हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार राज्य में अवैध खनन पर प्रतिबंध के भले हजार दावे करती हो, उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते यमुनानगर, करनाल और पंचकूला जिलों में यह धड़ल्ले से चल रहा है। इसके चलते यमुनानगर के खिजराबाद में यमुना नदी पर बने हथनीकुंड बैराज और पंचकूला में कौशल्या बांध के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। खनन के चलते यमुनानगर का ताजेवाला बांध पहले ही बहने के कगार पर पहुंच चुका है। फरवरी 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हथनीकुंड बैराज के चारों तरफ 2.1 किलोमीटर क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके बावजूद अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट में कई ऐसे गंभीर और चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं, जिनसे सरकार की लापरवाही का पता चलता है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने 31 मार्च 2018 तक खनन ठेकेदारों से रॉयल्टी के 1,476.21 करोड़ रुपये वसूले ही नहीं। सरकार इन ठेकेदारों से माइंस ऐंड मिनरल रिहैबिलिटेशन फंड के 66.74 करोड़ रुपये का मूल धन और ब्याज लेना ही भूल गई। और तो और, 95 खदानों की जांच और निरीक्षण का कोई रिकॉर्ड नहीं है। गैरकानूनी खनन के लिए नदी का बहाव मोड़ दिया गया, तटबंध की सीमा बदल दी गई, अवैध पुल बनाए गए और नदी के बीच डैम बनाकर नदी का प्राकृतिक बहाव रोका गया। लेकिन सरकार के मंत्री इस रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज करते हैं। गृह मंत्री अनिल विज ने तो आउटलुक से बातचीत में यहां तक कह दिया कि सीएजी रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। विज के अनुसार, सीएजी की रिपोर्ट जांच के लिए विधानसभा की लोकलेखा समिति को भेजी जाएगी। समिति की रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
सीएजी ने यमुनानगर के नगली ब्लॉक की सैटेलाइट इमेज के साथ यह भी बताया है कि किस तरह बिना बोली और आवंटन के खुलेआम गैरकानूनी खनन हो रहा है। सीएजी ने 95 खनन क्षेत्रों में से तीन का भू-स्थानिक सर्वे करवाया। गुमथला उत्तर खनन ब्लॉक के सर्वे में यह बात सामने आई कि ठेकेदार आवंटित क्षेत्र से दोगुने इलाके में खनन कर रहा था। अगर यह माना जाए कि 95 में से तीन-चौथाई खनन क्षेत्रों में दोगुने या उससे अधिक क्षेत्रफल में खनन हो रहा है, तो इसका मतलब हुआ कि सरकारी खजाने को हर साल 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
खनन विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी तक, सभी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के लोग अवैध खनन कर रहे हैं। खनन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं कि अवैध खनन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी है। इसमें शामिल ट्रांसपोर्टरों के वाहन जब्त कर उन पर कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। वे कहते हैं कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस भ्रम फैलाने वाले आरोप लगा रही है। फरवरी और मार्च 2019 में 119 खदानों के लिए हुई ई-नीलामी में सरकार ने 88 खदानें अलॉट कीं, इनमें से 57 में खनन हो रहा है। 2018-19 में सरकार को खनन से 600 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, इस साल इसमें 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
अवैध खनन के कारण खतरे में आया हथनीकुंड बैराज पांच राज्यों के लिए बहुत महत्व रखता है। यहीं से उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा (दक्षिणी) और राजस्थान को सिंचाई और पीने का पानी जाता है। स्थानीय ग्रामीण आए दिन खनन के विरोध में रोष-प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है। संधाला, संधाली, लाल छप्पड़, हंसु माजरा, कंडरोली और खुखानी गांवों के लोगों का कहना है कि यमुना नदी के किनारे 50 फुट तक अवैध खनन के चलते किनारे बसे गांवों पर हमेशा बाढ़ का खतरा बना रहता है। संधाला गांव के वरयाम सिंह के मुताबिक, सितंबर में बाढ़ की चपेट में आकर किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई। इसका एक मात्र कारण अवैध खनन है। राओ गांव के शिव कुमार ने बताया कि अवैध रेत-बजरी और पत्थर ढोते ट्रॉले दुर्घटना में जिंदगियां भी लील रहे हैं। अंबाला से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया का कहना है कि करनाल-यमुनानगर मार्ग पर देर रात तक चलते ओवरलोडेड ट्रॉलों के कारण सड़कें तहस-नहस हो गई हैं।
