अमेरिका के वर्जिनिया में 2022 में एक युगल मारिया और स्टीफन पीक ने ‘सेक्सटॉर्शन: द हिडन पैन्डेमिक’ नामक डॉक्यूमेंट्री बनाई। डॉक्यूमेंट्री ने सभी का ध्यान खींचा। अलबत्ता, वे दोनों सेक्सटॉर्शन से वाकिफ नहीं थे। दरअसल उनका इरादा तो मानव तस्करी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का था, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि किसी अन्य खतरे से सेक्सटॉर्शन अधिक जघन्य है। मारिया सेक्स्टॉर्शन को ऐसे परिभाषित करती हैं, ‘‘इसमें अश्लील फोटो या वीडियो को रिकॉर्ड करके किसी को ब्लैकमेल किया जाता है और मकसद पैसे ऐंठना होता है।’’ डॉक्यूमेंट्री में अमेरिका में सेक्सटॉर्शन का शिकार हुए लोगों की आपबीती दिखाई गई है। इसके मुताबिक, अमेरिका में हर चार में से एक युवा सेक्सटॉर्शन का शिकार हो चुका है।
भारत में भी स्थिति कम भयावह नहीं है। देश में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और इसी का एक बाय-प्रोडक्ट सेक्सटॉर्शन भी है, जो इधर हर हदें पार करने लगा है। आलम यह है कि सेक्सटॉर्शन के मामलों में न केवल अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है, बल्कि आम आदमी से लेकर नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन हर किसी को अपराधी अपने जाल में फंसा चुके हैं। बहुतों से गाढ़ी कमाई, कई से मोटी रकम ऐंठी जा चुकी है, तो कुछ इज्जत-आबरू की खातिर अपनी जान ले बैठे हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस के एक साइबर क्राइम विशेषज्ञ के अनुसार, सेक्सटॉर्शन के मामलों की संख्या में काफी उछाल देखी गई है। पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर आउटलुक को बताया, ‘‘हर राज्य में लगभग रोजाना 100-200 शिकायतें आ रही हैं। यह संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि अधिकतर मामलों में रिपोर्ट नहीं की जाती है।’’
राजस्थान पुलिस के मुख्य साइबर सलाहकार मुकेश चौधरी की भी यही राय है। उन्होंने आउटलुक से कहा, ‘‘एक दिन में कितने लोग सेक्सटॉर्शन का शिकार होते हैं यह बताना मुश्किल है क्योंकि ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। मेरे हिसाब से 95 प्रतिशत मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। अंदाजन कहूं तो एक स्टेट में रोजाना 100-200 लोग इसके शिकार हो जाते हैं।’’
दिल्ली में रहने वाले बिहार के निवासी प्रेम सिंह (बदला हुआ नाम) भी सेक्सटॉर्शन का शिकार हो चुके हैं। उन्होंने अपनी आपबीती आउटलुक से साझा की, ‘‘मैं इसका शिकार हो चुका हूं, हालांकि जैसे ही मुझे गलती की आशंका हुई मैं पुलिस में शिकायत दर्ज कराने गया। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में पहले तो पुलिस अधिकारी ने आनाकानी की। मेरे जोर देने पर जैसे-तैसे शिकायत दर्ज हुई लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी मुझे कोई जवाब नहीं आया है। पुलिस ऐसा ही करती है। कागज पर शिकायत लिखती है और कूड़े में डाल देती है।’’ वे कहते हैं कि यही वजह है कि अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
प्रेम सिंह की कहानी तो बस एक है। उनकी यह दिलेरी और जागरूकता ही थी कि वे पुलिस तक पहुंच गए, लेकिन ऐसी ढेरों कहानियां हैं जहां लोग इसका शिकार होने के बाद सुसाइड तक कर लेते हैं। हजारों लोग अपराधियों की धुन पर नाचते हैं और इज्जत बचाने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई उन्हें सौंप देते हैं। उसके बाद भी उन्हें राहत नाम मात्र की ही मिलती है। असल में, पुलिस के उदासीन रवैये से इसे फलने-फूलने ज्यादा मौका मिला है। सरकारी आंकड़े स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2020 के आंकड़ों में ‘जबरन वसूली’ की श्रेणी में 2,440 साइबर अपराध दर्ज किए गए अलबत्ता सही संख्या बहुत अधिक हो सकती है। फिर भी पुलिस और सरकार की अनदेखी बनी हुई है।
