साल 2018 में अपनी आनेवाली फिल्म मनमर्जियां को लेकर अभिषेक बच्चन काफी उत्साहित थे। अनुराग कश्यप की उस फिल्म से पहले दो वर्षों में उनकी कोई फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई थी। तापसी पन्नू और विकी कौशल अभिनीत इस फिल्म में जूनियर बच्चन प्रमुख भूमिका में थे, और उनके अभिनय को समीक्षकों ने काफी सराहा भी, लेकिन फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर पिटने के कारण बॉलीवुड में उनकी शानदार वापसी की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया। इस वर्ष अभिषेक पहली बार एक वेब सीरीज में दिखेंगे। अमेजन प्राइम वीडियो की ओरिजिनल सीरीज, ‘ब्रीद 2’ में वह एक अहम किरदार में नजर आएंगे। अभिषेक और उनके प्रशंसकों को निस्संदेह यह उम्मीद होगी कि यह वेब सीरीज उनके ढलते करिअर में नए जीवन का संचार करेगी, कुछ वैसे ही जैसा सैफ अली खान के साथ सेक्रेड गेम्स के बाद हुआ।
पिछले कुछ वर्षों में सैफ की कई फिल्में, रंगून (2017) और कालाकाण्डी (2017) से लेकर बाजार (2018) तक, एक के बाद एक फ्लॉप हो गई थीं। लेकिन अनुराग कश्यप की वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स से उनकी शानदार वापसी हुई और बॉलीवुड में उनका करिअर पुनः पटरी पर आ गया। इस वर्ष अजय देवगन के साथ उनकी फिल्म, तानाजी की अप्रत्याशित सफलता ने सैफ को फिल्म इंडस्ट्री के प्रमुख कलाकारों की पहली श्रेणी में एक बार फिर खड़ा कर दिया है। सैफ बॉलीवुड के पहले कलाकार नहीं हैं जिन्होंने अपनी वापसी के लिए वेब सीरीज का रास्ता चुना। लगातार हिट फिल्में देने के बाद इमरान हाशमी का करिअर भी पिछले कुछ वर्षों से अनिश्चय की स्थिति में था। उनकी अजहर (2016), बादशाहो (2017) और व्हाई चीट इंडिया (2019) टिकट खिड़की पर औंधे मुंह गिर गई थीं, जिसके पश्चात उन्होंने पिछले वर्ष नेटफ्लिक्स की ओरिजिनल वेब सीरीज, बार्ड ऑफ ब्लड में काम करने का मन बनाया। उन्हीं की तरह विवेक ओबेरॉय और आर माधवन जैसे सितारों की बॉलीवुड में डूबती नैया को भी क्रमशः इनसाइड एज और ब्रीद जैसी वेब सीरीज ने पार लगाया।
इसके बावजूद हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार अब भी वेब सीरीज करने से कतरा रहे हैं। अगर अक्षय कुमार को छोड़ दिया जाए तो किसी ए-लिस्ट के स्टार ने अभी तक किसी वेब सीरीज में काम करने की मंशा जाहिर नहीं की है। यहां तक कि अक्षय की प्रस्तावित वेब सीरीज, द एन्ड भी अभी तक घोषणा के स्तर से आगे नहीं बढ़ पाई। फिर भी, जानकारों का मानना है कि यह स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी और देर-सबेर सभी बड़े कलाकार ओवर-द-टॉप प्लेटफार्म की ओर मुखातिब होंगे। इसका मुख्य कारण द फैमिली मैन जैसी वेब सीरीज की अप्रत्याशित सफलता है। राज निदिमोरू और कृष्णा डी.के. द्वारा निर्देशित इस अमेजन प्राइम वीडियो ओरिजिनल ने इसके मुख्य अभिनेता मनोज बाजपेयी के करिअर को एक ऐसी ऊंचाई दी, जहां वह राम गोपाल वर्मा की सत्या (1998) के बाद शायद ही कभी पहुंचे थे। पचास वर्षीय बाजपेयी ने अपने पच्चीस वर्षों के करिअर में सत्या और शूल (1999) से लेकर गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) और अलीगढ़ (2016) तक कई बेहतरीन फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया, लेकिन द फैमिली मैन ने रातोंरात उन्हें एक ग्लोबल स्टार बना दिया। जब दस एपिसोड वाली इस वेब सीरीज का पिछले वर्ष लगभग 190 देशों में प्रदर्शन शुरू हुआ, तो न सिर्फ इसके निर्देशक-द्वय और कलाकारों को बल्कि स्वयं इसका निर्माण करने वाली कंपनी, अमेजन प्राइम वीडियो को भी इसकी इतनी सफलता की उम्मीद नहीं थी। अब इस वर्ष इस वेब सीरीज का दूसरा सीजन आनेवाला है, जिसका दुनिया भर में दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
द फैमिली मैन की व्यापक सफलता ने बॉलीवुड को चकित कर दिया है और उम्मीद की जा रही है कि यह फिल्म इंडस्ट्री के बड़े कलाकारों को वेब सीरीज के प्रति आकर्षित करेगी। फिल्म व्यवसाय के जानकार जोगिंदर टुटेजा के अनुसार द फॅमिली मैन भारतीय वेब सीरीज इंडस्ट्री में मील का पत्थर साबित होगी। वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि इस अमेजन प्राइम ओरिजिनल से वेब सीरीज को वैसा ही लाभ होगा जैसा कौन बनेगा करोड़पति से भारतीय टेलीविज़न को हुआ था।” टुटेजा के अनुसार, बीस वर्ष पूर्व जब अमिताभ बच्चन ने एक टेलीविजन गेम शो करने का फैसला किया था तो कोई अन्य बड़ा बॉलीवुड स्टार टेलीविजन प्रोग्राम करने को इच्छुक न था, लेकिन केबीसी के लोकप्रिय होते ही स्थितियां बदल गईं। टुटेजा के अनुसार, आनेवाले समय में हम कई बड़े स्टारों को वेब सीरीज में निश्चित ही देखेंगे।