विपक्ष का आरोप है कि अवैध खनन में सक्रिय माफिया को भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों का संरक्षण मिला हुआ है। मार्च में विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने खट्टर सरकार के कार्यकाल में बढ़े अवैध खनन की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि यमुनानगर, महेंद्रगढ़ और नारनौल में अवैध खनन घोटाले की पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के मौजूदा जज से तीन महीने में जांच करवाई जाए, ताकि राजनैतिक, प्रशासनिक और खनन माफिया के गठजोड़ का पर्दाफाश हो। अवैध खनन के आरोपों से घिरे जगाधरी से भाजपा विधायक और शिक्षा मंत्री कंवरपाल का कहना है कि उनके गांव बहादुरपुर में अगर अवैध खनन हो रहा है तो खनन विभाग को तुरंत कार्रवाई करके उस पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे 1999 से अपना गांव छोड़कर जगाधरी शहर में रह रहे हैं। उनके परिवार का कोई भी सदस्य अवैध खनन में शामिल नहीं है, और न ही किसी को अवैध खनन करने का संरक्षण दिया जा रहा है। कंवरपाल ने कहा कि बहादुरपुर में उनकी जो जमीन है, उस पर खनन हो ही नहीं रहा है।
कार्रवाई सिर्फ कागजों में
अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने के दावे जरूर किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इनका असर नहीं दिख रहा है। खनन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला स्तरीय टॉस्क फोर्स बनाई गई हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल और पंजाब से हरियाणा आने वाली अवैध रेत, बजरी और पत्थर पर रोक लगाने के लिए सीमाओं पर विशेष नाके लगाए जा रहे हैं। खनन में शामिल वाहनों के लिए ट्रांजिट पास (ई-रवाना) अनिवार्य किया गया है। बगैर ई-रवाना के खनन में लगे वाहन जब्त कर लिए जाएंगे। एनजीटी के आदेश के अनुसार, ऐसे वाहनों के मालिकों पर वाहन की शोरूम कीमत का 50 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा।
सरकार अवैध खनन पर सैटेलाइट से निगरानी रखने की भी बात कह रही है। इसके लिए हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (हरसेक) को नोडल एजेंसी बनाया गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का रिमोट सेंसिंग और जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम एप्लीकेशन इसमें मददगार साबित होगा। खनन और जियोलॉजी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सैटेलाइट के जरिए थ्री-डी इमेज उपलब्ध होगी। विभाग के रिकॉर्ड से पता चल जाएगा कि खनन जिस जगह पर किया जा रहा है वह वैध है या अवैध। भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में इस तकनीक के जरिए अवैध खनन का पता लगाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। बाद में इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
कुछ साबित नहीं कर पाती पुलिस
सीएम विंडो, सीएमओ ट्विटर हैंडल, खुला दरबार, कष्ट निवारण समिति, खनन विभाग और सरकार द्वारा गठित निगरानी कमेटियों के सामने चार साल में अवैध खनन से जुड़ी 2,647 शिकायतें आईं। अप्रैल से अक्टूबर 2019 तक विभाग ने अवैध खनन के 892 मामले पकड़े। इनमें 116 एफआइआर दर्ज हुईं और 1.61 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया। 2018-19 में पकड़े गए अवैध खनन के 1,963 मामलों में 121 एफआइआर दर्ज हुई थीं। समस्या यह है कि पुलिस एफआइआर में जिसे अवैध माइनिंग दिखाती है, उसे कोर्ट में साबित नहीं कर पाती। पुलिस द्वारा दर्ज ज्यादातर मामलों में खनन अधिकारी से यह जांच ही नहीं कराई गई कि अवैध खनन हुआ या नहीं। अक्सर ट्रैक्टर-ट्रक चालक को आरोपी बना दिया जाता है, जबकि खनन करने वाला कोई और होता है। पुलिस ने अवैध खनन वाली जगह की फोटो या वीडियोग्राफी भी नहीं कराई, जिसे वह कोर्ट में दिखा सके। ज्यादातर मामलों में स्वतंत्र गवाह नहीं थे, जो यह कह सकें कि उसके सामने अवैध खनन हुआ। जांच अधिकारी ने उस जमीन का रेवेन्यू रिकॉर्ड तक नहीं जुटाया, जहां खनन किया गया।
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सीएजी रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। यह रिपोर्ट लोकलेखा समिति को भेजी जाएगी। उसकी रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है
अनिल विज, गृह मंत्री, हरियाणा