छीन ली है। आरक्षित सीट जालंधर पर भाजपा के सुशील रिंकू को 1.76 लाख मतों के अंतर से हराकर इस चुनाव में पंजाब की दूसरी रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस सीट पर बाहरी उम्मीदवार होते हुए अपने सामने तमाम दलबदलुओं को धराशायी किया। भाजपा में शामिल होने से पहले इस सीट से आप सांसद रिंकू साल भर पहले यहीं से कांग्रेस के विधायक थे। कांग्रेस में रहते हुए एक बार के सांसद व तीन बार के विधायक रहे शिअद के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी इस बार जमानत भी नहीं बचा पाए। आप के उम्मीदवार पवन टिन्नू भी चुनाव से ठीक पहले शिअद छोड़ आप में शामिल हुए।

चरणजीत सिंह चन्नी

चरणजीत सिंह चन्नी

अमृतसर से कांग्रेस के लगातार दो बार के सांसद रहे गुरजीत सिंह औजला ने भगवंत मान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कुलदीप सिंह धालीवाल को 40,301 मतों से हराकर हैट्रिक कायम की है। इस सीट पर भाजपा ने अमेरिका में भारत के राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू पर दांव खेला पर तीसरे नंबर पर रहे संधू का नामी सिख पंथक नेता तेजा सिंह समुद्री के पौत्र होने का सिक्का भी गुरु की नगरी में नहीं चल सका।   

आरक्षित फतेहगढ़ साहिब सीट से कांग्रेस के निवर्तमान सांसद डॉ. अमर सिंह ने दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए आप के गुरप्रीत सिंह जीपी को 34,202 मतों से पराजित किया। 2017 में बस्सी पठाना से कांग्रेस के विधायक रहे जीपी चुनाव से पहले आप में शामिल हुए। इस शिअद के बिक्रमजीत सिंह खालसा तीसरे स्थान पर रहे।

गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से विधायक एवं चन्नी सरकार में गृह मंत्री रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा ने गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा के दिनेश बब्बू को 82,861 के भारी अंतर से पराजित कर जीत दर्ज की। डेरा बाबा नानक के साथ लगते पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोले जाने का फायदा भाजपा को नहीं मिल सका।

भगवंत मान

भगवंत मान 

पाकिस्तान से सटी फिरोजपुर सीट पर कांग्रेस के शेर सिंह घुबाया ने कड़ी टक्कर में आप के जगदीप गोल्डी कंबोज को मात्र 3242 मतों के अंतर से हरा कर जीत दर्ज की। यहां से निवर्तमान सांसद व शिअद प्रमुख सुखबीर बादल के इस बार चुनाव लड़ने से इंकार के कारण नरदेव सिंह बोबी मान को मैदान में उतारा गया पर वह तीसरे स्थान पर रहे। वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए कैप्टन अमरिंदर के बेहद करीबी भाजपा के उम्मीदवार राना गुरमीत सिंह सोढ़ी चौथे स्थान पर रहे।

बठिंडा सीट से शिअद प्रमुख सुखबीर बादल की पत्नी मौजूदा सांसद हरसिमरत कौर बादल ने आप सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गुरमीत सिंह खुड्डियां को 49,656 मतों से हराकर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है। मोदी कैबिनेट में मंत्री रही हरसिमरत ने 2020 में किसान आंदोलन के चलते मंत्री पद से इस्तीफा दिया था व उसके कुछ दिन बाद शिअद ने एनडीए से भी नाता तोड़ लिया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी शिअद-भाजपा गठबंधन को पुर्नजीवित करने के प्रयास किसान आंदोलन के चलते सिरे नहीं चढ़ सके। इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए आइएएस के पद से इस्तीफा देने वाली भाजपा की परमपाल कौर सिद्धू मात्र 26,680 वोट हासिल कर जमानत भी नहीं बचा सकीं।

 

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