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आवरण कथा/प्रोफाइल

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021
रितेश अग्रवाल

रितेश अग्रवाल, 27 साल

संस्थापक और सीईओः ओयो रूम्स

संपत्तिः 6,300 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2013

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 261वां स्थान

 

जुनून ने दिलाई सफलता

चंद लोग ही होते हैं जिन्हें मालूम होता है कि करिअर में क्या नहीं करना है। ओयो रूम्स के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल भी उनमें से हैं। वे जानते थे कि न पढ़ाई में अच्छा कर सकेंगे न नौकरी में। इसलिए वह करने का फैसला किया जिसमें उनकी रुचि थी। इसी निश्चय ने उन्हें पिछले साल अमेरिकी मॉडल काइली जेनर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे कम उम्र का बिलियनेयर बनाया। ओडिशा के रायगढ़ में पले-बढ़े रितेश 2011 में कॉलेज में दाखिला लेने दिल्ली आए, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने के कारण मां काफी नाराज थीं, क्योंकि उन्हें लगता था कि ग्रेजुएट हुए बिना शादी कैसे होगी। वे कई शहरों में गए जहां उन्हें सस्ते और अच्छे होटलों की कमी महसूस हुई। रितेश ने इसे बदलने की सोची और वहीं से ओयो का विचार आया। मई 2013 में जब ओयो की शुरुआत की तब वे सिर्फ 19 साल के थे। उन्होंने शुरुआत गुरुग्राम में एक होटल से की। वे ग्राहकों को कमरा दिखाने भी ले जाते थे। कुछ ग्राहक तो उन्हें टिप्स भी देते थे। रितेश जब कॉलेजों में जाते हैं तो छात्रों से ड्रॉपआउट होने के लिए कहते हैं। वे ‘हार्वर्ड के सबसे सफल ड्रॉप आउट’ बिल गेट्स को प्रेरणा मानते हैं।

 

राघव चंद्रा, 31 साल

राघव चंद्रा

सह-संस्थापक और चीफ प्रोडक्ट ऐंड टेक्नोलॉजी ऑफिसरः अर्बन कंपनी

संपत्तिः 1,400 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2014

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 810वां स्थान

 

रोज की जरूरतों ने खड़ा किया बिजनेस

अक्सर जरूरत के समय प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन या ब्यूटीशियन नहीं मिलता। इसी छोटी सी बात ने सात साल पहले अर्बन कंपनी (पुराना नाम अर्बन क्लैप) को जन्म दिया, जो आज एशिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन होम सर्विस प्लेटफॉर्म बन चुका है। कानपुर के स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल से शुरुआती शिक्षा और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले राघव चंद्रा के अलावा अर्बन कंपनी के दो और संस्थापक हैं। अभिराज भाल (सीईओ) और वरुण खेतान (सीओओ)। ये दोनों आइआइटी कानपुर से निकले इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। अर्बन कंपनी शुरू होने की कहानी बड़ी रोचक है। अभिराज और वरुण की किसी अन्य के जरिए राघव से मुलाकात हुई। डांस के शौकीन राघव उन दिनों ऑटोरिक्शा एग्रीगेटर स्टार्टअप बुग्गी.इन पर काम कर रहे थे। अभिराज और वरुण ने सिनेमा बॉक्स नाम से मूवी स्ट्रीमिंग बिजनेस शुरू किया था। राघव ने उन दोनों को बुग्गी ज्वाइन करने के लिए कहा जिसे उन्होंने इनकार कर दिया। राघव ने भी उनका सिनेमा बॉक्स ज्वाइन करने का ऑफर ठुकरा दिया। कुछ महीने बाद दोनों बिजनेस ठप पड़ गए। तब तीनों ने मिलकर नवंबर 2014 में घरों में सेवाएं देने वाली कंपनी अर्बन क्लैप खोलने का फैसला किया। आज भारत के 36 शहरों समेत पांच देशों के 44 शहरों में यह मौजूद है।

 

रोमन सैनी, 30 साल

रोमन सैनी

सह-संस्थापक, अनअकादमी

संपत्तिः 1,400 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2015

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 810वां स्थान

 

हिमेश सिंह, 29 साल

हिमेश सिंह और गौरव मुंजाल

हिमेश सिंह और गौरव मुंजाल

सह-संस्थापक और चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसरः अनअकादमी

संपत्तिः 1,000 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2015

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः

957वां स्थान

गौरव मुंजाल, 31 साल

सह-संस्थापक और सीईओः अनअकादमी

संपत्तिः 1,400 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2015

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 810वां स्थान

 

ट्यूटोरियल वीडियो से बना सबसे बड़ा ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म