इंटरनेशनल कमीशन ऑन साइबर सिक्योरिटी लॉ के संस्थापक तथा अध्यक्ष पवन दुग्गल ने आउटलुक से कहा, ‘‘भारत का कानून सेक्सटॉर्शन से निपटने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून-2000 की धारा-67 को ही सेक्सटॉर्शन पर लागू किया जाता है, जो नाकाफी है। मामला कोर्ट में जाए तब भी शायद ज्यादा राहत न मिले क्योंकि कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य दिखाना होता है, जो बड़ी चुनौती है। ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया भी बहुत ही ढीला होता है। ज्यादातर मामलों में पुलिस केस दर्ज नहीं करती है या केस दर्ज भी करती है तो कमजोर धाराएं लगाती है।’’
जान पर बन रही ठगी
अक्टूबर 2022 में पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ इलाके में एक शख्स ने सेक्सटॉर्शन का गठजोड़ चलाने वाले जालसाजों के झांसे में आकर अपनी जान दे दी थी। उसकी जेब से बरामद हुए सुसाइड नोट में लिखा था कि दो महिलाएं उसे बार-बार फोन कर रंगदारी मांग रही थीं। इसी तरह, गुरुग्राम में एक 38 वर्षीय व्यक्ति ने दिसंबर 2022 में अपराधियों को पैसे न देने के कारण उनकी धमकियों से डरकर अपना जीवन खत्म कर डाला। सूची अंतहीन है। कई लोग फंसकर करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं। बड़ी उम्र के लोग हों या किशोर, सभी इसके शिकार बन चुके हैं।
2023 की शुरुआत में ही खबर आई कि गुजरात का एक 68 वर्षीय व्यक्ति सेक्सटॉर्शन के जाल में फंस कर 2.7 करोड़ रुपये गंवा चुका है। दिल्ली का एक कारोबारी भी डेटिंग ऐप टिंडर के जरिये सेक्सटॉर्शन का शिकार हुआ और बदले में करीब 1.5 लाख रुपये गंवा बैठा। बड़े शहरों में ही नहीं, छोटे शहरों में भी यही हाल है। पवन दुग्गल कहते हैं, ‘‘अगर मैं बड़े शहरों की बात करूं तो 25-30 प्रतिशत लोग सेक्सटॉर्शन का शिकार हो जाते हैं, लेकिन टियर-3 शहरों में यह आंकड़ा 35-40 प्रतिशत तक पहुंच जाता जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 10-15 प्रतिशत है।’’
बिहार के मुजफ्फरपुर के कटरा रजिस्ट्री कारखाने में कार्य करने वाले रवि चौरसिया भी इसका शिकार हो चुके हैं। पुलिस के अनुसार, वे ऑनलाइन किसी लड़की से बात करते थे, जो पाकिस्तान की आइएसआइ एजेंट थी। ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए वे उस लड़की से रक्षा मंत्रालय के कई गोपनीय दस्तावेज भी साझा कर चुके हैं। इसके पीछे भी सेक्सटॉर्शन का एंगल ही सामने आया है।
दुनिया भर में आफत
सेक्सटॉर्शन से संबंधित मामलों में न केवल भारत में तेजी देखी जा रही है, बल्कि दुनिया भर में मामले बढ़ रहे हैं। सितंबर 2022 में सेक्सटॉर्शन के बढ़ते मामलों का संज्ञान लेकर इंटरपोल के साइबर क्राइम डिवीजन और हांगकांग पुलिस की संयुक्त जांच में एक अंतरराष्ट्रीय सेक्सटॉर्शन रिंग का पर्दाफाश हुआ। दिसंबर 2022 में अमेरिका के न्याय विभाग ने सार्वजनिक सुरक्षा चेतावनी जारी की कि कम से कम 3,000 नाबालिग ‘सेक्सटॉर्शन’ का शिकार हो चुके हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में करीब डेढ़ गुना ज्यादा है। इसके अलावा, अमेरिका में फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन भी सेक्स्टॉर्शन के मामलों को लेकर लोगों को चेता चुका है। एफबीआइ ने सेक्सटॉर्शन के बारे में सूचना दी कि 2021 में उसके आंतरिक शिकायत केंद्र को 18,000 शिकायतें प्राप्त हुईं। अमेरिका और यूरोप ही नहीं, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में भी सेक्सटॉर्शन महामारी का रूप ले चुका है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक लेबनान में 23 फीसदी लोग इसके शिकार हो चुके हैं, जबकि फिलस्तीन और जॉर्डन में यह आंकड़ा क्रमश: 21 फीसदी और 13 फीसदी है।