ऐसा नहीं है कि वेब सीरीज का प्रादुर्भाव सिर्फ अभिनेताओं या अभिनेत्रियों के लिए फायदेमंद है। इसने फिल्म निर्माण से जुड़े हर व्यक्ति, निर्देशक और लेखक सहित अन्य टेक्निशियनों के लिए अवसरों की झड़ी लगा दी है, लेकिन यह संभवतः उन बड़े स्टारों का प्लेटफार्म नहीं हो सकता है, जो अपनी किसी खास छवि से बंधे हों। स्क्रीनराइटर संजीव झा के मुताबिक वेब सीरीज का अपना व्याकरण है जो हर बड़े स्टार को सूट नहीं करता है। वे कहते हैं, “वैसे स्टार की तुलना में यह प्लेटफार्म उन अभिनेताओं के लिए ज्यादा श्रेयस्कर है जिनके लिए कंटेंट उनकी छवि से अधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर, मनोज बाजपेयी और इरफान जैसे अभिनेताओं के लिए मुख्यधारा के सिनेमा में अवसरों की कमी के कारण अभिनेता के रूप में इनकी पूरी क्षमता का उपयोग होना अभी बाकी है। वेब सीरीज उन जैसे कलाकारों को एक बेहतरीन माध्यम प्रदान करेगा।”
पिछले वर्ष ‘जी’ की ओरिजिनल सीरीज, बारोट हाउस और एकता कपूर की फीचर फिल्म, जबरिया जोड़ी लिखने वाले संजीव कहते हैं, “वैश्विक स्तर पर वेब सीरीज की पहुंच देखकर बड़े से बड़ा स्टार भी इसकी ओर आकर्षित हो सकता है, लेकिन मूल रूप से यह एक अभिनेता का माध्यम है न कि एक स्टार का। कथानक और समय-सीमा की दृष्टि से वेब सीरीज फीचर फिल्मों से बड़ी है। मसलन, अमेरिकी फिल्मकार डेविड फ्लिंचर जब गॉन गर्ल (2014) जैसी मोशन पिक्चर बनाते हैं तो कहानी और किरदारों को लेकर अपनी गति से बड़े आराम से बढ़ते हैं, लेकिन जब वह माइंडहंटर (2017) जैसी सीरीज बनाते हैं, तो वैसा नहीं करते।” इसका मूल कारण यह है कि अगर वेब सीरीज के दर्शकों को डेढ़ घंटे तक सिर्फ पात्र परिचय
या कथानक की भूमिका समझाई जाएगी तो
दर्शक उसे छोड़कर चैनल बदलकर कुछ और देखने लगेंगे।
इसमें कोई शक नहीं कि वेब सीरीज भारतीय मनोरंजन उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन करने की क्षमता रखती हैं। फिल्म आलोचक मुर्तजा अली खान का मत है कि इसी वजह से यह बॉलीवुड कलाकारों के लिए उचित माध्यम हो सकती है। खान के अनुसार, सेक्रेड गेम्स के पहले लोगों को यह अनुमान नहीं था कि इसके मुख्य कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सैफ अली खान को इसमें आशातीत सफलता मिलेगी, लेकिन इसके पहले सीजन ने ही आलोचकों के मुंह बंद दिए। ऐसे समय जब टेलीविजन में नए कथानकों का नितांत अभाव दिख रहा है और फीचर फिल्में पुरातनपंथी सेंसरशिप के कानूनों से जूझ रही हैं, वेब सीरीज रचनाधर्मियों के लिए अपनी बात कहने के लिए एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है। हाल के वर्षों में नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे बड़े प्लेटफॉर्मों के आगमन से ऐसी वेब सीरीज बन रही हैं, जिनके निर्माण की गुणवत्ता फिल्मों से कतई कम नहीं है। मूल रूप से वेब सीरीज के माध्यम से टेलीविजन सीरियल जैसे लंबे कथानक को फिल्मों के निर्माण संबंधी गुणवत्ता के साथ दिखा सकते हैं, जो इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
यह सही प्रतीत होता है। द फैमिली मैन बनानेवालों को शुरू में ही यह लग गया था कि वे इस कहानी को एक फीचर फिल्म की जगह एक वेब सीरीज के रूप में बेहतर बना सकते हैं। दो घंटे की एक फीचर फिल्म में वह निश्चय ही इसकी विषयवस्तु से न्याय नहीं कर सकते थे। यह एक ऐसा निर्णय था, जिसका उन्हें कभी अफसोस नहीं करना पड़ेगा।
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जानकारों का मानना है कि देर-सबेर सभी बड़े कलाकार ओवर-द-टॉप प्लेटफार्म की ओर आएंगे, इससे उनके करिअर में नया मोड़ आएगा
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मौके-दर-मौकेः इनसाइज एज सीजन 2 में विवेक ओबेरॉय और अन्य
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फीचर फिल्में पुरातनपंथी सेंसरशिप के कानूनों से जूझ रही हैं, वेब सीरीज रचनाधर्मियों के लिए सशक्त माध्यम के रूप में उभरी