एनएमआइएमएस यूनिवर्सिटी, मुंबई से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक गौरव ने 2010 में पढ़ाई करते समय ही यूट्यूब पर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ट्यूटोरियल का एक छोटा सा वीडियो अपलोड किया। वीडियो को अच्छा रेस्पांस मिला तो उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से जुड़े और ट्यूटोरियल वीडियो अपलोड किए। मूलतः जयपुर के रहने वाले गौरव ने बाद में डायरेक्टी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी की और 2013 में फ्लैट.टू (बाद में नाम फ्लैटचैट) नाम से फ्लैट शेयरिंग कंपनी शुरू की, तब भी ट्यूटोरियल वीडियो अपलोड करते रहे। इसी के साथ यूट्यूब चैनल के तौर पर अनअकादमी की शुरुआत हुई।

उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों हिमेश और रोमन को साथ जोड़ा। हिमेश, मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, प्रयाग से इंजीनियरिंग ग्रैजुएट हैं। वे फ्लैटचैट में भी गौरव के साथ थे। रोमन ने डॉक्टर बनने के बाद 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास की और आइएएस अफसर बने। जबलपुर में करीब दो साल तक असिस्टेंट कलेक्टर रहने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे, अनअकादमी ज्वाइन किया। दरअसल, आइएएस कोचिंग को ध्यान में रखकर ही गौरव ने रोमन को अपने साथ जोड़ा था। शुरू में उन्होंने रोमन से भी ट्यूटोरियल वीडियो डालने को कहा। तीनों ने मिलकर 2015 में अनअकादमी की औपचारिक शुरुआत की। शुरू में तो छात्र इसे मुफ्त देख सकते थे। फिर पैसे देने वालों के लिए लाइव क्लास शुरू की गई। बिना विज्ञापन वाले वीडियो के लिए भी सब्सक्रिप्शन फीस ली जाने लगी।

कोविड-19 महामारी ने पिछले साल जिन सेक्टर को तेजी से बढ़ने में मदद की, उनमें एजुकेशन टेक्नोलॉजी भी है। स्कूल-कॉलेज बंद होने के कारण पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन होने लगी। पहले ऑनलाइन पढ़ाई विकल्प हुआ करती थी, लॉकडाउन में वह अनिवार्य बन गई। गौरव ने इस साल जुलाई में ट्वीट करके शिक्षकों को स्टॉक ऑप्शन देने की बात कही थी। इसे टीचर स्टॉक ऑप्शन यानी टीशॉप नाम दिया गया है। इसका मकसद शिक्षकों को पूर्णकालिक तौर पर जोड़ना है।

पिछले साल अनअकादमी ने छह एजुटेक कंपनियों का अधिग्रहण किया। इस साल भी फरवरी और मार्च में इसने दो कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसने इंडोनेशिया और ब्राजील में भी विस्तार किया है। छह साल पुराने इस स्टार्टअप में अब तक 1.1 अरब डॉलर की फंडिंग हो चुकी है और इसकी वैल्युएशन 3.4 अरब डॉलर है।

 

नीरज खंडेलवाल, 30 वर्ष

नीरज खंडेलवाल

सह-संस्थापकः कॉइनडीसीएक्स

संपत्तिः 1,400 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2018

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 810वां स्थान

सुमित गुप्ता, 30 साल

सुमीत गुप्ता

सह संस्थापक और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसरः  कॉइनडीसीएक्स

संपत्तिः 1,400 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2018

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः

810वां स्थान

कंपनी लांच करते ही लग गई थी क्रिप्टो करेंसी पर रोक

सुमित और नीरज 2007 से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों ने आइआइटी मुंबई से पढ़ाई की है। उनकी पहली मुलाकात कोटा में हुई जब वे आइआइटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। दोनों में आंत्रप्रेन्योर बनाने का रुझान था। पढ़ाई के बाद नीरज पहले तो अपने परिवारिक बिजनेस में लग गए और बिजनेस की बारीकियों को समझा। उसके बाद कई स्टार्टअप से जुड़े और उन्हें टेक्नोलॉजी के मामले में मदद की। सुमित ने टोक्यो में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ज्वाइन कर ली।

2014 में जब बिटकॉइन सुर्खियों में छा रहा था तो सुमित का सामना ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से हुआ। उन्होंने देखा कि ब्लॉकचेन ट्रेडर को हर सेकंड हजारों क्रिप्टो ट्रेड का हिसाब रखना पड़ता है। तभी उनके दिमाग में अलग-अलग क्रिप्टो करेंसी को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का विचार आया, जहां ट्रेडिंग से लेकर हर तरह की सुविधा हो। उन्होंने नीरज से इस बारे में चर्चा की। क्रिप्टो टेक्नोलॉजी के भविष्य को समझने के बाद दोनों ने 8 अप्रैल 2018 को क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स लांच किया। इस प्लेटफॉर्म का ‘डीसीएक्स लर्न’ नाम से पोर्टल भी है जहां ब्लॉकचेन और क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानकारी दी जाती है।