भारतीय कानून नाकाफी
भारत में सेक्सटॉर्शन के मामलों में वृद्धि की एक वजह इससे संबंधित कानूनों में मौजूद कमियों को माना जाता है। विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि सेक्सटॉर्शन से निपटने के लिए भारतीय कानून असंगत है। पवन दुग्गल कहते हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा 67 एक तो जमानती धारा है, इसलिए अपराधियों के मन में कोई डर नहीं रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश में बच्चों और महिलाओं को ध्यान में रखकर नया कानून लाना चाहिए।
पवन दुग्गल कहते हैं, ‘‘सेक्सटॉर्शन को गैर-जमानती अपराध बनाया जाना चाहिए और कम से कम 5 से 7 साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए। यही नहीं, ह्वाट्सऐप, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम जैसे ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडरों के लिए एक पैमाना तय करने की आवश्यकता है जिससे एक्सटॉर्शन को बढ़ावा न मिले और उन पर निगरानी रखी जा सके।’’ कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका से सीख लेनी चाहिए, जहां महिलाओं और बच्चों को ध्यान में रखकर कई कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। भारतीय सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कृतिका अग्रवाल ने आउटलुक से कहा, ‘‘सेक्सटॉर्शन से निपटने के लिए एक व्यापक कानून की जरूरत है। आइपीसी की विभिन्न धाराओं में इसे अपराध के रूप में परिभाषित करना होगा। इसके अलावा, लोगों को ठगे जाने से रोकने के लिए इन नए प्रकार के अपराधों या बुराइयों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। कई साल पहले सरकार ने बड़े पैमाने पर उपभोक्ता जागरूकता अभियान चलाया था। इसी तरह, इसके खिलाफ सरकारी जागरूकता अभियान जरूरी है।’’
गौरतलब है कि एक समय देश में लोग ‘ओटीपी-फ्रॉड’ के शिकार होते थे। लोगों ने करोड़ों-करोड़ रुपये गंवाए हैं। इस मामले में भी सरकार को जागरूकता अभियान चलाना पड़ा था। इसका असर भी हुआ और आज यह क्राइम पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। इससे पहले कि सेक्सटॉर्शन के जाल में फंसकर और लोग अपनी जान गंवाएं, सरकार को इसे बड़ी जालसाजी मानकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
फंस जाएं तो क्या करें?
अगर आपको लग रहा है कि आप सेक्सटॉर्शन के शिकार हो गए हैं तो भूल कर भी पैसे न दें क्योंकि यह एक ट्रैप है। सेक्सटॉर्शन का शिकार हो चुके प्रयागराज के रहने वाले गणेश सिंह बताते हैं, ‘‘मैंने पैसे नहीं दिए। मुझे दर्जनों कॉल आए और मैं हर कॉल को ब्लॉक करता रहा। सभी सोशल मीडिया एकाउंट को लॉक कर दिया था। एक हफ्ते तक कॉल का सिलसिला चला और अब मुझे कोई कॉल नहीं आता है।’’
गणेश यह भी बताते हैं कि मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जिन्होंने शुरू में 5000 रुपये दिए और बाद में उगाही और बढ़ती गई। सभी लोग अंत में अपराधियों से संपर्क तोड़ लेते हैं। तो शुरुआत में आप उन्हें कोई पैसा चुकाएं और उसके बाद परेशान होकर उनसे संपर्क खत्म करें, इससे अच्छा है कि आप शुरुआत में ही उनसे कांटेक्ट खत्म कर लें। अधितकर मामलों में अपराधी एक हफ्ते बाद परेशान करना छोड़ देते हैं क्योंकि अगला टारगेट आ चुका होता है।
मुकेश चौधरी भी यही सलाह देते हैं। आउटलुक से वे कहते हैं, ‘‘अगर अपराधी से आपकी बातचीत फेसबुक पर हुई है तो आप उसे वहां ब्लॉक कर दें और फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल लॉक कर दें। अगर आपको ज्यादा डर है तो फेसबुक से अपना एकाउंट एक महीने के लिए डिसेबल कर लें। भूलकर भी उनसे गाली-गलौज न करें क्योंकि वे आपको पर्सनल ले लेंगे और हो सकता है कि बड़ा डैमेज कर दें।’’