कॉइनडीसीएक्स में शुरू में दोनों संस्थापकों ने ही पैसे लगाए थे। लेकिन एक्सचेंज लांच होते ही रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी से जुड़े लेन-देन में बैंकों के शामिल होने पर रोक लगा दी। इससे लिक्विडिटी की समस्या हो गई। प्रतिबंध के कारण कोई भी निवेशक पैसे लगाने को तैयार नहीं था। लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया तो क्रिप्टो करेंसी का बाजार काफी तेजी से बढ़ने लगा और निवेशक भी आने लगे। मार्च 2020 से अगस्त 2021 तक कॉइनडीसीएक्स को 11 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली है। अगस्त में नौ करोड़ डॉलर जुटाने के बाद 1.1 अरब डॉलर वैल्युएशन के साथ यह भारत की पहली क्रिप्टो यूनिकॉर्न बन गई है।

सुमित का मानना है कि लोगों को क्रिप्टो इंडस्ट्री की तरफ आकर्षित करने के लिए उन्हें शिक्षित करना जरूरी है। अलग-अलग तरह के क्रिप्टो करेंसी प्रोडक्ट लाने की भी जरूरत है जो आम लोगों की पहुंच में आसानी से हो। नीरज का कहना है कि ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों की जिंदगी को उसी तरह बदल सकते हैं जिस तरह इंटरनेट और सेलुलर टेलीकम्युनिकेशन ने बदला है।

 

शशांक कुमार और हर्षिल माथुर

शशांक कुमार, 31 साल और हर्षिल माथुर, 30 साल

सह-संस्थापकः रेजरपे

संपत्तिः 3,500 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2014

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 433वां स्थान

हर्षिल माथुर

सह-संस्थापक और सीईओः रेजरपे

संपत्तिः 3,500 करोड़ रुपये

शुरुआतः 2014

हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021ः 433वां स्थान

सभी बैंकों ने मना किया, पर हार न मानी

हर्षिल और शशांक दोनों ने आइआइटी रुड़की से बीटेक किया है। कॉलेज में दोनों ने कई प्रोजेक्ट पर साथ काम किया। डिग्री मिलने के बाद हर्षिल श्लुमबर्गर कंपनी में मध्य-पूर्व चले गए और शशांक ने अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ज्वाइन कर ली। दूर होने के बावजूद दोनों पार्ट टाइम प्रोजेक्ट पर साथ काम करते रहते थे। 2014 में जब वे एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म बना रहे थे, तो उन्हें महसूस हुआ कि ज्यादातर ऑनलाइन पेमेंट गेटवे पर लेन-देन करना बहुत मुश्किल था- खासकर स्टार्टअप और छोटी कंपनियों के लिए। वहीं से उन्हें आसान पेमेंट गेटवे सॉल्यूशन बनाने का विचार आया।

इस तरह मई 2014 में रेजरपे की शुरुआत हुई। और इसी के साथ मुश्किलों की भी शुरुआत हुई। दोनों 20 से ज्यादा बैंकों के पास गए, लेकिन सबने मना कर दिया। दरअसल, हर्षिल या शशांक की पृष्ठभूमि फाइनेंस की नहीं थी इसलिए बैंक उन पर भरोसा करने में हिचक रहे थे। एक समय ऐसा भी आया जब वे किसी दूसरे सेक्टर में जाने की सोचने लगे थे। तभी उन्हें अमेरिका के स्टार्टअप एक्सीलरेटर प्रोग्राम वाई-कॉम्बिनेटर में मौका मिला। इससे उन्हें दुनियाभर में पहचान मिली और फंड जुटाना भी आसान हो गया।

कोविड-19 महामारी के समय पहले तीन महीने में तो बिजनेस नीचे चला गया, लेकिन उसके बाद हर छोटी-बड़ी कंपनी डिजिटाइजेशन की तरफ जाने लगी। रेजरपे का रेवेन्यू हर महीने 40-45 फीसदी बढ़ रहा था। आज रेजरपे भारत की प्रमुख फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी बन गई है। अक्टूबर 2020 में इसकी वैल्युएशन एक अरब डॉलर थी और छह महीने बाद अप्रैल 2021 में यह तीन अरब डॉलर हो गई। फॉर्मूला वन रेसिंग और गो-कार्टिंग के फैन हर्षिल के लिए प्रतिस्पर्धा किसी दूसरी कंपनी से नहीं, बल्कि कैश से है। ग्रॉसरी स्टोर से लेकर स्कूल तक, जहां भी नकद का चलन अधिक होता है वहां वे जाने की कोशिश करते हैं। शशांक का कहना है कि भविष्य में छोटे शहरों में मौके बनेंगे। वहां लोगों का जीवन बदलने वाले इनोवेशन होंगे।

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