आपबीती
उन क्षणों को याद करना एक भयावह सपने से गुजरने जैसा है। उस समय जितना असहाय मैंने महसूस किया, उससे ज्यादा मैंने जीवन में कभी नहीं किया।
शाम का वक्त था, मैं अपने कमरे में अकेले बिस्तर पर लेटा था। गर्मी का मौसम था तो मैंने शरीर के ऊपरी हिस्से में कुछ भी नहीं पहना था। अचानक मुझे ह्वाट्सऐप पर एक वीडियो कॉल आता है। मुझे शाम में कुछ दोस्तों से मिलने जाना था, इसलिए लगा कि उन्हीं में से किसी की कॉल होगी। मैंने वीडियो कॉल उठाई तो उस ओर एक लड़की थी, जो पूरी तरह से नग्न थी। शुरुआत में मुझे यह देखकर यकीन नहीं हुआ और जब तक मैं कुछ सोचता पाता तक तक 10 सेकेंड बीत चुके थे। मैंने डर के मारे फोन काट दिया। फोन रखते ही मेरे ह्वाट्सऐप पर मैसेज आता है जिसमें मेरा रिकार्डेड वीडियो है, जिसमें मेरा शरीर का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नग्न है और सामने एक लड़की अश्लील हरकतें कर रही है।
मुझे फिर एक मैसेज आता है जिसमें चेताया जाता है कि अगर मैं चाहता हूं कि यह वीडियो वायरल न हो तो जल्दी से जल्दी 5000 रुपये पेटीएम करूं। मैं डरा हुआ था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। दो मिनट बाद फिर मैसेज आता है। उस मैसेज में एक स्क्रीनशॉट था जिसमें मेरी बहन, भाई, ऑफिस के बॉस, मेरे करीबी मित्रों की फेसबुक आइडी थी। उसके बाद मुझे दो ऐसे मैसेज आए जिसमें यह दिखाया गया कि फलाने दोस्त को मेरी वीडियो भेज दी गई है और अगर मैं चाहता हूं कि वीडियो मेरे घर न तक पहुंचे तो इसके लिए मुझे 10,000 रुपये अभी देने होंगे। मैं सहम गया था। जीवन खत्म करने का खयाल तो मुझे नहीं आया लेकिन ऐसा जरूर लगा कि अगर यह वीडियो वायरल हुआ तो मैं क्या मुंह दिखाऊंगा! मैंने बिना वक्त गंवाए अपने दोस्त को कॉल किया, जहां उस स्क्रीनशॉट के हिसाब से वीडियो भेजी गई थी। उस दोस्त ने बताया कि उसके पास कोई वीडियो नहीं आया है। मुझे समझ में आ गया कि वह मॉर्फ्ड इमेज है। उसके बाद मैंने उस नंबर को ब्लॉक कर दिया। लेकिन फिर अलग-अलग नंबरों से कॉल आने लगे। मैं कमरे में डरा हुआ बैठा था। मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूं। तभी खयाल आया कि इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए। मैं थाने जाने लगा लेकिन रास्ते में ही मुझे तीन कॉल और आ गए, जिसमें कोई खुद को पुलिस अफसर बता रहा था, तो कोई वकील और कोई पत्रकार। हालांकि जैसे-तैसे मैं दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के थाने में पहुंचा। वहां एक घंटा बैठने के बाद पुलिस ने मेरी शिकायत दर्ज की। मैंने पूछा कि कब तक इस पर कार्रवाई की जाएगी तो जवाब आया कि अभी इससे भी बड़े-बड़े काम पड़े हैं। मैं वापस घर चला आया। उस रात मुझे नींद नहीं आई। लगातार दो दिन मुझे अलग-अलग नंबर से कॉल आते रहे। तीन दिन बाद मैं फिर थाने गया। मुझे बताया गया कि मेरी शिकायत बदरपुर साइबर क्राइम में भेज दी गई है।
मैं इंजीनियर हूं, मेरे पास इतना वक्त नहीं कि थाने का चक्कर लगाता रहूं। बदरपुर थाने में मैंने कई बार कॉल किया लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। आज कई महीने हो गए, लेकिन पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मुझे जितने भी नंबर से कॉल आते रहे, मैं उन को ब्लॉक करता रहा। यह सिलसिला एक हफ्ते तक चला। बाद में कॉल आने बंद हो गए।
इससे निपटने का सबसे बड़ा उपाय यही है कि नजरअंदाज किया जाए। अगर उन्हें आप भूले से भी पैसे नहीं देंगे और उनसे संपर्क पूरी तरह तोड़ लेंगे तो आप बच जाएंगे। लेकिन अगर उनसे उनसे गाली-गलौज करते हैं, या एक बार भी उन्हें पैसे दे देते हैं, तो शायद आप बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं।
प्रेम सिंह (नाम बदल दिए गए हैं)